भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव को लगा बड़ा झटका, SC नहीं दी माफी, कहा अभी हमने माफी नहीं दी है, 1 हफ्ते में गलती सुधारें....

बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ के भ्रामक विज्ञापन मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बेंच बाबा से काफी नाराज है और आज दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट नहीं मानी और कहा एक हफ्ते में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण अपनी गलती सुधारने के लिए कदम उठाएं। 
 
भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण ने एक बार फिर माफी मांगी, लेकिन जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानतुल्ला की बेंच ने कहा कि आपसे सार्वजनिक माफी की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण एक हफ्ते के भीतर अपनी गलती सुधारने के लिए कदम उठाएं। READ ALSO:-सलमान खान के घर पर फायरिंग करने वाले दोनों आरोपी गुजरात से गिरफ्तार, क्राइम ब्रांच की बड़ी कामयाबी

 

मुकुल रोहतगी प्रस्तावित अवमाननाकर्ताओं की ओर से उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि खुद को बचाने और अपनी नेकनीयती दिखाने के लिए प्रस्तावित अवमाननाकर्ता अपनी पहल पर कुछ अतिरिक्त कदम उठाएगा। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। न्यायालय ने उत्तरदाताओं 5-6 के अनुरोध पर प्रस्तावित अवमाननाकर्ताओं के साथ भी बातचीत की। इस मामले को 23 अप्रैल को सूचीबद्ध किया जाना चाहिए और सबसे पहले इसकी सुनवाई होगी। 

 

सुनवाई के दौरान क्या हुआ...
इससे पहले सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव ने कहा कि हमसे जो भी गलती हुई है उसके लिए हम बिना शर्त माफी मांगते हैं। जस्टिस कोहली ने कहा कि आपने क्या सोचा है कि आप क्या प्रचार कर रहे हैं। हमारे देश में बहुत सारे तरीके हैं। लेकिन अन्य दवाएँ ख़राब हैं, क्यों? इस पर रामदेव ने कहा कि हम कोर्ट से माफी मांगते हैं।  हमने पांच हजार शोध किए हैं और आयुर्वेद को साक्ष्य आधारित तरीके से प्रस्तुत किया है।

 

 


जस्टिस कोहली ने कहा कि कोई लाइलाज बीमारी के इलाज को बढ़ावा नहीं दे सकता। किसी भी विधि से नहीं किया जा सकता। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए था। यह एक गैरजिम्मेदाराना कृत्य था।' इस देश की जनता और अदालतें आपसे ये उम्मीद नहीं करतीं। रामदेव ने कहा कि आप सही हैं। ये मेरे लिए भी अशोभनीय है। बालकृष्ण ने कहा कि हम रिसर्च करते हैं। अज्ञानतावश प्रचार किया गया जो कानूनन नहीं करना चाहिए था।

 

रामदेव ने कहा कि कोर्ट का अनादर करना हमारा मकसद नहीं था। हमने 5000 हजार रिसर्च किए। हमने किसी का नामकरण नहीं किया। आगे कोई पुनरावृत्ति नहीं होगी। जस्टिस कोहली ने कहा कि हम माफी के बारे में सोचेंगे। हम

 

कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही है। आईएमए की ओर से एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा को लेकर झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की गई थी। ने अभी तक माफ़ी नहीं दी है। आप इतने मासूम नहीं हैं कि कुछ भी न जानते हो।