"Dismiss''...सिर्फ एक शब्द में खारिज हुई याचिका, सूरत सेशंस कोर्ट से नहीं मिली राहत, मानहानि केस में अब क्या करेंगे राहुल गांधी?

राहुल गांधी मानहानि मामला: सूरत की एक सत्र अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'मोदी उपनाम' टिप्पणी के लिए उनकी सजा पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है।
 
राहुल गांधी की अपील खारिज कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'मोदी' सरनेम मामले में दायर अपील को सूरत की सत्र अदालत ने खारिज कर दिया है। राहुल ने मानहानि मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सत्र अदालत ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है, जहां उन्हें 'मोदी' उपनाम मामले में दोषी ठहराया गया था। राहुल गांधी को भी दो साल की सजा हुई थी। फैसले के 24 घंटे के भीतर उन्हें संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया। सेशन कोर्ट से झटका मिलने के बाद अब राहुल गांधी अहमदाबाद हाई कोर्ट जाएंगे।Read Also:-दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी (Population) वाला देश बना भारत, आबादी 142 करोड़ के पार; हमारी आबादी चीन से 30 लाख ज्यादा।

 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 23 मार्च को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दोषी करार दिया था। उन्हें 24 मार्च को संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके बाद 3 अप्रैल को सेशन कोर्ट में राहुल गांधी ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। अपील में उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया और इससे उन्हें भारी नुकसान हुआ। राहुल के वकील ने दो याचिकाएं दायर की थीं। एक में राहुल को दोषी पाए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी तो दूसरी याचिका में कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

 

 

2019 में राहुल गांधी का वो बयान
साल 2019 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में एक रैली में 'मोदी' उपनाम वाले लोगों पर कुछ सवाल पूछे थे। उन्होंने भारत के 'भगोड़ों' नीरव मोदी, ललित मोदी का जिक्र करते हुए पूछा था कि ‘आखिर सभी चोरों के सरनेम में मोदी क्यों है?’ इससे नाराज होकर गुजरात बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था। बयान के चार साल बाद सूरत मजिस्ट्रेट कोर्ट ने एक फैसले में राहुल को दोषी पाया और दो साल की जेल की सजा सुनाई।