ट्रैक्टर परेड को दिल्ली पुलिस की हरी झंडी, किसान बोले- हम दिल्ली में परेड करेंगे, इस ऐतिहासिक पल को दुनिया देखेगी
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर होने वाली ट्रैक्टर परेड (Tractor parade) को हरी झंडी दे दी है। किसान नेता दर्शन पाल (Darshan Pal) ने बताया की अब किसान दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाल सकते हैं और दिल्ली पुलिस भी उन्हें नहीं रोकेगी। उन्होंने बताया कि शनिवार को दिल्ली पुलिस और एनसीआर पुलिस की किसानों के साथ मीटिंग हुई जिसमें तय हुआ कि दिल्ली में पांच अलग-अलग रूटों पर किसान ट्रैक्टर रैली निकाल सकेंगें।
दर्शन पाल ने कहा कि ट्रैक्टर परेड करीब 100 किलोमीटर चलेगी। परेड में जितना समय लगेगा, वो हमें दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह परेड ऐतिहासक होगी जिसे दुनिया देखेगी। कल परेड के पूरे रूट और समय के बारे में जानकारी देंगे। Read Also : बिल गेट्स बने अमेरिका के ‘सबसे बड़े किसान’, खरीदी 2.42 करोड़ एकड़ खेती की जमीन, जानें और कौन हैं दुनिया के सबसे अमीर किसान
दरअसल किसान 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े हुए थे, लेकिन दिल्ली पुलिस उन्हें रैली निकालने से रोकने की कोशिश कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट में भी किसान आंदोलन के मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि इस पर फैसला पुलिस को लेना होगा।
दिल्ली एनसीआर में निकलने वाली ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए कई राज्यों के किसान दिल्ली आ रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता जोगेंद्र तालु ने शनिवार को दावा किया कि 24 जनवरी को भिवानी जिले से पांच हजार ट्रैक्टर दिल्ली में प्रस्तावित किसानों की ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए रवाना होंगे।
किसान नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि करीब दो महीने से अन्नदाता ठंड के मौसम में अपने हकों के लिए बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं लेकिन सरकार अपना तानाशाही रवैया छोड़ने को तैयार नहीं है। तालु ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सरकारी व सावर्जनिक क्षेत्र को बर्बाद करने के बाद अब खेती व खाद्य सुरक्षा को उजाडऩे के लिए तीन कृषि कानून के लेकर आई है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता ने कहा कि हजारों किसान करीब दो महीने से दिल्ली के चारों ओर डेरा डाले बैठे हैं, लेकिन सरकार उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा देश-विदेश के चंद उद्योगपतियों के मुनाफों के लिए ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कि ये तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं।
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