मेरठ: ग्रामीण डाक सेवक भर्ती...STF ने कार्रवाई कर बड़े रैकेट का किया भंडाफोड़, 13 गिरफ्तार, अभ्यर्थियों से लेते थे 4 लाख
उत्तर प्रदेश के मेरठ में STF मेरठ ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए लोगों को डाक विभाग में नौकरी दिलवाता था। गिरोह के 5 सदस्यों और 6 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया है। सभी 13 आरोपियों को अलीगढ़ पुलिस के हवाले कर दिया गया है। अलीगढ़ के डाक अधीक्षक की मिलीभगत सामने आई है।
Oct 1, 2024, 14:55 IST
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उत्तर प्रदेश में मेरठ एसटीएफ ने जिले में बड़ी कार्रवाई की है। एसटीएफ ने देशभर में चल रही ग्रामीण डाक सेवक की भर्ती में फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी पाने वाले 13 लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। एसटीएफ के मुताबिक गिरोह के सदस्य डाक अधीक्षक अलीगढ़ से सेटिंग कर इस फर्जीवाड़े को अंजाम देते थे। एसटीएफ ने अभ्यर्थी के फिजिकल डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के समय सभी को पकड़ा है। देशभर में 44 हजार 228 पदों पर यह भर्ती हो रही है। अभी उत्तर प्रदेश में 5 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। READ ALSO:-गोमूत्र पीने पर ही मिलेगी गरबा में एंट्री, BJP नेता के बयान से मचा बवाल, जानिए क्या है गौमूत्र पिलाने की वजह?
डाक अधीक्षक भी बनाए गए आरोपी
एसटीएफ एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि डाक विभाग में जीडीएस भर्ती का नोटिफिकेशन 15 जुलाई 2024 को आया था। भर्ती की मेरिट लिस्ट 23 अगस्त 2024 को जारी हुई थी। गिरोह के सदस्य अभ्यर्थी को फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी दिलाते थे। डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह को भी आरोपी बनाया गया है।
एसटीएफ एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि डाक विभाग में जीडीएस भर्ती का नोटिफिकेशन 15 जुलाई 2024 को आया था। भर्ती की मेरिट लिस्ट 23 अगस्त 2024 को जारी हुई थी। गिरोह के सदस्य अभ्यर्थी को फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी दिलाते थे। डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह को भी आरोपी बनाया गया है।
डाक अधीक्षक का कार चालक करता था सेटिंग
एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि गिरोह का संचालन अमरोहा का साजिद और हापुड़ का साकिब कर रहे थे। साजिद अली फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार करता था। उन्हें ऑनलाइन डाटा में अपलोड कराता था। साकिब अभ्यर्थियों को लाता था।
एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि गिरोह का संचालन अमरोहा का साजिद और हापुड़ का साकिब कर रहे थे। साजिद अली फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार करता था। उन्हें ऑनलाइन डाटा में अपलोड कराता था। साकिब अभ्यर्थियों को लाता था।
इस पूरे घोटाले में मैनपुरी के डाक अधीक्षक विकल यादव का ड्राइवर विभाग में सेटिंग करता था। साजिद 2023 में डाक अधीक्षक रहे और वर्तमान में सीपीएम झांसी में कार्यरत देवेंद्र कुमार के पास जाता था। तब उसकी मुलाकात विकल से हुई थी। वर्तमान में विकल अलीगढ़ में तैनात डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह की गाड़ी चलाता है।
गिरोह के सदस्य साजिद ने विकल को बताया कि ग्रामीण डाक सेवक की भर्ती के लिए दस्तावेज सत्यापन आने वाला है। विकल ने दस्तावेज सत्यापन के लिए साजिद से प्रति अभ्यर्थी एक लाख रुपये में सौदा तय किया। विकल ने यह बात डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह को बताई तो वह दस्तावेज सत्यापन करने के लिए तैयार हो गए। इनमें से कुछ अभ्यर्थियों का उन्होंने प्रथम स्तर का सत्यापन कर लिया था और अब दूसरे स्तर के सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है।
प्रत्येक अभ्यर्थी से लेते थे चार लाख रुपये: एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि गिरोह के सदस्य प्रत्येक अभ्यर्थी से चार लाख रुपये लेते थे। आरोपियों से अभी पूछताछ की जा रही है। गिरोह में कौन-कौन लोग शामिल हैं, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। आरोपियों के पास से कई राज्यों के फर्जी प्रमाण पत्र बरामद हुए हैं। इनमें 18 फर्जी मार्कशीट (Bihar Open Schooling and Examination Board Patna) हैं। एक मार्कशीट पश्चिम बंगाल काउंसिल ऑफ रवींद्र मुक्त विद्यालयी शिक्षा की फर्जी है।
इसके अलावा आरोपी साजिद के मोबाइल से सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ, राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड पटना और पश्चिम बंगाल काउंसिल ऑफ रवींद्र मुक्त विद्यालयी शिक्षा की मार्कशीट की सॉफ्ट कॉपी भी बरामद हुई है। इन्हें प्रिंट कर फर्जी तरीके से भर्ती परीक्षा में इस्तेमाल किया जाता था।