अगर कांच की दीवार न हो तो प्लेटफार्म पर खड़े यात्री हवा में उड़ जाएं, सुरंग में भी 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी नमो भारत
भूमिगत ट्रेन की रोमांचक यात्रा का अनुभव करें! 160 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चलने वाली नमो भारत ट्रेन में सुरक्षा सब से ऊपर है। कांच की दीवारें यात्रियों को सुरक्षित रखती हैं और मास स्प्रिंग सिस्टम कंपन को कम करता है। मेरठ सेंट्रल और भैंसाली स्टेशनों का के बारे पता करें और भविष्य की यात्रा के लिए तैयार हो जाएँ।
Sep 15, 2024, 00:50 IST
नमो भारत का भूमिगत ट्रैक एक अद्भुत इंजीनियरिंग और बेहद सुरक्षित तकनीक है। मसलन, अगर एंटी वाइब्रेशन और हवा के दबाव को खत्म करने वाली तकनीक न हो तो 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भूमिगत भैंसाली स्टेशन से गुजरने वाली ट्रेन के पास प्लेटफार्म पर खड़े यात्री हवा में उड़ जाएंगे। लेकिन कमाल की बात यह है कि हवा का एक झोंका भी यात्री को नहीं लगेगा। READ ALSO:-बिजनौर : सिरफिरे छात्रों ने प्रिंसिपल पर डंडे से किया हमला, शिक्षकों ने दबंग छात्रों के खिलाफ कराई रिपोर्ट दर्ज, एक छात्र पुलिस की हिरासत में.....
ट्रेन से सटे प्लेटफार्म पर कांच की दीवार भी होगी, ताकि यात्री किसी भी हालत में ट्रैक पर न गिर सकें। दैनिक जागरण की टीम ने भविष्य के रोमांचकारी सफर से पहले भूमिगत भैंसाली और मेरठ सेंट्रल स्टेशनों का निरीक्षण कर तकनीक को समझा। इन दोनों स्टेशनों पर सिर्फ मेट्रो रुकेगी जबकि नमो भारत दहाड़ते हुए गुजरेगी। इन दोनों स्टेशनों पर मेट्रो बीच वाले ट्रैक पर रुकेगी और नमो भारत साइड ट्रैक से गुजरेगी।
नमो भारत ट्रेन को हवा के दबाव से बचाने के लिए ट्रैक और प्लेटफार्म के बीच दीवार खड़ी की जाएगी। यह दीवार मजबूत कांच की होगी। इससे यात्री नमो भारत ट्रेन को जाते हुए तो देख सकेंगे, लेकिन उसकी हवा प्लेटफॉर्म की ओर नहीं आएगी। प्लेटफॉर्म पर उसका तेज कंपन भी महसूस नहीं होगा।
मास स्प्रिंग सिस्टम से कंपन कम होगा
सुरंगों में जब ट्रेन तेज गति से चलेगी, तब भी कंपन कम होगा। इसके लिए मास स्प्रिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। इसके लिए सुरंग में ट्रैक स्लैब बनाने से पहले सुरंग की सतह पर पहले कंक्रीट की एक परत बिछाई जाती है। इसके बाद इस परत पर मास स्प्रिंग शीट बिछाई जाती है और उसके ऊपर ट्रैक बिछाया जाता है। इस सिस्टम के लगने से कंपन कम से कम होता है।
सुरंगों में जब ट्रेन तेज गति से चलेगी, तब भी कंपन कम होगा। इसके लिए मास स्प्रिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। इसके लिए सुरंग में ट्रैक स्लैब बनाने से पहले सुरंग की सतह पर पहले कंक्रीट की एक परत बिछाई जाती है। इसके बाद इस परत पर मास स्प्रिंग शीट बिछाई जाती है और उसके ऊपर ट्रैक बिछाया जाता है। इस सिस्टम के लगने से कंपन कम से कम होता है।
रामलीला मैदान और गांधी बाग के पास भूमिगत चलेंगी ट्रेनें
दिल्ली रोड पर ब्रह्मपुरी मेट्रो स्टेशन के बाद रामलीला मैदान (मारुति शोरूम) से बेगमपुल स्टेशन के बाद गांधी बाग तक सुरंग बनाई गई है। भूमिगत हिस्से को दोनों तरफ एलिवेटेड वायडक्ट के रैंप से जोड़ा गया है। ट्रेन इन दोनों रैंप से जमीन में प्रवेश करेगी और यहां से निकलकर एलिवेटेड हिस्से पर चढ़ेगी।
दिल्ली रोड पर ब्रह्मपुरी मेट्रो स्टेशन के बाद रामलीला मैदान (मारुति शोरूम) से बेगमपुल स्टेशन के बाद गांधी बाग तक सुरंग बनाई गई है। भूमिगत हिस्से को दोनों तरफ एलिवेटेड वायडक्ट के रैंप से जोड़ा गया है। ट्रेन इन दोनों रैंप से जमीन में प्रवेश करेगी और यहां से निकलकर एलिवेटेड हिस्से पर चढ़ेगी।
अब भूमिगत हिस्से में होंगे
ये काम भूमिगत हिस्से में ट्रैक स्लैब लगने के बाद सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक्शन (ओएचई) लगाने की गतिविधियां शुरू की जाएंगी। इसके साथ ही ट्रेन संचालन और टिकटिंग आदि से जुड़े उपकरण भी लगाए जाएंगे। इसके साथ ही दो गेट बनाए जा रहे हैं और उन पर फिनिशिंग का काम किया जाएगा।
ये काम भूमिगत हिस्से में ट्रैक स्लैब लगने के बाद सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक्शन (ओएचई) लगाने की गतिविधियां शुरू की जाएंगी। इसके साथ ही ट्रेन संचालन और टिकटिंग आदि से जुड़े उपकरण भी लगाए जाएंगे। इसके साथ ही दो गेट बनाए जा रहे हैं और उन पर फिनिशिंग का काम किया जाएगा।
मेरठ सेंट्रल: तकनीकी कक्ष तैयार, तेजी से चल रहा काम
दिल्ली से आते समय पहला भूमिगत स्टेशन मेरठ सेंट्रल है, जो रामलीला मैदान से आगे है। इसने आकार ले लिया है। यह एक टापू जैसा प्लेटफार्म होगा, जिसके दोनों तरफ चार ट्रैक होंगे। दोनों तरफ की पटरियां नमो भारत ट्रेन के गुजरने के लिए होंगी, जबकि प्लेटफार्म के दोनों तरफ की पटरियां मेरठ मेट्रो ट्रेन के रुकने के लिए होंगी। दो प्रवेश-निकास द्वार बनाए जा रहे हैं। इनमें से एक की छत भी लगभग बनकर तैयार हो गई है, जबकि दूसरे पर काम चल रहा है। इस स्टेशन पर तकनीकी कक्ष भी लगभग बनकर तैयार हो गए हैं और फिनिशिंग का काम किया जा रहा है।
दिल्ली से आते समय पहला भूमिगत स्टेशन मेरठ सेंट्रल है, जो रामलीला मैदान से आगे है। इसने आकार ले लिया है। यह एक टापू जैसा प्लेटफार्म होगा, जिसके दोनों तरफ चार ट्रैक होंगे। दोनों तरफ की पटरियां नमो भारत ट्रेन के गुजरने के लिए होंगी, जबकि प्लेटफार्म के दोनों तरफ की पटरियां मेरठ मेट्रो ट्रेन के रुकने के लिए होंगी। दो प्रवेश-निकास द्वार बनाए जा रहे हैं। इनमें से एक की छत भी लगभग बनकर तैयार हो गई है, जबकि दूसरे पर काम चल रहा है। इस स्टेशन पर तकनीकी कक्ष भी लगभग बनकर तैयार हो गए हैं और फिनिशिंग का काम किया जा रहा है।
भैंसाली: लिफ्ट और उपकरण लगाए जा रहे हैं
भैंसाली बस डिपो के पास बने स्टेशन पर काफी भीड़ होने की उम्मीद है। तीन एंट्री-एग्जिट गेट बनाए जा रहे हैं। स्टेशन पर चार ट्रैक बनाए गए हैं, जिनमें से दो नमो भारत और बाकी मेट्रो ट्रेन के लिए होंगे। एक आइलैंड प्लेटफॉर्म होगा, जहां बीच की दो पटरियां मेट्रो के लिए होंगी जबकि दोनों साइड ट्रैक पर नमो भारत ट्रेन तेजी से दौड़ेगी। स्टेशन के टेक्निकल रूम भी लगभग बनकर तैयार हो चुके हैं। सीढ़ियों और लिफ्ट के लिए काम चल रहा है। फिनिशिंग का काम चल रहा है।
बेगमपुल: यहां आपको ध्यान रखना होगा कि कौन सी नमो भारत, कौन सी मेट्रो
बेगमपुल स्टेशन पर एक अलग अनुभव और एक अलग रोमांच होगा। नीचे उतरते ही सबसे पहले आपको एयर कंडीशन्ड मार्केट आकर्षित करेगी। यहां से जब आप प्लेटफॉर्म की तरफ बढ़ेंगे तो आपके लिए एक चुनौती होगी। यहां मेट्रो भी उसी प्लेटफॉर्म पर रुकेगी जहां नमो भारत रुकेगी। यात्री को यह ध्यान रखना होगा कि वह किस ट्रेन से यात्रा करना चाहता है। इसके लिए उन्हें ट्रेन की पहचान, उद्घोषक की आवाज और डिजिटल बोर्ड पर ध्यान देना होगा। बेगमपुल मेरठ में नमो भारत ट्रेन का एकमात्र भूमिगत स्टेशन है।
बेगमपुल स्टेशन पर एक अलग अनुभव और एक अलग रोमांच होगा। नीचे उतरते ही सबसे पहले आपको एयर कंडीशन्ड मार्केट आकर्षित करेगी। यहां से जब आप प्लेटफॉर्म की तरफ बढ़ेंगे तो आपके लिए एक चुनौती होगी। यहां मेट्रो भी उसी प्लेटफॉर्म पर रुकेगी जहां नमो भारत रुकेगी। यात्री को यह ध्यान रखना होगा कि वह किस ट्रेन से यात्रा करना चाहता है। इसके लिए उन्हें ट्रेन की पहचान, उद्घोषक की आवाज और डिजिटल बोर्ड पर ध्यान देना होगा। बेगमपुल मेरठ में नमो भारत ट्रेन का एकमात्र भूमिगत स्टेशन है।
साथ ही यह मेरठ का सबसे बड़ा भूमिगत स्टेशन और पूरे कॉरिडोर का सबसे गहरा स्टेशन है। इस स्टेशन पर सिर्फ दो ट्रैक हैं। आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम की मदद से नमो भारत और मेरठ मेट्रो का संचालन किया जाएगा। बड़ा व्यापारिक केंद्र होने के कारण इस स्टेशन पर चार एंट्री-एग्जिट गेट बनाए जा रहे हैं। स्टेशन के तकनीकी कक्ष भी लगभग बनकर तैयार हो चुके हैं। अंदर की सीढ़ियां भी लगभग बनकर तैयार हो चुकी हैं और लिफ्ट का काम भी चल रहा है। एयर कंडीशनिंग के लिए एसी डक्ट भी लगाए जा चुके हैं।