Ban Diesel Vehicles: भारत में डीजल वाहनों पर लगेगी रोक! इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा मिलेगा

डीजल वाहनों पर प्रतिबंध: तरुण कपूर की अध्यक्षता वाले पैनल ने सुझाव दिया कि 2024 से डीजल बसों पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इनके बजाय सरकार को इलेक्ट्रिक और गैस से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना चाहिए।
 
भारत में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है। स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने तेल मंत्रालय के तहत एनर्जी ट्रांजिशन एडवाइजरी कमेटी का गठन किया। इस कमेटी ने सोमवार को सुझाव दिया कि 2027 तक देश में डीजल से चलने वाले चौपहिया वाहनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। समिति के मुताबिक 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इनकी जगह बिजली और गैस से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना चाहिए।READ ALSO:-मेरठ: अखिलेश का BJP पर तंज, पूछा-पहलवानों को लेकर चुप क्यों हैं सरकार? बोले-कचरा फैलाने वाले क्या कचरा हटाएंगे, नालों, नदियों की गंदगी गंगा में डाल दी

 

ऑयल मिनिस्ट्री के पैनल हेड तरुण कपूर ने आगे कहा कि 2024 से डीजल बसों पर भी रोक लगनी चाहिए। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक मिनिस्ट्री की वेबसाइट की रिपोर्ट के हवाले से 2030 तक सिर्फ इलेक्ट्रिक सिटी बस होनी चाहिए। इसके अलावा, 2024 से शहरी परिवहन के लिए डीजल बसों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

 

सिर्फ इलेक्ट्रिक बसों का रजिस्ट्रेशन
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए पैनल ने 2024 से सिर्फ इलेक्ट्रिक बसों के रजिस्ट्रेशन की सिफारिश की है। पैनल ने आगे कहा कि माल ढुलाई के लिए रेलवे और गैस से चलने वाले ट्रकों का अधिक से अधिक इस्तेमाल होना चाहिए। साथ ही अगले दो से तीन साल में रेलवे नेटवर्क को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक बनाने की बात कही है।

 

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए पैनल ने 2024 से सिर्फ इलेक्ट्रिक बसों के रजिस्ट्रेशन की सिफारिश की है। पैनल ने आगे कहा कि माल ढुलाई के लिए रेलवे और गैस से चलने वाले ट्रकों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होना चाहिए। साथ ही अगले दो से तीन साल में रेलवे नेटवर्क को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक बनाने की बात कही है।

 

सरकार को फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक एंड हाइब्रिड व्हीकल्स स्कीम (FAME) सब्सिडी को मार्च के बाद भी बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।

 

2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन
पैनल ने सुझाव दिया कि लंबी दूरी की बसों के लिए भी इलेक्ट्रिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वहीं, गैस को अगले 10 से 15 साल तक रिप्लेसमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

 

भारत दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देशों में से एक है। 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि देश कुल बिजली का 40 प्रतिशत नवीकरणीय संसाधनों से उत्पादित करे।

 

भूमिगत गैस भंडारण को बढ़ावा देना
देश में 80 फीसदी डीजल की खपत ट्रांसपोर्ट सेक्टर से होती है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को भूमिगत गैस भंडारण पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि दो महीने की मांग को पूरा किया जा सके।