आप के सोचने भर से ही काम करने लगेगा मोबाइल फ़ोन...जाने कैसे काम करेगी एलन मस्क की ये 'ब्रेन चिप'.....

एलन मस्क के ट्विटर खरीदने के बाद अगले 6 महीने में इंसानों के दिमाग में चिप लगाकर इसका ट्रायल करने की योजना बना रहे हैं। एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने प्रेजेंटेशन के जरिए बताया कि वायरलेस ब्रेन चिप कैसे काम करेगी। जानिए, कैसे जुड़ा होगा इंसान के दिमाग से और किस तरह काम करेगी चिप...
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elan mask
 ट्विटर को खरीदने के बाद एलन मस्क अब अपने ब्रेन चिप प्रोग्राम को तेज करने की तैयारी कर रहे हैं।  बुधवार को उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, अगले 6 महीने में वह इंसानों के दिमाग में चिप लगाकर ट्रायल करने की योजना बना रहे हैं। मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने प्रेजेंटेशन के जरिए बताया कि वायरलेस ब्रेन चिप कैसे काम करेगी। इस खास चिप का ट्रायल एक बंदर पर किया गया है। कार्यक्रम के दौरान दिखाया गया कि कैसे एक बंदर बिना जॉयस्टिक की मदद के पिनबॉल खेल रहा है। उस बंदर ने टाइपिंग भी करी।Read Also:-Breaking: सपा विधायक इरफान सोलंकी ने किया सरेंडर, रोते हुए कानपुर कमिश्नर ऑफिस पहुंचे

 

न्यूरालिंक ने अपने प्रेजेंटेशन में यह भी दिखाया कि कैसे एक रोबोट ने सर्जरी की। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये ब्रेन चिप क्या है, इसे इंसान के दिमाग में कैसे इंप्लांट किया जाएगा और यह कितना फायदेमंद साबित होगा।

 

एलन मस्क का दावा है कि मनुष्यों के लिए चिप तैयार :-


ब्रेन चिप क्या होती है?
एलोन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने एक सिक्के के आकार का उपकरण विकसित किया है। ब्रेन चिप पर काम करने वाली एकमात्र कंपनी न्यूरालिंक है। इसे मानव मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किया जाएगा। इसलिए इसे ब्रेन चिप भी कहा जा रहा है। दिमाग में प्रत्यारोपित होने के बाद यह चिप दिमाग के संकेतों को पढ़ने का काम करेगी। मस्क का दावा है कि इसके जरिए इंसान तकनीक को अपने दिमाग से नियंत्रित कर सकेगा। इस चिप का इस्तेमाल बंदरों और रोबोट्स पर किया गया है जो सफल रहा है। इसके बाद अगले 6 महीने के अंदर इंसानों पर इसके ट्रायल की तैयारी है। ट्रायल के लिए अमेरिकन फूड एंड ड्रग कंट्रोलर को एप्लीकेशन दी गई है।

 

इंसानों के मष्तिष्क में चिप कैसे लगाई जाएगी?
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एलन मस्क का कहना है कि डिवाइस से जुड़े इलेक्ट्रोड तारों को इंसानी दिमाग में छेद कर पहुंचाया जाएगा। सिर पर एक सिक्के के आकार का यंत्र लगाया जाएगा। इसके तार दिमाग के ग्रे मैटर से जुड़े रहेंगे जो इंसानों के लिए बेहद जरूरी है। इन तारों को माइक्रोन-स्केल थ्रेड्स कहा जा रहा है। इसे मस्तिष्क के उन हिस्सों तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है जो गति को नियंत्रित करते हैं।

 

न्यूरालिंक का कहना है, हम पूरी तरह से इम्प्लांटेबल डिवाइस की तैयारी कर रहे हैं, जिसकी मदद से आप अपने कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस को कहीं से भी कंट्रोल कर सकेंगे। कंपनी के मुताबिक, ये इलेक्ट्रोड तार इतने पतले और मुलायम होते हैं कि इन्हें इंसान के हाथों से दिमाग तक नहीं पहुंचाया जा सकता। इस काम को करने के लिए एक रोबोटिक सिस्टम तैयार किया गया है जो इसे लगाने का काम करेगा। ब्रेन चिप को न्यूरालिंक ऐप से जोड़ा गया है, ताकि इसे आसानी से चलाया जा सके।

 

टेक्नोलॉजी कैसे काम करेगी?
ब्रेन चिप से जुड़े इलेक्ट्रोड मस्तिष्क के न्यूरॉन्स के संकेतों को पढ़ेंगे। व्यक्ति क्या सोच रहा है और साथ ही क्या कहना चाहता है, इसका संकेत सॉफ्टवेयर को भेजा जाएगा। सॉफ्टवेयर इन संकेतों को डिकोड करेगा और फिर इस काम करने की कोशिश करेगा।

 

कंपनी का कहना है कि शुरुआती दौर में पैरालिसिस से पीड़ित मरीज कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस को कंट्रोल कर सकेंगे। हम चाहते हैं कि वे हमारे डिवाइस की मदद से फोटोग्राफी जैसे काम कर सकें। इसकी मदद से न्यूरोलॉजिकल (बीमारी) डिसऑर्डर का इलाज किया जाएगा।

 

हालांकि, इसके अपने कुछ खतरे भी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ब्रेन इंप्लांट करने वाले रोबोट को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह इंसान की खोपड़ी में 22 मिलीमीटर व्यास का छेद करेगा और इसके जरिए डिवाइस से जुड़ा इलेक्ट्रोड तार दिमाग तक पहुंचेगा. ब्रेन को डिवाइस से जोड़कर ब्लीडिंग का खतरा जताया गया है। हालांकि इंसानों पर इसका ट्रायल कितना सफल होगा, इसके नतीजे अभी आने बाकी हैं। एफडीए से हरी झंडी मिलने के बाद मस्क इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू करेंगे।
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