Meerut : उत्तर प्रदेश में खत्म होगा मीटर रीडिंग का झंझट, जितनी बिजली की खपत-उतना बिल, ऑनलाइन जेनरेट होगा बिजली बिल

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के लोगों को अब गलत बिजली बिल और रीडिंग के झंझट से मुक्ति मिलेगी। जिले में स्मार्ट मीटर लगाने का काम जोरों पर चल रहा है। 2900 मीटर लगाए भी जा चुके हैं। जानिए कैसे इन स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं की परेशानी दूर होगी और कैसे बिजली चोरी पर लगाम लगेगी।
 
शहर में जल्द ही उपभोक्ताओं को गलत बिजली बिल और उसकी रीडिंग के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। नई तकनीक से स्मार्ट मीटर लगाने के लिए सर्वे का काम जोरों पर चल रहा है। शहर में 2900 मीटर लगाए जा चुके हैं। कई जगह सर्वे करने वाली टीम को लोगों की शंकाओं का भी सामना करना पड़ रहा है। आमतौर पर उपभोक्ताओं की शिकायत रहती है कि उनके बिजली बिल गलत आ रहे हैं। Read also:-Covid-19 XEC variant: वापस आ रहा है कोरोना वायरस, सर्दियों तक ले सकता है गंभीर रूप कोविड का नया स्ट्रेन, जानें लक्षण और असर

 

मीटर रीडरों पर मनमाने आंकड़े लेने का भी आरोप लगता रहता है। स्मार्ट मीटर लगने से यह सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। चीफ इंजीनियर धीरज सिन्हा ने बताया कि पुराने मीटर हटाकर नए मीटर लगाए जाएंगे। इनके लिए कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाएगा। 

 

हर महीने की आखिरी तारीख को बिल अपने आप जेनरेट हो जाएंगे 
स्मार्ट मीटर में मॉडम लगा है। जिसके जरिए महीने के आखिरी दिन खपत हुई बिजली का ऑनलाइन बिल जेनरेट होकर उपभोक्ता के मोबाइल नंबर पर भेज दिया जाएगा। गलत बिल आने की संभावना नहीं रहेगी। 

 

शहर में 3.64 लाख उपभोक्ता हैं, जिसमें से 1.12 लाख उपभोक्ताओं के यहां पहले से स्मार्ट मीटर लगे हुए हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीटर की जगह स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। मुख्य अभियंता जोन 2 सुनील कुमार गुप्ता ने बताया कि सरधना कस्बे में स्मार्ट मीटर लगाने का काम चल रहा है।

 

बिजली चोरी रोकने के लिए सभी फीडरों पर स्मार्ट मीटर लगाए गए
शहर में 51 विद्युत उपकेंद्रों पर 410 फीडर हैं। जहां से अलग-अलग मोहल्लों और क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की जाती है। सभी फीडरों पर स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। इसके जरिए हर घंटे लोड की जांच की जा रही है। जिन क्षेत्रों में लाइन लॉस अधिक है, वहां बिजली की खपत का आकलन करने और उसके सापेक्ष बिजली बिलों की वसूली में ये स्मार्ट मीटर कारगर साबित होंगे। इतना ही नहीं वितरण ट्रांसफार्मरों पर भी इन्हें लगाया जा रहा है। अब तक 183 मीटर लगाए जा चुके हैं।