Truecaller जैसा फीचर अब सभी फोन पर! अननोन नंबर के साथ दिखेगा कॉलर का नाम, सरकार ने शुरू किया ट्रायल
टेलीकॉम विभाग ने कंपनियों को 18 अप्रैल तक मांगी ट्रायल रिपोर्ट, Jio-Airtel का ट्रायल पूरा, स्पैम कॉल्स पर लगेगी लगाम।
Apr 14, 2025, 09:55 IST
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नई दिल्ली: अननोन नंबर से आने वाली कॉल्स से होने वाली परेशानी जल्द ही खत्म हो सकती है। अक्सर यह पहचानना मुश्किल होता है कि कौन सी कॉल जरूरी है और कौन सी स्पैम। इस समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार एक नई सुविधा 'कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन' (CNAP) लाने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत अब इनकमिंग कॉल पर नंबर के साथ कॉलर का नाम भी दिखाई देगा।
दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications - DoT) ने इस सेवा को लागू करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को इंटर-ऑपरेटर ट्रायल करने का आदेश दिया है। यह ट्रायल प्रक्रिया अगले हफ्ते तक पूरी होने की उम्मीद है। विभाग ने कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे 14 अप्रैल, 2025 तक सभी संबंधित ट्रायल पूरे कर लें और इसकी विस्तृत रिपोर्ट 18 अप्रैल, 2025 तक जमा करें।READ ALSO:-शनिवार शाम WhatsApp हुआ ठप, भारत समेत दुनियाभर में यूजर्स को मैसेज भेजने में हुई भारी परेशानी
ट्रायल का वर्तमान स्टेटस
जानकारी के अनुसार, देश की दो बड़ी टेलीकॉम कंपनियों, रिलायंस जियो (Jio) और भारती एयरटेल (Airtel) के बीच इस सेवा का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। अगले हफ्ते एयरटेल और वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) के बीच इसका ट्रायल शुरू होने की संभावना है। ये ट्रायल फिलहाल हरियाणा और महाराष्ट्र टेलीकॉम सर्किलों में किए जा रहे हैं।
क्या है कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) सर्विस?
यह एक ऐसी सेवा है जिससे कॉलर की पहचान करना बेहद आसान हो जाएगा। जब भी आपके पास कोई इनकमिंग कॉल आएगी, तो आपके फोन की स्क्रीन पर कॉलर के मोबाइल नंबर के साथ-साथ उसका नाम भी प्रदर्शित होगा। यह नाम संभवतः वही होगा जो कॉलर ने सिम कार्ड लेते समय अपने ग्राहक आवेदन पत्र (CAF) में आधिकारिक तौर पर दर्ज कराया होगा। इससे स्पैम और फ्रॉड कॉल्स को पहचानने में बड़ी मदद मिलेगी।
क्यों लाई जा रही है यह सर्विस?
सरकार का इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य लगातार बढ़ती स्पैम और फर्जी कॉल्स पर रोक लगाना है। जब यूजर्स को कॉल करने वाले का नाम पहले से पता होगा, तो वे अनचाही कॉल्स को आसानी से अनदेखा कर सकेंगे और केवल जरूरी कॉल्स ही रिसीव करेंगे।
आम यूजर्स को कब मिलेगी सुविधा?
टेलीकॉम कंपनियों द्वारा 18 अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपने के बाद दूरसंचार विभाग इसकी समीक्षा करेगा। यदि ट्रायल पूरी तरह सफल रहता है और इसके परिणाम संतोषजनक पाए जाते हैं, तो सरकार इस सेवा को चरणबद्ध तरीके से देशभर में लागू करने का आदेश दे सकती है। हालांकि, ऐसी संभावना है कि शुरुआत में यह सुविधा मुख्य रूप से स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध होगी, और 2G नेटवर्क का उपयोग करने वाले ग्राहकों को इस फीचर के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है।
