8 साल की बच्ची से रेप के बाद हत्या के दोषी को फांसी की सजा : कोर्ट ने कहा- अभियुक्त समाज पर ताउम्र बोझ रहेगा

बुलंदशहर की पाक्सो कोर्ट प्रथम डॉॅ पल्लवी अग्रवाल ने 8 साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या के आरोपी को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है। 

 
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर (Bulandshahr Court) में कोर्ट ने वारदात के 13 महीने के अंदर ही ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दोषी को फांसी की सजा (Court Sentenced To Death For Molesting And Killing a Girl in Bulandshahr) सुनाकर मिसाल पेश की। कोर्ट ने 8 साल की बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या के आरोपी को मौत की सजा सुनाई। आरोपी ने 8 साल की मासूम बच्ची के साथ 4 अगस्त 2020 को रेप के बाद उसकी हत्या की घिनौनी वारदात को अंजाम दिया था। Read ALso : वेब पोर्टल और Youtube कंटेंट पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, कहा-इन पर कंट्रोल नहीं, जो मन में आए पब्लिश करते हैं

 

पुरुष को स्त्री का संरक्षक जाना जाता है

स्पेशल पॉक्सो कोर्ट (Special POCSO Court) की जज डॉ. पल्लवी अग्रवाल ने अपने फैसले में विलियम शेक्सपियर को कोट करते हुए लिखा- "Women may fall when there no strength in men' अर्थात कोई स्त्री तब तक असहाय नहीं हो सकती, जब तक कि पुरुषों में शक्ति ही शेष न रहे। कोर्ट ने इसका अभिप्राय बताते हुए कहा कि प्रारंभ से ही पुरुष को स्त्री के संहारक नहीं, अपितु संरक्षक के तौर पर जाना जाता है जो उसके नारीत्व की सदैव रक्षा करे। Read Also : देश को मिल सकती हैं पहली महिला चीफ जस्टिस, कॉलेजियम ने रिकमंड किए जस्टिस बी.वी. नागरत्ना समेत 9 जजों के नाम

 

नारीत्व का जघन्य बलात्कार कर मर्दन किया

बता दें कि स्पेशल पॉक्सो कोर्ट (Special POCSO Court) ने 8 साल की बच्ची के साथ रेप करने वाले दरिंदे को शुक्रवार को सजा सुनाई। दोषी का नाम अशोक है और वह 21 साल का है। बुलंदशहर की विशेष न्यायाधीश (पाक्सो अधिनियम) डॉ. पल्लवी अग्रवाल ने कहा कि 21 वर्षीय आरोपी ने 8 वर्षीय बालिका के नारीत्व का जघन्य बलात्कार कर मर्दन किया, उसकी हत्या करके शव को फेंक दिया ताकि इस बारे में किसी को कोई खबर ही न हो सके। यह दोषसिद्ध अभियुक्त के दुस्साहस और घृणित मानसिकता को उजागर करता है।

 

कृत्य अत्यंत दुस्साहसी व वहशियाना है

जज डॉ. पल्लवी ने कहा कि, पीड़िता और उसकी बहन दोषसिद्ध अभियुक्त को 'भैया' कहती थी। आरोपी ने उस मासूम बच्ची को खाने की चीज का लालच दिया और अपने साथ ले गया। बच्ची उसे बड़ा भाई समझकर उसपर विश्वास कर उसके चली गई। दोषसिद्ध अभियुक्त कृत्य अत्यंत दुस्साहसी व वहशियाना है, जिसे बालिका को मारते व उसके शव को प्लास्टिक के कट्टे में बंद कर फेंकते हुए तनिक भी डर या संकोच नहीं था।

 

अभियुक्त समाज पर ताउम्र बोझ रहेगा

कोर्ट ने कहा, वह बच्ची अपने को बचाने का प्रयत्न करती रही, अपने शरीर पर चोटें सहती रही और खुद को बचा नहीं पाई। कोर्ट ने कहा कि यह मानवीय रिश्तों के उल्लंघन और सामाजिक ढांचे को नष्ट कर देने वाला अपराध है। अभियुक्त में सुधार की गुंजाइश नहीं है। वह समाज पर ताउम्र बोझ रहेगा और जब भी समाज में आएगा, वह डर का माहौल पैदा करेगा। अभियुक्त के प्रति किसी नरमी का कोई औचित्य नहीं है।

 

यह था मामला

खुर्जा क्षेत्र के एक गांव में चार अगस्त 2020 को आठ व छह वर्षीय बहनें सहकारी समिति के गोदाम में स्थित पेड़ से जामुन बीनने गई थी। इसी दौरान गांव निवासी 22 वर्षीय अशोक कुमार गोदाम पर पहुंचा और आठ वर्षीय बच्ची को खेत से भुटटा देने के बहाने साथ लेकर चला गया। जबकि छह वर्षीय बच्ची घर लौट आई। काफी देर तक जब भुट्टा लेने गई बच्ची वापस नहीं लौटी तो परिजनों ने तलाश की। साथ ले जाने वाले अशोक कुमार से पूछताछ की गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने सख्ती से आरोपित अशोक कुमार से पूछताछ की तो उसने दरिंंदगी की वारदात को कुबूल किया। बताया कि उसने बच्ची के साथ गन्ने के खेत में ले जाकर दुष्कर्म किया। इस दौरान बच्ची ने चीख-पुकार की तो गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। इस करतूत का पर्दाफाश न हो इसके लिए बच्ची के शव को बोरे में भरकर गन्ने के खेत में छिपा दिया है।