ग्रेटर नोएडा को मिला नया तोहफा: यमुना और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे को जोड़ने वाला इंटरचेंज बनेगा, नहीं लगेगा टोल

 बिना किसी अतिरिक्त टोल के मिलेगी दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के बीच तेज़ और सीधी कनेक्टिविटी; निर्माण कार्य शुरू, दिसंबर 2025 तक होगा पूरा
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Yamuna and Eastern Peripheral Expressway will now be connected, toll will not be charged
ग्रेटर नोएडा: यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के बीच कनेक्टिविटी को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। इन दोनों महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे को आपस में जोड़ने के लिए एक इंटरचेंज के निर्माण को कैबिनेट से हरी झंडी मिल गई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस इंटरचेंज का उपयोग करने वाले वाहनों से किसी भी प्रकार का टोल टैक्स नहीं वसूला जाएगा।READ ALSO:-महंगाई का झटका: घरेलू गैस सिलेंडर 50 रुपये महंगा, आज से नई दरें लागू

 

यमुना अथॉरिटी के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह ने इस परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के इंटरचेंज को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। यह इंटरचेंज यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर जगनपुर-अफजलपुर क्षेत्र में 60 हेक्टेयर जमीन पर बनाया जा रहा है। इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 270 करोड़ रुपये है और इसे 2025 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

 

यह आठ लूप वाला इंटरचेंज होगा, जिसमें चार लूप एक्सप्रेसवे पर चढ़ने के लिए और चार लूप उतरने के लिए बनाए जाएंगे। इस डिजाइन से इंटरचेंज पर वाहनों की आवाजाही में किसी प्रकार की बाधा या ट्रैफिक जाम की समस्या नहीं आएगी। इसके अलावा, यह इंटरचेंज जेवर में बन रहे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और अन्य विकासशील क्षेत्रों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इस कनेक्टिविटी से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और यमुना एक्सप्रेसवे से जुड़ने वाले विभिन्न शहरों के बीच यातायात सुगम होगा, जिससे लोगों के समय और ईंधन दोनों की बचत होगी।

 

यमुना अथॉरिटी के सीईओ ने यह भी स्पष्ट किया कि इस इंटरचेंज पर वाहनों से कोई अतिरिक्त टोल नहीं लिया जाएगा। हालांकि, यमुना एक्सप्रेसवे या ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर चढ़ने या उतरने के लिए पहले से निर्धारित टोल दरें ही लागू रहेंगी। इसका मतलब है कि इंटरचेंज का उपयोग करने पर यात्रियों को कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।

 

इस परियोजना से किसानों को भी लाभ हुआ है। सीईओ ने बताया कि इंटरचेंज के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। 77 किसानों को उनकी जमीन के बदले 7% आबादी के भूखंड पहले ही दिए जा चुके हैं, जबकि 60 अन्य किसानों को मार्च महीने में भूखंड आवंटित कर दिए गए थे। अब इस इंटरचेंज के निर्माण में कोई बड़ी बाधा नहीं रह गई है।

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इस इंटरचेंज के बनने से मथुरा और आगरा की ओर से आने वाले यात्रियों को ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर जाने के लिए लगभग 20 किलोमीटर का लंबा चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। इसी तरह, दुहाई और डासना की ओर से आने वाले वाहन भी सीधे यमुना एक्सप्रेसवे तक आसानी से पहुंच सकेंगे, जिससे उनके यात्रा समय और ईंधन की बचत होगी। यह परियोजना क्षेत्र के विकास और कनेक्टिविटी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
SONU

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