Russia-Ukraine war: रोमानिया सीमा पर फंसे छह हजार से अधिक छात्र, पास के रेस्तरां में लगा ''नो इंडियंस अलाउड'' का बोर्ड

सबसे खराब स्थिति यूक्रेन में फंसे छात्रों की है जो रोमानिया की सीमा पर एकत्र हुए हैं। वे कब घर जा सकेंगे और बॉर्डर पर रात बिताने का भी कोई इंतजाम नहीं है और न ही खाने-पीने की कोई व्यवस्था है.
 | 
india student
सबसे खराब स्थिति यूक्रेन में फंसे छात्रों की है जो रोमानिया की सीमा पर एकत्र हुए हैं। वे कब घर जा सकेंगे और बॉर्डर पर रात बिताने का भी कोई इंतजाम नहीं है और न ही खाने-पीने की कोई व्यवस्था है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि सीमा के आसपास के रेस्तरां ने 'नो इंडियंस अलाउड' बोर्ड लगा दिया है।Read Also:-Russia-Ukraine War : यूक्रेन जाएंगे 4 केंद्रीय मंत्री, यूक्रेन में स्पेशल ट्रेन चलाकर बॉर्डर तक छोड़े जाएंगे भारतीय छात्र, एयर इंडिया की छठी फ्लाइट मुंबई पहुंची

 

झांसी निवासी डॉ. एसएस सिंह, जो वर्तमान में महोबा के एक राजकीय महाविद्यालय में प्राचार्य हैं, उनका पुत्र ऑल यूक्रेन में मेडिकल का छात्र है। हजारों अन्य बच्चों की तरह वह भी रोमानियाई सीमा पर फंसा हुआ है। अखिल ने बातचीत में बताया कि उनके करीब 150 छात्रों का एक दल रात भर बस से यात्रा कर रोमानिया पहुंचा। इन लोगों ने सीमा तक करीब 10 किमी का सफर पैदल तय किया। यहां सुबह सात बजे बॉर्डर खुला, 60-70 बच्चों को ही अंदर लाया गया और फिर से बॉर्डर को बंद कर दिया गया। 

 

बताया गया कि शाम चार-पांच बजे फिर खुल जाएगा। सबसे बड़ी समस्या यह है कि कितने बच्चे सीमा पार कब करेंगे, इसका कोई रोस्टर या शेड्यूल नहीं है। अब भी करीब छह हजार बच्चे फंसे हुए हैं। अखिल ने बताया कि इन लोगों के पास खाने के लिए बिस्कुट या कुछ पैकेज्ड फूड की व्यवस्था है, लेकिन खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। सबसे बुरी बात यह है कि अगर कोई भारतीय वहां के किसी रेस्टोरेंट में खाना चाहता है तो उसका स्वागत 'नो इंडियन्स अलाउड' के साइनबोर्ड से किया जा रहा है।

 

माइनस तापमान में कैसे बचे
रोमानिया में दिन का तापमान 2-3 डिग्री और रात में माइनस तक पहुंच जाता है। ऐसे में बार्डर या किसी शेल्टर होम के आसपास टेंट आदि की कोई व्यवस्था नहीं है जहां बच्चे रात बिता सकें। उनके पास सर्द रात में खुले आसमान के नीचे रहने के अलावा कोई चारा नहीं है। इसके अलावा अखिल ने बताया कि इन लोगों के पास खाने के लिए बिस्कुट या कुछ पैक्ड खाने की व्यवस्था है लेकिन खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। सबसे बुरी बात यह है कि अगर कोई भारतीय वहां के किसी रेस्टोरेंट में खाना चाहता है तो उसका स्वागत 'नो इंडियन्स अलाउड' के साइनबोर्ड से किया जा रहा है।

देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें अब पाएं अपने WHATSAPP पर, क्लिक करें। Khabreelal के Facebookपेज से जुड़ें, Twitter पर फॉलो करें। इसके साथ ही आप खबरीलाल को Google News पर भी फॉलो कर अपडेट प्राप्त कर सकते है। हमारे Telegram चैनल को ज्वाइन कर भी आप खबरें अपने मोबाइल में प्राप्त कर सकते है।