मेरठ : चार हाथ और चार पैर वाला अनोखा बच्चा, बड़े हॉस्पिटल्स ने खड़े किए हाथ, 60 हजार डिलीवरी में आता है एक ऐसा केस....
चार हाथ और चार पैर वाले अनोखे दिखने वाले बच्चे के जन्म के बाद, माता-पिता बच्चे को जिला अस्पताल मुजफ्फरनगर ले गए, लेकिन वहां से उसे मेडिकल कॉलेज, मेरठ रेफर कर दिया गया। यहां इस बच्चे का इलाज जारी है।
Nov 11, 2023, 00:05 IST
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4 हाथ और 4 पैर वाले एक बच्चे को मेरठ के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। मुजफ्फरनगर की महिला ने 6 नवंबर को इस बच्चे को जन्म दिया था। विकृत बच्चे को देखकर परिजन घबरा गए और उसे इलाज के लिए मेरठ मेडिकल कॉलेज ले आए। मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ. वी.डी. पांडे ने बताया कि छह नवंबर को उनके मुजफ्फरनगर स्थित घर पर एक नवजात शिशु का जन्म हुआ। बच्चे के जन्म के बाद बताया गया कि नवजात के 04 हाथ और 04 पैर हैं। माता-पिता बच्चे को मुजफ्फरनगर के जिला अस्पताल ले गए, लेकिन वहां से उसे मेडिकल कॉलेज, मेरठ रेफर कर दिया गया।READ ALSO:-दीपावली के सीजन पर वायरल फीवर से रहें सावधान, क्या ये कोरोना का नया वेरिएंट तो नहीं?
मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. नवरतन गुप्ता ने कहा कि इस प्रकार की विकृति जुड़वां बच्चे की जटिलता है। इसमें एक बच्चे का शरीर पूरी तरह से विकसित था लेकिन दूसरे बच्चे के केवल धड़ के निचले हिस्से का विकास अधूरा था और धड़ का ऊपरी हिस्सा विकसित नहीं हुआ बल्कि एक में जुड़ गया। वहीं, ऐसा प्रतीत होता है कि एक बच्चे के चार हाथ और चार पैर हैं, लेकिन दो हाथ और दो पैर दूसरे अविकसित बच्चे के हैं।
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— MK Vashisth-Managing Editor-Khabreelal Media & PR) (@vadhisth) November 10, 2023
नवरतन गुप्ता ने बताया कि इस प्रकार की जन्मजात विकृति 50 से 60 हजार बच्चों में से एक में ही होती है। यदि माता-पिता का पहला और दूसरा बच्चा सामान्य है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उनके अगले जन्म वाले बच्चों में जटिलताएँ नहीं होंगी। वहीं, बच्चे के पिता अपने बच्चे का मेडिकल कॉलेज में किसी तरह का इलाज कराना चाहते हैं. उनकी इच्छा है कि इस बच्चे के अतिरिक्त अंगों को सर्जरी के जरिए निकालकर उसे सामान्य जीवन और दैनिक दिनचर्या के सभी कार्यों के लिए सक्षम और सामाजिक स्वीकृति के अनुरूप बनाया जाए।
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ एवं विभागाध्यक्ष डॉ. रचना चौधरी ने कहा कि गर्भधारण के बाद भारत सरकार जननी सुरक्षा योजना के माध्यम से आम जनता में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही है। किसी भी गर्भवती महिला को पहले तीन महीनों के दौरान एक बार, चार से छह महीने के बीच एक बार और सात से नौ महीने के बीच दो बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/जिला अस्पताल/मेडिकल कॉलेज में स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। सलाह लें और मुफ़्त दवाओं और व्यवस्थाओं का लाभ उठाएँ। गर्भवती महिला के लिए पहले तीन महीने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, जिसमें कुछ दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। इसके सेवन से शिशुओं की जन्मजात विकृतियां कम हो जाती हैं।
मेडिकल कॉलेज मेरठ के प्रिंसिपल डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि बच्चे के इलाज के प्रयास किए जा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टरों ((Paediatrician/Paediatric Surgeon/Plastic Surgeon/Anaesthesiologist) की टीम के संयुक्त प्रयास से बच्चे को सामान्य बनाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।