चीन के चक्कर में बर्बाद हुआ श्रीलंका : कागज खरीदने के लिए फंड नहीं, रद्द करानी पड़ी परीक्षाएं, किताब छपाई का काम भी रुका

श्रीलंका के हालात बिगड़ते जा रहा है हैं वहां, सेना के जवानों की उपस्थिति में पेट्रोल- डीजल दिया जा रहा है।
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Sri Lanka bad economic condition : दुनिया का ध्यान यूक्रेन-रूस के बीच हो रहे युद्ध की ओर है। हर रोज लोग मारे जा रहे हैं। परंतु वहीं, दूसरी ओर एशिया का एक देश ऐसा भी है जो आर्थिक तंगी के गुजर रहा है। वहीं, की सरकार की विदेश नीतियों ने देश में भुखमरी से लेकर बड़े आर्थिक संकट पर ला दिया है। भारत के सबसे पड़ोसी देश श्रीलंका की हम बात कर रहे हैं। 

 

श्रीलंका (Shrilanka) की बुरी आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां की सरकार के पास कागज खरीदने के लिए भी फंड नहीं बचे हैं। जिसके चलते देश के कई हिस्सों में होने वाली परीक्षाओं को ही रद्द कर दिया गया है। क्योंकि परीक्षा में पेपर की आवश्यकता होगी, परंतु पेपर बाजार में उपलब्ध नहीं है। 

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किताब छपाई का काम रुका

वहीं, दूसरी ओर पेपर ना होने से अगले सत्र की पढ़ाई के लिए किताब छपाई भी नहीं हो पा रही है। कई पब्लिकेशन के पास कागज ही नहीं है जिससे वह किताबों की छपाई कर सकें। वहीं, श्रीलंका सरकार भारत से लगातार मदद की मांग रही है। श्रीलंका के शैक्षिक प्रकाशन विभाग के आयुक्त जनरल पी.एन. इलपेरुमा (Commissioner General of Educational Publications Department P.N. ilaperuma) ने कहा है कि कागज और अन्य संबंधित सामान की कमी के कारण स्कूली पाठ्यपुस्तकों के मुद्रण में देरी हो रही है।

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सेना के पहरे में बिक रहा पेट्रोल-डीजल

जानकारी के अनुसार श्रीलंका के नागरिकों में अपनी सरकार से विश्वास खत्म होता जा रहा है। जिसके चलते वह सामान को स्टोर करने में लगे हैं। इसी वजहा से कुछ लोगों को रोज मर्रा की जरूरत का सामान तक नहीं मिल पा रहा है। बताया जा रहा है कि वहां पेट्रोल-डीजल को सेना के जवानों के पहरे में बांटा जा रहा है। जिसे अव्यवस्था ना फैले।

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श्रीलंका से भारत में पलायन कर रहे नागरिक

देश के बुरे हालातों को देख वहां के नागरिक भी परेशान हैं। वहां, लोगों यह तक पता नहीं है कि हालातों को सही होने पर कितना समय लग जाए। जिसके चलते वह दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। दो दिन पहले एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंकाई नागरिक भारत आने लगे हैं। 

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चीन के कर्ज ने श्रीलंका को डुबोया

चीन से कर्ज जिस-जिस देश ने लिया है उनकी हालत खराब होती जा रही है। आपको जानकारी हो कि विश्व में अपना अधिकार बढ़ाने के लिए चीन छोटे-छोटे देशों को वहां पर सड़क व अन्य चीजों को बनाने के लिए सस्ते कर्ज के जाल में फंसा लेता है। अगर देश कर्ज नहीं लौटापाता है तो उसकी संपत्ति को अपने साथ रख लेता है। ऐसा ही हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका के साथ हुआ है। हंबनटोटा बंदगाह बनाने  व अन्य कार्यों के लिए श्रीलंका ने चीन से करीब 6 अरब डॉलर का कर्ज ले लिया। जब उस पर यह कर्ज नहीं पटा तो श्रीलंका ने उसी बंदरगाह को 99 साल की लीज पर ले लिया और पैसे लौटाने का लगातार दबाव बना रहा है।

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कोरोना और एग्रीकल्चर में पेस्टेसाइट प्रतिबंध के कारण हुई यह हालत

जानकारी हो कि श्रीलंका सरकार ने कुछ समय पहले ऐलान किया था कि देश में अब एग्रीकल्चर में किसान किसी प्रकार की दवा, पेस्टेसाइट, फर्टीलाइजर या केमिकल का प्रयोग नहीं करेंगे। केवल देसी खाद प्रयोग करेंगे। अचालक से लगाई रोक के कारण श्रीलंका में फैसलों की पैदावार पर बड़ा असर हुआ। वहीं, उसके कुछ समय बाद कोरोना आ गया। जिसके चलते श्रीलंका का पर्यटन बंद हो गया। इन्हीं मुख्य कारणों ने श्रीलंका की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई है। इतना ही नहीं भारत ने श्रीलंका को बड़ी मात्रा में आर्थिक मदद व सामान दिया है। 

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