देश को मिल सकती हैं पहली महिला चीफ जस्टिस, कॉलेजियम ने रिकमंड किए जस्टिस बी.वी. नागरत्ना समेत 9 जजों के नाम

सुप्रीम कोर्ट में जजों के फिलहाल 9 पद खाली हैं। जस्टिस नवीन सिन्हा भी रिटायर होने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 34 होनी चाहिए, लेकिन पिछले करीब डेढ़ साल से किसी जज की नियुक्ति नहीं हुई है।

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कई बार ये सवाल उठ चुका है कि राष्ट्रपति और पीएम पद पर महिलाओं को मौका मिला, लेकिन एक भी महिला को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया। अब ये मौका आने जा रहा है। मोदी सरकार ने अगर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश मान ली, तो 6 साल बाद यानी 2027 में चीफ जस्टिस की कुर्सी पर महिला जज की नियुक्ति हो जाएगी। 

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कर्नाटक हाईकोर्ट की जज बीवी नागराथन को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। अगर ये सिफारिश सरकार मान लेती है, तो नागराथन 2027 में देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बन जाएंगी। हालांकि, उनका वह कार्यकाल एक महीने से कुछ ही ज्यादा समय का रहेगा। नागराथन के अलावा कॉलेजियम ने तेलंगाना हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस हिमा कोहली और गुजरात हाईकोर्ट की जज बेला त्रिवेदी को भी सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश भेजी है। Read Also : तालिबान की तारीफ करने पर फंसे सपा के सांसद, शफीकुर्रहमान बर्क पर दर्ज हुआ देशद्रोह का केस दर्ज

इसके अलावा वरिष्ठ वकील पीएस नरसिम्हा को भी सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की गई है। अगर वह जज बनते हैं, तो वकील से सुप्रीम कोर्ट का जज बनने वाले 5वें व्यक्ति होंगे। इससे पहले जस्टिस संतोष हेगड़े, जस्टिस कुलदीप सिंह, जस्टिस एसएम सीकरी और जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन भी वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे।

सुप्रीम कोर्ट में जजों के फिलहाल 9 पद खाली हैं। जस्टिस नवीन सिन्हा भी रिटायर होने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 34 होनी चाहिए, लेकिन पिछले करीब डेढ़ साल से किसी जज की नियुक्ति नहीं हुई है। 2018 में 8 और 2019 में 10 नए जज सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए थे। फिलहाल 24 पुरुष और एक महिला जज सुप्रीम कोर्ट में हैं।

कौन हैं जस्टिस नागरत्ना

जस्टिस नागरत्ना के पिता जस्टिस ई.एस. वेंकटरमैया भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। उन्होंने 19 जून 1989 से 17 दिसंबर 1989 तक ये पद संभाला है।

जस्टिस नगरत्ना ने मीडिया रेगुलेशन सिस्टम की बात कही थी
जस्टिस नागरत्ना 2008 में कर्नाटक हाईकोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त की गई थीं, 2010 में उन्हें परमानेंट जज नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने कमर्शियल और संवैधानिक कानूनों के आधार पर कई अहम निर्णय दिए हैं। इसके अलावा 2012 में फेक न्यूज के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए जस्टिस नागरत्ना और अन्य जजों ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वे मीडिया ब्रॉडकास्टिंग को रेगुलेट करने की संभावनाओं की जांच करें। हालांकि, उन्होंने मीडिया पर सरकारी नियंत्रण के खतरों से भी आगाह किया था।

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