अरशद मदनी की तालिबानी सोच: कहा- बेटियों को अश्लीलता से बचाना है तो गैर मुस्लिम उन्हें लड़कों के साथ न पढ़ाएं

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) के अध्यक्ष  मदनी ने लड़कियों के लिए अलग स्कूलों की वकालत करते हुए सभी गैर मुस्लिमों से अपील की है कि वे को-एड स्कूलों में अपनी बेटियों को न भेजें।
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एक तरफ देश में बेटियों को देश के सैनिक स्कूलों में पढ़ाने की तैयारी की जा रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ तालिबानी सोच के लोगों को लड़कियों के को-एड स्कूलों (जहां लड़के-लड़कियां साथ पढ़ते हैं) में पढ़ने से परेशानी हो रही है। ये लोग भारत में तालिबानी तौर-तरीके लागू कराने की पैरवी कर रहे हैं और बेशर्मी की हद यह है कि वे खुलकर दूसरों को इसकी नसीहत भी दे रहे हैं। Read ALso : चिंता की खबर : साउथ अफ्रीका में मिला कोविड का नया C.1.2 वेरिएंट, वैक्सीन लगवा चुके लोगों के लिए भी गंभीर खतरा

हम जिस तालिबानी सोच के शख्स की बात कर रहे हैं वह और कोई नहीं बल्कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) के अध्यक्ष अरशद मदनी हैं। मदनी ने लड़कियों के लिए अलग स्कूलों की वकालत करते हुए सभी गैर मुस्लिमों से अपील की है कि वे को-एड स्कूलों में अपनी बेटियों को न भेजें। इस मौलाना का कहना है कि बेटियों को छेड़छाड़ और अश्लीलता से बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है। Read ALso : BSP ने टिकट बंटवारे का तरीका बदला : दावेदार को बताना होगा समाज के लिए क्या किया.. इन बातों का भी देना होगा जवाब

मदनी बोले- बनाए जाएं अलग शिक्षण संस्‍थान
जेयूएच की कार्यसमिति की बैठक के दौरान बालक-बालिकाओं के लिए स्कूल-कॉलेजों की स्थापना, विशेष रूप से लड़कियों के लिए धार्मिक वातावरण में अलग-अलग शिक्षण संस्थान और समाज में सुधार के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यसमिति की बैठक के बाद जारी एक प्रेस बयान में मदनी ने कहा कि, 'अनैतिकता और अश्लीलता किसी धर्म की शिक्षा नहीं है। दुनिया के हर धर्म में इसकी निंदा की गई है, क्योंकि यही चीजें हैं जो देश में दुर्व्यवहार फैलाती हैं। इसलिए, हम अपने गैर-मुस्लिम भाइयों से भी कहेंगे कि वे अपनी बेटियों को अनैतिकता और दुर्व्यवहार से दूर रखने के लिए सह-शिक्षा देने से परहेज करें और उनके लिए अलग शिक्षण संस्थान स्थापित करें।' 

मदनी ने कहा कि आज की स्थिति में लोगों को अच्छे मदरसों और उच्च धर्मनिरपेक्ष शिक्षण संस्थानों की जरूरत है, जिसमें बच्चों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान किए जा सकें। मुसलमानों को अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर उच्च शिक्षा से लैस करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हमें ऐसे स्कूलों और कॉलेजों की सख्त जरूरत है, जहां हमारे बच्चे, खासकर लड़कियां बिना किसी बाधा या भेदभाव के उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।'

अरशद मदनी ने यह अपील ऐसे समय की है जब भारत में तो देश के सभी सैनिक स्कूलों के दरवाजे अब लड़कियों के लिए भी खुल गए हैं वहीं, तालिबान ने अफगानिस्‍तान में सह-शिक्षा पर बंदिश लगा दी है। यह फरमान भी जारी किया है कि वहां पुरुष बेटियों या महिला छात्रों को नहीं पढ़ाएंगे। लड़के और लड़कियों को साथ पढ़ने की इजाजत नहीं होगी। यह कदम प्राइमरी से लेकर यूनिवर्सिटी लेवल तक लागू होगा।

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