मेरठ पुलिस के वीर इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा पर भ्रष्टाचार का मुकदमा, ट्रक चोरी के मुकदमे में लाखों की डील में फंसे

भष्टाचार के आरोप में फंसे इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा को बीती 15 अगस्त को यूपी के डीजीपी ने वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया था। यह पदक उन्हें कंकरखेड़ा का इंस्पेक्टर रहते कुख्यात शक्ति नायडू को एनकाउंटर में मार गिराने के लिए दिया गया।

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मेरठ पुलिस विभाग में चरम पर पहुंच चुके भ्रष्टाचार को खत्म करने में जुटे एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए सदर बाजार थाने के इंस्पेक्टर बिजेंद्र राणा और एक हेड कांस्टेबल के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया गया है। हेड कांस्टेबल को 30 हजार रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ लिया गया, लेकिन मुकदमा दर्ज होते ही इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा फरार हो गए। Read Also : UP चुनाव से पहले होगी किसी बड़े हिंदू नेता की हत्या: राकेश टिकैत ने किया विवादित दावा

 

खास बात यह है कि भष्टाचार के आरोप में फंसे इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा को बीती 15 अगस्त को यूपी के डीजीपी ने वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया था। यह पदक उन्हें कंकरखेड़ा का इंस्पेक्टर रहते कुख्यात शक्ति नायडू को एनकाउंटर में मार गिराने के लिए दिया गया। इतना ही नहीं इंस्पेक्टर सदर बिंजेंद्र सिंह राणा ने थाने पर पोस्टर  चस्पा कराए थे जिसपर लिखा था हमारा थाना अब भ्रष्टाचार से मुक्त है। 

 

ट्रक चोरी की एफआईआर से जुड़ा है मामला

यह पूरा मामला बीमे की रकम वसूलने के लिए सदर थाने में दर्ज हुई ट्रक चोरी की एफआईआर से जुड़ा हुआ है। दरअसल फरवरी माह में गाजियाबाद के रहने वाले ट्रक चालक अब्दुल सलाम  ने सदर बाजार थाने में अपना ट्रक चाेरी होने की एफआईआर लिखवाई थी। जब सदर बाजार पुलिस ने मामले की जांच की तो पता चला कि ट्रक चोरी नहीं हुआ था, बल्कि ट्रक मालिक ने बीमे की रकम वसूलने के लिए झूठी रिपोर्ट लिखवाई है और ट्रक को कटवा दिया है। Read Also : UP: 5 सीएम, 20 जातियों के 20 डिप्टी सीएम, 5 साल तक घरेलू बिजली बिल माफ़; चिकित्सा-शिक्षा फ्री

 

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सच्चाई सामने आने पर भी आरोपी को छोड़ दिया

हालांकि सच्चाई सामने आने के बावजूद सदर बाजार पुलिस ने आरोपी चालक अब्दुल सलाम पर कार्रवाई करने की जगह एफआर लगा दी। इसके बाद पुलिस ने ट्रक चालक अब्दुल सलाम की निशानदेही पर ट्रक काटने के आरोप में मुजफ्फरनगर निवासी वसीम को उठा लिया। बाद में पता चला कि ट्रक चालक अब्दुल सलाम ने यहां भी झूठ बोला और वसीम को फर्जी फंसाया है। वसीम ने कोई ट्रक नहीं काटा था, लेकिन पुलिस ने अब्दुल सलाम से मिलीभगत कर वसीम को परेशान करना शुरू कर दिया और केस रफा-दफा करने की एवज में उससे रिश्वत मांगी, पैसा न देने पर उसे जेल भेजने की धमकी दी। Read ALso : Jio Phone Next की प्री-बुकिंग इसी हफ्ते होगी शुरू, Rs.500 से भी कम देना होगा एडवांस, बाकी पैसा EMI में चुकाएं

 

इंस्पेक्टर ने लिए 1 लाख रुपये

वसीम ने इस पूरे मामले की शिकायत एसएसी प्रभाकर चौधरी से की। वसीम ने आरोप लगाया कि सदर बाजार इंस्पेक्टर ने ट्रक मालिक से 1 लाख रुपये लेकर उसे छोड़ दिया, लेकिन उसे इस मामले में फंसा रहे हैं। हेड कॉन्स्टेबल मनमोहन उससे भी 50 हजार रुपये ले चुका है अब और पैसे मांग रहा है और न देने पर जेल भेजने की धमकी दे रहा है।

 

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हेडकांस्टेबल मनमोहन को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ दबोच

इसके बाद एसएसपी के आदेश पर एस मामले की जांच शुरू हुई तो पता चला कि मामले में फाइनल रिपोर्ट वर्तमान इंस्पेक्टर बिजेंद्र राणा के कार्यकाल में लगी है और उनके भ्रष्टाचार में शामिल होने के सबूत भी मिले हैं। इसके बाद पुलिस ने जाल बिछाते हुए हेडकांस्टेबल मनमोहन को 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ दबोच लिया। एसपी सिटी ने आरोपी हेड कांस्टेबल से पूछताछ की और बयान की रिकॉर्डिंग की। रातभर मनमोहन सदर बाजार थाने के हवालात में बंद रहा, आज उसे कोर्ट में पेश किया गया। उधर मामले की जानकारी लगते ही इंस्पेक्टर विजेंद्र राणा फरार हो गए। 

 

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117 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो चुकी है

एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने 16 जून 2021 को प्रभाकर चौधरी ने मेरठ में बतौर एसएसपी की कमान संभाली। वे भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। अभी तक इंस्पेक्टर, दरोगा व सिपाहियों समेत 117 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो चुकी है।75 ऐसे पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया था जो लंबे समय से एक ही थाने में जमे थे। एसएसपी ने साफ निर्देश दे रखे हैं कि यदि कोई पुलिसकर्मी लापरवाही या भ्रष्टाचार करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

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इन नंबरों पर करें शिकायत

SSP प्रभाकर चौधरी ने अपना सीयूजी नंबर 94 5440 0297 जारी करते हुए जनता से कहा था कि वे किसी भी शिकायत की वीडियो या फोटो उपलब्ध करा सकते हैं। इस नंबर की मॉनिटरिंग खुद एसएसपी कर रहे हैं। इसके अलावा  8077974308 व्हाट्सएप नंबर पर भी लोग थानों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की शिकायत कर सकते हैं। पासपोर्ट सत्यापन, एफआइआर दर्ज करने, विवेचना में धारा घटाने और बढ़ाने या नाम निकालने अथवा जोड़ने, चरित्र प्रमाण पत्र, शस्त्र लाइसेंस या अन्य किसी कार्य हेतु यदि पुलिसकर्मी अवैध धन की मांग करता है, तब इस वाट्सएप नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायतकर्ता का नाम-पता गोपनीय रखा जाएगा। इस नंबर पर जमीन संबंधित शिकायत मान्य नहीं होगी।

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