बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषी फिर जाएंगे जेल, SC ने बदला गुजरात सरकार का फैसला-कहा 2 हफ्ते में सरेंडर करें; पीड़िता के घर जश्न का माहौल 

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिना सोचे-समझे दोषियों की सजा माफ करने पर गुजरात सरकार को फटकार लगाई। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सजा माफी पर दूसरी पीठ के 13 मई 2022 के आदेश पर यह भी कहा कि यह 'अदालत को गुमराह' करके हासिल किया गया है। 
 
बिलकिस बानो के गुनहगारों को फिर सलाखों के पीछे जाना होगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। उन्होंने दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को पलट दिया है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की याचिकाएं मंजूर कर ली हैं। जनहित याचिकाओं को भी मंजूरी दे दी गई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि महिला सम्मान की हकदार है। चाहे उसे समाज में कितना भी नीचा समझा जाए या वह किसी भी धर्म को मानती हो।READ ALSO:-मेरठ : छात्रों ने हाई-वे पर मचाया हुड़दंग, स्कूल फेयरवेल में महंगी कारों से पहुंचे लड़कों ने हाईवे पर किये स्टंट, आतिशबाजी और डांस

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार सजा में छूट पर विचार करने के लिए सक्षम है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि यह फैसला लेने के लिए महाराष्ट्र सरकार सक्षम है, गुजरात सरकार नहीं। संसद ने यह शक्ति राज्य सरकार को दे दी। इस मामले की सुनवाई दूसरे राज्य में स्थानांतरित कर दी गई। ये सुप्रीम कोर्ट ने किया। सज़ा की माफ़ी रद्द की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी दोषियों को 2 हफ्ते के अंदर जेल में सरेंडर करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि कानून का शासन कायम रहना चाहिए। 

 

 

शीर्ष अदालत ने कहा कि यहां का मामला गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया था। इस मामले में किए गए मुकदमे के स्थानांतरण के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यह निश्चित है कि मुकदमे का स्थानांतरण यह तय करने में एक प्रासंगिक विचार होगा कि कौन सी सरकार प्रतिरक्षा आदेश पारित करने के लिए उपयुक्त है। यहां उपयुक्त सरकार का मतलब वह सरकार है जिसके अधिकार क्षेत्र के तहत सजा का आदेश पारित किया गया है और अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया है। कोर्ट ने कहा कि जिस राज्य के क्षेत्र में अपराध की सजा तय की गई है, उस राज्य की सरकार माफी का आदेश पारित नहीं कर सकती। इसलिए माफी आदेश रद्द किया जाए। 

 

अगस्त 2022 में, गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। रिहाई का विरोध करते हुए बिलकिस बानो के वकील ने कहा था कि वह अभी सदमे से उबरी भी नहीं थीं और दोषियों को रिहा कर दिया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की समय से पहले रिहाई पर भी सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम सजा माफी की अवधारणा के खिलाफ नहीं हैं क्योंकि कानून में इसे अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि ये दोषी सजा माफी के पात्र कैसे बन गये।