मेरठ: सांसद बाजपेयी की पहल पर 21 दिन बाद फिर दौड़ी राज्यरानी एक्सप्रेस, पहले दिन यात्रियों से खचाखच भरी रही ट्रेन
कानपुर में काम के चलते 43 दिन के लिए की गई थी निरस्त, दैनिक जागरण की खबर और सांसद की वार्ता के बाद रेल मंत्री ने दिया संचालन का आदेश, यात्रियों में खुशी संग क्षोभ भी
Apr 11, 2025, 21:49 IST
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मेरठ, शुक्रवार (11 अप्रैल, 2025): मेरठ और लखनऊ के बीच यात्रा करने वाले हजारों यात्रियों के लिए गुरुवार का दिन बड़ी राहत लेकर आया। राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी के प्रयासों और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के हस्तक्षेप के बाद, मेरठ-लखनऊ राज्यरानी एक्सप्रेस (11205/11206) का संचालन 21 दिनों की निरस्ती के बाद गुरुवार सुबह मेरठ सिटी स्टेशन से पुनः आरंभ हो गया। पहले दिन ट्रेन यात्रियों से पूरी तरह भरी हुई रवाना हुई, जो इस रूट पर इसकी महत्ता को दर्शाता है। हालांकि, यात्रियों में ट्रेन चलने की खुशी तो थी, लेकिन इसे बार-बार बिना ठोस वजह के निरस्त किए जाने को लेकर गहरा क्षोभ भी व्यक्त किया।Read also:-मेरठ सौरभ हत्याकांड: आरोपी मुस्कान 5-7 हफ्ते की गर्भवती, हाई सिक्योरिटी में लाई गई मेडिकल कॉलेज
निरस्तीकरण का कारण और विवाद
रेलवे प्रशासन ने कानपुर सेंट्रल के पास ब्रिज संख्या 111 पर चल रहे मरम्मत कार्य का हवाला देते हुए 19 मार्च से लखनऊ-कानपुर रूट की कई ट्रेनों को निरस्त या रूट परिवर्तित किया था। इसी क्रम में राज्यरानी एक्सप्रेस को भी, जो सीधे तौर पर इस प्रभावित रूट का हिस्सा नहीं है, आश्चर्यजनक रूप से पूरे 43 दिनों के लिए निरस्त कर दिया गया था। इस फैसले से प्रतिदिन इस ट्रेन से मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर और लखनऊ के बीच यात्रा करने वाले औसतन छह से साढ़े छह हजार यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
सांसद का हस्तक्षेप और रेल मंत्री का संज्ञान
दैनिक जागरण समाचार पत्र द्वारा इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाए जाने के बाद, राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी ने मामले की पैरवी की। उन्होंने पहले रेल मंत्रालय के अधिकारियों और फिर सीधे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से वार्ता कर उन्हें यात्रियों की परेशानी और ट्रेन को निरस्त करने के तर्क पर सवाल उठाया। यात्रियों की समस्या का संज्ञान लेते हुए रेल मंत्री ने तत्काल ट्रेन का संचालन बहाल करने के निर्देश दिए। फलस्वरूप, निरस्तीकरण की घोषणा के 43 दिनों की अवधि पूरी होने से पहले ही, महज 21 दिनों की बंदी के बाद ट्रेन गुरुवार को फिर से पटरी पर लौट आई। ट्रेन का प्राइमरी मेंटीनेंस लखनऊ और सेकेंडरी मेंटीनेंस मेरठ में होगा।
पहले दिन दिखा भारी उत्साह, वंदे भारत रही खाली
ट्रेन संचालन की बहाली का निर्णय 8 अप्रैल की रात को हुआ और 9 अप्रैल से इसमें रिजर्वेशन शुरू कर दिए गए। गुरुवार सुबह जब ट्रेन मेरठ सिटी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर चार पर आई, तो टिकट खिड़की पर लंबी कतारें लग गईं। ट्रेन लगभग पूरी तरह भरकर रवाना हुई। वहीं, इसके ठीक विपरीत, प्लेटफॉर्म नंबर एक पर खड़ी लखनऊ जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस में अधिकांश सीटें खाली दिखाई दीं, जो राज्यरानी की लोकप्रियता और जरूरत को रेखांकित करता है।
यात्रियों की प्रतिक्रिया: खुशी और गुस्सा
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मयंक (छात्र, वेटनरी कॉलेज, मोदीपुरम): "कई दिनों से नौचंदी एक्सप्रेस में रिजर्वेशन नहीं मिल रहा था, वेटिंग थी। कल अखबार में राज्यरानी चलने की सूचना देखकर तुरंत रिजर्वेशन कराया। हम छात्रों के लिए यह सबसे अच्छी और सुविधाजनक ट्रेन है।"
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अनुज शर्मा (सेल्स मैनेजर, आदर्श नगर): "मेरा काम के सिलसिले में बरेली, मुरादाबाद, लखनऊ अक्सर आना-जाना होता है। ट्रेन बंद होने से रोडवेज बस से महंगा और कष्टदायक सफर करना पड़ रहा था। सबसे बड़ी समस्या यह है कि रेलवे अक्सर इस महत्वपूर्ण ट्रेन को निरस्त कर देता है।"
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दिनेश गोस्वामी (व्यवसायी, पांडव नगर): "लखनऊ जाने के लिए कई दिन से सोच रहा था। कल ही पता चला कि ट्रेन फिर से चल गई है। मध्यम वर्ग के यात्रियों के लिए नौचंदी और राज्यरानी ही लखनऊ रूट की लाइफलाइन हैं। इनके निरस्त होने से आम यात्री बहुत परेशान होता है।"
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अभिषेक श्रीवास्तव (मेडिकल निवासी): "रेलवे का तर्क समझ से परे है। काम कानपुर में चल रहा है और रद्द कर दी लखनऊ तक जाने वाली ट्रेन। आप खुद देख लीजिए, सिर्फ एक दिन पहले सूचना मिलने पर भी ट्रेन कितनी भरी हुई है।"
राज्यरानी एक्सप्रेस का पुनः संचालन निस्संदेह एक स्वागत योग्य कदम है, जिसने हजारों यात्रियों को राहत दी है। हालांकि, यात्रियों की प्रतिक्रिया और ट्रेन की मांग यह दर्शाती है कि रेलवे को भविष्य में इस तरह की महत्वपूर्ण ट्रेनों को निरस्त करने से पहले अधिक संवेदनशील और तार्किक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
