मेरठ : एक साथ उठी 6 अर्थियां, शमशान घाट में जगह पड़ी कम, मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे में खत्म हो गए दो परिवार, किसी भी घर में नहीं जले चूल्हे

मेरठ जिले के गंगानगर क्षेत्र के धनपुर गांव में मातम पसरा हुआ है। हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि अगर परिवार कल घर से नहीं निकला होता तो शायद उनकी जान बच जाती। लेकिन कहते हैं न कि जो लिखा जाता है उसे कोई मिटा नहीं सकता। 
 
mrt
मेरठ जिले के गंगानगर क्षेत्र के धनपुर गांव में मातम पसरा हुआ है। गांव के किसी भी घर में न तो चूल्हा है बस पुरे गांव में दुःख का मौहाल है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आज तक इतनी बड़ी आपदा नहीं आई है। बता दें कि मंगलवार सुबह गाजियाबाद हाईवे पर हुए हादसे में गांव निवासी नरेंद्र, धर्मेंद्र दो भाइयों के परिवार के 6 लोगों की मौत हो गई। परिवार खाटू श्यामजी के दर्शन करने जा रहा था, तभी गलत साइड से आ रही बस के कारण हादसा हो गया। देर रात परिजन शव गांव पहुंचे और अंतिम संस्कार किया गया। यह दृश्य देखकर पूरा गांव रो पड़ा।READ ALSO:-दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर भीषण हादसा, 3 बच्चों समेत एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत, गलत साइड से आ रही स्कूल बस से टकराई कार, देखें VIDEO

 Ghaziabad Accident: Six people were cremated together in a sad atmosphere in Dhanpur village of Meerut

हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि अगर परिवार कल घर से नहीं निकला होता तो शायद उनकी जान बच जाती। लेकिन कहते हैं न कि जो लिखा जाता है उसे कोई मिटा नहीं सकता। ठीक ऐसा ही इस परिवार के साथ हुआ। बताया गया कि जब घर से एक साथ छह अर्थियां उठीं तो सभी की आंखें नम हो गईं। वहीं जब चिता श्मशान घाट पहुंची तो वहां जगह कम पड़ गई। 

 

गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार हुआ
धनपुर गांव में सुबह हादसे की जानकारी मिलने के बाद जयपाल यादव के घर में सिसकियां थमने का नाम नहीं ले रही थीं। हाहाकार मच गया। परिवार के छह सदस्यों की मौत के बाद किसी को समझ नहीं आ रहा कि पीड़ित परिवार को कैसे सांत्वना दी जाए? जयपाल के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे थे। 

 

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है
घरवाले कभी नरेंद्र का नाम लेते तो कभी बहुओं अनीता और बबीता का नाम ले कर रोने लगते। तीनों बच्चे कई बार दीपांशु, हिमांशु और वंशिका का नाम लेकर बदहवास से हो गए। परिचित और रिश्तेदार गमगीन हैं कि अचानक क्या हो गया। नरेन्द्र का पूरा परिवार ख़त्म हो गया। धर्मेंद्र की पत्नी और बेटी चली गईं। रात सवा नौ बजे शव गांव पहुंचा तो चीख पुकार मच गई।

 

तीन एंबुलेंस से आये शव
शवों को तीन एंबुलेंस से लाया गया। यह खौफनाक मंजर देखकर परिवार के लोग सहम गए। कुछ देर तक अर्थी रखने के बाद जब छह अर्थियां एक साथ उठीं तो पूरा गांव इकट्ठा हो गया। सभी की आंखों से आंसू बहने लगे। गांव के श्मशान घाट में एक साथ छह सामूहिक चिताएं बनाई गईं।

 

तीनों बच्चे विद्यापीठ ग्लोबल स्कूल में पढ़ते थे
दीपांशु, हिमांशु और वंशिका तीनों मवाना के विद्यापीठ ग्लोबल स्कूल में पढ़ते थे। दीपांशु ने इसी साल 88 फीसदी अंकों के साथ 10वीं पास की थी। बच्चे पढ़ाई में बहुत होनहार थे। हादसे में बच्चों की मौत की खबर जिसने भी सुनी सन्न रह गया। गांव के सभी लोग बच्चों के बारे में यही कहते रहे कि तीनों पढ़ने में बहुत तेज थे। 

 

दीपांशु तो जाना ही नहीं चाहता था
दीपांशु का खाटू श्याम के दर्शन करने का मन नहीं था। दोस्त राजन ने बताया कि दीपांशु पहले मना कर रहा था, सुबह अचानक चला गया। दीपांशु सेना में अफसर बनना चाहता था, इसके लिए उसने एनडीए की कोचिंग भी शुरू कर दी थी। गांव के लोग कह रहे थे कि अगर वह नहीं जाता तो बच जाता।