BIG Breaking: फांसी के फंदे पर लटका मिला महंत नरेंद्र गिरि का शव, हत्या या आत्महत्या में उलझी पुलिस
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे राम विलास वेदांती ने नरेंद्र गिरि की हत्या की आशंका जताई है। उनका कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या नहीं कर सकते हैं
Sep 20, 2021, 19:15 IST
उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और संगम तट स्थित लेटे हनुमान मंदिर के महंत नरेंद्र गिरि की सोमवार को संदिग्ध हालत में मौत हो गई है। उनका शव प्रयागराज के उनके बाघंबरी मठ में ही फांसी के फंदे से लटकता मिला। ऐसे में उनकी मौत पर सवाल उठ रहे हैं। यह चर्चा जोरो पर है कि महंत नरेंद्र गिरि की हत्या की गई है या खुदकुशी। Read Also : फेक वैक्सीनेशन कर सरकार बना रही रिकाॅर्ड! मेरठ में भाजपा नेता को 5 बार लगा दिया टीका, 6ठीं डोज की मिली तारीख
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे राम विलास वेदांती ने नरेंद्र गिरि की हत्या की आशंका जताई है। उनका कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या नहीं कर सकते हैं ऐसे में उनकी मौत की जांच होनी चाहिए। उधर मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने तहकीकात शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक बाघंबरी मठ में जहां महंत नरेंद्र गिरि का शव फंदे से लटकता मिला, वहां चारो तरफ से गेट बंद मिला।
पुलिस ने शुरुआती जांच के आधार पर इसे आत्महत्या बताया है। खबर मिलते ही पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। आइजी रेंज केपी सिंह ने बताया कि फोरेंसिक टीम को घटनास्थल पर बुलाया गया है। मठ पर बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु भी पहुंच गए हैं।
एक दिन पहले ही डिप्टी सीएम मिलकर गए थे
महंत नरेंद्र गिरि पिछले करीब दो दशक से साधु संतों के बीच अहम स्थान रखते थे। प्रयागराज आगमन पर बडे़ नेता हों या फिर आला पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी, वे महंत से आशीर्वाद लेने और लेटे हनुमान जी का दर्शन करने जरूर जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद सहित अन्य मंत्री और सांसद तथा विधायक मंदिर और बांघबरी मठ पहुंचते रहे हैं। कल यानी रविवार को भी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने मंदिर जाकर महंत से आशीर्वाद लिया था। पिछले दिनों डीजीपी मुकुल गोयल भी मंदिर में दर्शन पूजन करने गए थे।
शिष्य से विवाद भी था सुर्खियों में
स्वामी नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य चर्चित योग गुरू आनंद गिरि के बीच पिछले दिनों विवाद भी काफी सुर्खियों में रहा है। आनंद गिरि को अखाड़ा परिषद तथा मठ बाघंबरी गद्दी के पदाधिकारी के पद से निष्कासित कर दिया गया था। तब दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी किए थे। तमाम साधु संत ने महंत नरेंद्र गिरि का समर्थन किया था। नरेंद्र गिरि ने कहा था कि आनंद गिरि माफी मांगे जिसके बाद आनंद गिरि ने माफी मांग ली थी, हालांकि उनका निष्कासन वापस नहीं किया गया।