मेरठ और मुजफ्फरनगर में बनेगा उत्तर प्रदेश का पहला डॉल्फिन रिसर्च सेंटर, बढ़ेगा परिवार

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश का पहला डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र बनाने की तैयारी चल रही है। यह केंद्र डॉल्फिन को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के उद्देश्य से बनाया जाएगा। हस्तिनापुर और मुजफ्फरनगर में हस्तिनापुर अभ्यारण्य में जमीन चिह्नित कर ली गई है। इन्हीं दो स्थानों में से एक पर यह केंद्र बनाया जाना है।
 | 
DOLPHIN RESEARCH CENTER
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश का पहला डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र बनाने की तैयारी चल रही है। यह केंद्र डॉल्फिन को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के उद्देश्य से बनाया जाएगा। हस्तिनापुर और मुजफ्फरनगर में हस्तिनापुर अभ्यारण्य में जमीन चिह्नित कर ली गई है। इन्हीं दो स्थानों में से एक पर यह केंद्र बनाया जाना है। यहां गंगा नदी में आने वाली डॉल्फिन हमेशा से पर्यटकों का ध्यान खींचती रही हैं। इस लिहाज से भी यह केंद्र काफी महत्वपूर्ण होगा। राज्य सरकार से प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।READ ALSO:-बिजनौर : 6 साल की बच्ची से शौचालय में बेरहमी से गैंगरेप, दूसरे समुदाय के तीन किशोरों पर आरोप; भेजा गया सुधर गृह, हिंदू संगठनों ने जताया विरोध

 

मेरठ के हस्तिनापुर की अलग पहचान है। गंगा नदी में कछुओं और मगरमच्छों के साथ डॉल्फिन भी अठखेलियां करती नजर आती हैं। अब इनके संरक्षण के साथ ही इनकी आबादी बढ़ाने की तैयारी है। वन विभाग की ओर से यूपी सरकार को डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि मेरठ के हस्तिनापुर और मुजफ्फरनगर में जमीन का चयन कर लिया गया है। मंजूरी मिलते ही इनमें से किसी एक स्थान पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

 

अपर गंगा नदी के क्षेत्र में 52 डॉल्फिन 
ईटीवी भारत से बातचीत में डीएफओ ने बताया कि अपर गंगा नदी का क्षेत्र बिजनौर बैराज से बुलंदशहर के नरौरा बैराज तक है. 2020 की गणना में इस क्षेत्र में करीब 40 डॉल्फिन थीं. 2023 में 50 हो जाएंगी. जबकि इस गणना में 52 डॉल्फिन मिली हैं. इनमें 5 से 6 उनके छोटे बच्चे भी शामिल हैं. इस क्षेत्र का 80 फीसदी हिस्सा हस्तिनापुर सेंक्चुरी में आता है. आगे हापुड़ के गढ़ गंगा से लेकर बुलंदशहर जिले के नरौरा तक वन विभाग डॉल्फिन के संरक्षण पर काम कर रहा है. 

 

मेरठ में 5 डॉल्फिन हॉटस्पॉट
डीएफओ ने बताया कि गणना के दौरान कुछ समीक्षाएं भी ली गईं. अगर डॉल्फिन हॉटस्पॉट की बात करें तो लगभग हर जिले में कुछ ऐसे स्थान चुने गए हैं, जहां डॉल्फिन देखी जा सकती हैं. मेरठ जिले में ऐसे 5 हॉटस्पॉट हैं. डॉल्फिन मित्र बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है. गंगा नदी के किनारे बसे गांवों के लोगों को जोड़ा जाएगा। इसके लिए एक कोष भी बनाया गया है।

 

डॉल्फिन मित्र भी बनाए जाएंगे 
डीएफओ ने बताया कि जिस तरह टाइगर रिजर्व में बाघ मित्र होते हैं, उसी तरह डॉल्फिन मित्र भी बनाए जाएंगे। डॉल्फिन हमें नदी की सेहत के बारे में भी बताती हैं। वहीं, पहले हस्तिनापुर में देश का पहला डॉल्फिन प्रजनन केंद्र बनाने की योजना थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। बिहार के भागलपुर में डॉल्फिन बचाव एवं संरक्षण केंद्र है, लेकिन वहां अभी भी प्रजनन केंद्र नहीं है।

 KINATIC

भारत सरकार ने वर्ष 2009 में गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। इसकी खासियत यह है कि यह स्वच्छ जल में रहने वाला स्तनधारी जीव है। गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फिन समुद्र में पाई जाने वाली डॉल्फिन से अलग होती हैं। गंगा नदी डॉल्फिन को सामाजिक जीव कहा जाता है, यह कभी-कभी नाव या पानी में तैर रहे इंसानों के करीब आ जाती है और उनके साथ तैरने लगती है। इन्हें इंसानों से प्यार होता है। ये किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।
SONU

देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें अब पाएं अपने WHATSAPP पर, क्लिक करें। Khabreelal के Facebookपेज से जुड़ें, Twitter पर फॉलो करें। इसके साथ ही आप खबरीलाल को Google News पर भी फॉलो कर अपडेट प्राप्त कर सकते है। हमारे Telegram चैनल को ज्वाइन कर भी आप खबरें अपने मोबाइल में प्राप्त कर सकते है।