पवित्र संदूक को बचाने के लिए लगाई जान की बाजी, 800 लोगों की मौत
इथोपिया में एक पवित्र संदूक (Ark of covenant) को बचाने के लिए सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी। ये संदूक तिगरे क्षेत्र के सैंट मेरी चर्च में सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में सुरक्षित रहता है। ईसाई धर्म में इसे काफी पवित्र माना जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 800 लोगों को इस संदूक के लिए मार गिराया गया है और कई दिनों तक सड़कों पर इन लोगों की लाशें पड़ी रही, घटना नवंबर की है, लेकिन वहां इंटरनेट बंद होने के कारण उस वक्त दुनिया के सामने नहीं आ सकी थी। अब एक यूनिवर्सिटी के लेक्चरर इस भयावह घटना के बारे में जानकारी दी है।
गेटू माक नाम के इस यूनिवर्सिटी लेक्चरर ने टाइम्स वेबसाइट के साथ बातचीत में कहा कि नवंबर के महीने में इस क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा था, ऐसे में लोगों में डर था कि लुटेरे इस पवित्र संदूक को किसी दूसरे शहर ले जाएंगे और इसे खत्म कर देंगे। उसी दौरान एक दिन लोगों ने फायरिंग की आवाज सुनी, जिसके बाद भीड़ संदूक की रक्षा करने के लिए चर्च की तरफ भागी। माफ के मुताबिक लुटेरों ने किसी तरह का रहम नहीं दिखाया और ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस घटना में करीब 800 लोग मारे गए थे।
गौरतलब है कि ये घटना नवंबर महीने में हुई थी लेकिन उस समय इथोपिया के पीएम अहमद ने इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क की सेवाएं बंद कर दी थीं जिसके बाद से इथोपिया का पूरी दुनिया से कनेक्शन टूट गया था लेकिन अब इंटरनेट के मामले में वहां स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।
बता दें कि अहमद के सत्ता में आने के पहले इथोपिया पर 27 साल तक तिगरे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने शासन किया था। हालांकि तिगरे क्षेत्र की आबादी पूरे देश की आबादी का लगभग छह फीसदी ही है, लेकिन उस इलाके की ताकतों का राष्ट्रीय राजनीति पर लंबे समय तक वर्चस्व रहा है, हालांकि उनके शासनकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकार हनन की घटनाएं हुईं थीं। इससे तिगरे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) की सरकार अलोकप्रिय हुई और साल 2018 में अहमद सत्ता में आए।
इथोपिया के प्रधानमंत्री अबिय अहमद ने तिगरे क्षेत्र में सेना के एक शिविर पर हमले के बाद इस क्षेत्र में सेना को एक्शन लेने का आदेश दिया था। पीएम के सेना को दिए आदेश के बाद तिगरे क्षेत्र की मुख्य राजनीतिक पार्टी ने वहां के बलों को सेना की उत्तरी कमांड चौकी पर कब्जा कर लेने का आदेश दिया था। स्थानीय बलों ने वहां सेना के उपकरण हथिया लिए और वहां तैनात सैनिकों को बंदी बना लिया। उसके बाद से ही इस क्षेत्र में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है और कोरोना काल ने यहां के हालात और खराब किए हैं।
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