पंजशीर पर कब्जा करने निकले तालिबानी लड़ाका, जवाबी कार्रवाई में 300 तालिबानी मारे गए

पंजीशर के स्थानीय लोगों ने तालिबान के खिलाफ जंग छेड़ दी है। उन्होंने रास्ते में घात लगाकर हमला किया, जिस हमले में करीब 300 तालिबानी लड़ाकाओं के मारे जाने की खबर है। 

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Afghanistan vs Taliban: पूरे विश्व की नजरें इस समय अफगानिस्तान पर हैं। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के आधे से अधिक प्रान्तों पर कब्ज़ा कर लिया गया है, लेकिन अभी भी तालिबान के लिए अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी प्रान्त पर कब्जा करना मुश्किल लग रहा है, हालांकि बताया जा रहा है कि तालिबानी लड़ाके पंजशीर परा कब्जा करने के लिए घाटी की तरफ बढ़ रहे हैं। इस बीच एक रिपोर्ट का दावा है कि पंजीशर के स्थानीय लोगों ने तालिबान के खिलाफ जंग छेड़ दी है। उन्होंने रास्ते में घात लगाकर हमला किया, जिस हमले में करीब 300 तालिबानी लड़ाकाओं के मारे जाने की खबर है। Read Also : महबूबा के दिल में तालिबान, मोदी सरकार से कहा - अफगानिस्तान में देखो...मत लो हमारे सब्र का इम्तेहान, मिट जाओगे

पंजशीर के लोगों का कहना है कि वे तालिबान के आगे नहीं झुकेंगे और उनका डटकर मुकाबला करेंगे। नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट यानी नॉर्दर्न अलायंस को लीड कर रहे अहमद मसूद ने कहा कि युद्ध की तैयारी है, पर अगर रास्ता निकालने के लिए बातचीत होती है तो उसके लिए भी तैयार हैं। अहमद मसूद ने पंजशीर में विद्रोही नेताओं को साथ मिला लिया है। अफगानी फौजों और तालिबान विद्रोहियों को भी इकट्ठा किया है। तालिबानियों के खिलाफ करीब 9 हजार लड़ाकों की फौज तैयार कर ली गई है। इस फौज को लगातार ट्रेनिंग दी जा रही है। हमारे पास गाड़ियां और हथियार भी हैं। 

उधर तालिबान ने चेतावनी दी है कि विद्रोह दबाने के लिए हजारों तालिबानी लड़ाकों को पंजशीर घाटी भेजा गया है। तालिबान ने ट्विटर पर कहा कि स्थानीय अधिकारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से हमें पंजशीर सौंपने से इनकार कर दिया है। इसके बाद हमने वहां कंट्रोल करने के लिए अपने लड़ाके भेजे हैं। तालिबान समर्थक ट्विटर हैंडल से इसका एक वीडियो भी पोस्ट किया गया है। तालिबान ने अफगानिस्तान के 33 प्रांतों पर कब्जा कर लिया है। सिर्फ एक पंजशीर प्रांत ही ऐसा है, जहां तालिबान की सत्ता नहीं है। 


अमरुल्लाह सालेह तालिबान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं

दरअसल पंजशीर में अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह तालिबान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इकलौता प्रांत पंजशीर ही है, जहां तालिबान के खिलाफ नया नेतृत्व बन रहा है, जो तालिबान की सत्ता को मानने से इनकार कर रहा है।
 

अहमद शाह मसूद ने तालिबान का हमेशा विरोध किया है अहमद मसूद के पिता अहमद शाह मसूद भी तालिबान से हमेशा लड़ते रहे हैं। उन्होंने तो अफगानिस्तान से सोवियत संघ को भी बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी। अहमद शाह मसूद की हत्या साल 2001 में तालिबान और अलकायदा के लड़ाकों ने की थी।

अमेरिकी सेना को भी धमकी

तालिबान ने अमेरिका को भी धमकी दी है। तालिबान ने कहा है कि अगर 31 अगस्त तक काबुल एयरपोर्ट खाली नहीं किया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। दरअसल अमेरिका ने दोहा समझौते के तहत 31 अगस्त तक की मोहलत मांगी है। वहीं तालिबान ने साफ कर दिया है कि इसके बाद वो अमेरिकी सेना को एक दिन भी नहीं देगा। बता दें कि काबुल एयरपोर्ट पर फिलहाल अमेरिकी सेना का कब्जा है, सभी ऑपरेशन अमेरिकी सेना की मदद से किए जा रहे हैं। 

एक अफगानी सैनिक मारा गया

काबुल एयरपोर्ट के नॉर्थ गेट पर अफगानी सैनिकों, वेस्टर्न सिक्योरिटी फोर्सेज और अज्ञात हमलावरों के बीच गोलाबारी हुई। जर्मन सेना के मुताबिक, इसमें एक अफगानी सैनिक मारा गया, जबकि तीन सैनिक घायल हुए हैं। इस लड़ाई में अमेरिकी और जर्मन सेनाएं भी शामिल थीं। शनिवार को काबुल एयरपोर्ट पर मची भगदड़ में अफगानिस्तान के 7 लोगों की मौत हो गई थी।

पूर्व राष्ट्रपति के भाई ने तालिबान को स्वीकारा

उधर पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी ने कहा है कि उन्होंने तालिबान का स्वीकार कर लिया है, लेकिन उनका समर्थन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने देश को अस्थिरता से बचाने के लिए तालिबान काे स्वीकार किया है, इसके साथ ही गनी ने कहा कि तालिबान को स्वीकारना देश को आगे की राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं को दूर करने का फैसला है।

भारतीयों की वतन वापसी का सिलसिला जारी

अफगानितान से भारत के लोगों के वतन वापसी काो सिलसिला जारी है। भारत अपने कई लोगों को अफगानिस्तन से निकाल चुका है। रविवार रात भी तीन अलग-अलग विमानों से अफगानिस्तान से लोगों की स्वदेश वापसी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक विस्तारा का विमान देर रात 104 यात्रियों को लेकर दिल्ली पहुंचा। इसके अलावा विमान से भी 30 लोगों को स्वदेश लाया गया।
 

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