फिलीस्तीनियों ने जिस इजराइली को पत्थरों से मार डाला, उसकी किडनी से ही बची अरब महिला की जान

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232 फिलिस्तीनियों और 12 इजराइलियों की मौत के बाद 20 मई को सीजफायर के ऐलान के साथ इजराइल और फिलीस्तीन के बीच 11 दिन चली जंग थम चुकी है। अब न तो हमास रॉकेट दाग रहा और न इजराइल बम बरसा रहा है। यह जंग अपने साथ तबाही के गहरे निशान छोड़ गई। हालांकि इस नफरत के बीच एक ऐसा वाक्या भी सामने आया जो दोनों देशों को प्यार और मानवता की सीख दी गया।

होशुआ पर अरबी लोगों ने पत्थरों से किया हमला

दरअसल इजराइली पुलिस की कार्रवाई के बाद इजरायल के कुछ शहरों में अरब और यहूदियों के बीच दंगे भड़क गए। इन्ही शहरों में एक था इजरायल का लॉड शहर। यहां दंगों के दौरान इजराइल मूल के 56 साल के यीगल होशुआ को अरब मूल के लोगों ने घेर लिया। दंगाइयों ने होशुआ को जमकर पीटा और पत्थरों से मार-मारकर मरणासन्न हालत में छोड़ दिया। 7 दिन तक होशुआ अस्पताल में भर्ती रहे और अंत में उन्होंने दम तोड़ दिया।प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और आर्मी चीफ ने इस घटना को वहशियाना बताया।

होशुआ को अंतिम विदाई देते परिजन

रांदा को 9 साल से था किडनी डोनर का इंतजार

लॉड में जहां होशुआ की जान जा चुकी थी, उसी वक़्त पास के ही शहर पुराने येरुशलम में 58 साल की अरब मूल की रांदा अवीस जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहीं थीं। दरअसल रांदा की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं और 9 साल से किडनी डोनर का इंतजार कर रहीं थीं। डॉक्टरों ने रेगुलर डायलिसिस के सहारे उन्हें किसी तरह जिंदा रख रखा था।

होशुआ ने ऑर्गन डोनर के लिए दर्ज कराया था नाम

हालांकि अब रांदा की हालत बिगड़ चुकी थी और उन्हें जल्द से जल्द किडनी डोनर की तलाश थी। उनका इलाज लॉड से चंद किलोमीटर दूर स्थित येरूसलम शहर के हादस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में चल रहा था। उधर होशुआ की मौत होने के बाद डॉक्टरों ने उनका रिकॉर्ड निकाला तो पता चला कि होशुआ ने अपना नाम ऑर्गन डोनर के तौर पर दर्ज करा रखा था। जैसे ही उनके ऑर्गन डोनर होने की बात सामने आई तो रांदा को उनकी किडनी देने की प्रक्रिया डॉक्टरों ने तेज कर दी, क्योंकि दोनों शहरों के बीच थोड़ा ही फासला था।

होशुआ जाते-जाते रांदा को दे गए नया जीवन

डॉक्टरों ने अगले दिन रांदा की सर्जरी कर दी। रान्दा की सर्जरी कामयाब रही। वो अब तेजी से रिकवर कर रही हैं। यानि अरबी लोगों नफरत के कारण भले ही होशुआ की जान गई हो, लेकिन जाते-जाते भी वे एक अरबी महिला को नया जीवन दे गए। हालांकि तब तक रांदा यह पता नहीं था कि जिस फरिश्ते की बदौलत उन्हें नई जिंदगी मिली है, वो उन्हीं के लोगों की नफरत की वजह से इस दुनिया से चला गया।

वो हर वक्त याद आएंगे
इस बारे में रांदा की बेटी ने ‘टाइम्स ऑफ इजराइल’ से बताया कि - मां या हमें पता ही नहीं था कि डोनर कौन है? हम ने सोचा वो जो भी होगा, फरिश्ता होगा। हम होशुआ के परिवार का शुक्रिया अदा करते हैं। वो हमेशा हमारी यादों में रहेंगे।

ऑपरेशन होने के बाद रांदा ने कहा कि- होशुआ को कुछ गलत लोगों ने हमसे छीन लिया, वो जरूर स्वर्ग में होंगे। ये बहुत अच्छा है, क्योंकि वो जगह यहां से बहुत अच्छी होगी, वहां नफरत नहीं होगी। होशुआ की मौत के बाद अब अरब और यहूदी लोगों को साथ जीना सीख लेना चाहिए।

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