हर तरफ चीख-पुकार: काल बन गई कांवड़ यात्रा, छह मौतों पर सब की आंख नम, नहीं जले घर के चूल्हे, परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल...,ये क्या कर दिया महाकाल!
भीषण हादसे में छह लोगों की मौत से गांव में मातम पसरा हुआ है। जो भी हादसे के बारे में सुनता है उसका दिल बैठ जाता है। परिजन रोते हुए पूछ रहे हैं कि आखिर महाकाल हमने क्या गलती की, जो हमारे मासूमों को हमसे छीन लिया। हादसे की खबर सुनते ही गांव में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। आगे विस्तार से जानिए कितनी दिल दहला देने वाली थी ये घटना...
Jul 16, 2023, 19:02 IST
इस महीने की शुरुआत से ही गांव से कांवर लेकर आने वाली डाक कांवड़ को लेकर हर कोई उत्साहित था। जिसके लिए धन एकत्रित किया गया। पूरी व्यवस्था होने के बाद 13 तारीख को वे हंसी-खुशी के साथ डाक कांवड़ लेने के लिए ट्रैक्टर से गांव से निकले। ट्रैक्टर-ट्रॉली पर डीजे लगा हुआ था। औघड़नाथ मंदिर में जल चढ़ाने के बाद उन्होंने गांव में फोन कर बता दिया था कि वह कुछ घंटे बाद पहुंचेंगे। गांव वालों ने भी उनके स्वागत की पूरी तैयारी कर रखी थी। READ ALSO:-मेरठ: हाईटेंशन लाइन से टकराई डाक कांवड़, हुआ बड़ा दर्दनाक हादसा, चाचा और भतीजे समेत छह शिवभक्तों की मौत, 16 हुए घायल
चंद ही सेकेंड में हुआ हादसा...खुशियां मातम में बदलीं
चार जुलाई को राली चौहान गांव के 32 युवक हरिद्वार से कांवड़ लेकर जल लाने गए थे। यह गाँव की दूसरी काँवड़ थी। कांवर में 22 फीट का डीजे और इलेक्ट्रॉनिक झांकी थी। शनिवार को शिवरात्रि के अवसर पर मेरठ के औघड़नाथ मंदिर में त्रयोदशी का जल चढ़ाकर कांवड़िये अपने गांव लौट रहे थे। यहां चतुर्दशी का जल गांव के शिव मंदिर में चढ़ाना था।
चार जुलाई को राली चौहान गांव के 32 युवक हरिद्वार से कांवड़ लेकर जल लाने गए थे। यह गाँव की दूसरी काँवड़ थी। कांवर में 22 फीट का डीजे और इलेक्ट्रॉनिक झांकी थी। शनिवार को शिवरात्रि के अवसर पर मेरठ के औघड़नाथ मंदिर में त्रयोदशी का जल चढ़ाकर कांवड़िये अपने गांव लौट रहे थे। यहां चतुर्दशी का जल गांव के शिव मंदिर में चढ़ाना था।
हर कोई भोले के गीतों पर नाचते-गाते गांव की ओर बढ़ रहा था, लेकिन हंसी-खुशी का यह माहौल पल भर में मातम में फैल गया। हादसे में जान गंवाने वाले हिमांशु, महेंद्र, प्रशांत, लखमी और मनीष ने सोचा भी नहीं होगा कि वे गांव की ओर नहीं जा रहे हैं, बल्कि मौत उन्हें अपनी ओर खींच रही है। बताया जा रहा है कि रविवार सुबह उन्हें गांव जाना था, लेकिन मंदिर में पानी भर जाने के बाद फैसला लिया गया कि अब वह सीधे गांव जाएंगे।
डाक कांवड़ के 11 हजार केवी की हाईटेंशन लाइन से टकराने से हुए हादसे का शिकार हुए सभी लोग जल चढ़ाकर घर पहुंचने के उत्साह से भरे हुए थे। उन्हें नहीं पता था कि मौत गांव की दहलीज पर उनका इंतजार कर रही है। कांवड़िये गाते-बजाते गांव की ओर बढ़ रहे थे और ग्रामीण उनके स्वागत में भजन गा रहे थे, लेकिन गांव से महज एक किलोमीटर पहले सुबह 8.00 बजे के करीब यह हादसा हो गया।
हादसे की खबर सुनते ही परिजन मौके पर पहुंचे, बाकी परिजन चिल्लाते रहे और बेटों की सलामती की दुआ करते रहे, लेकिन छह कांवड़ियों की मौत हो गयी।
पोस्टमार्टम के बाद रविवार दोपहर जब छह शव एक साथ एंबुलेंस से गांव लाए गए तो हर किसी की आंखें नम हो गईं। पूरे गांव में हाहाकार मचा हुआ है। हादसे के बाद आसपास के अन्य गांवों के लोग भी राली चौहान पहुंच गए हैं।