Vivo के 27,000 स्मार्टफोन्स को भारत ने रोका, कंपनी पर लगाया ये आरोप

स्मार्टफोन कंपनी पर एक्सपोर्ट किए जा रहे डिवाइस मॉडल्स और उनकी वैल्यू के बारे में गलत जानकारी देने का आरोप है। 
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Vivo

भारत और चीन सीमा विवाद को लेकर तनाव का असर चाइनीज स्मार्टफोन पर भी पड़ रहा है। भारतीय सरकार ने चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी Vivo के लगभग 27,000 स्मार्टफोन्स का निर्यात भारत में रोक दिया है।चीन की स्मार्टफोन कंपनी वीवो की भारत से पड़ोसी देशों को निर्यात की योजना को तगड़ा झटका दिया है. 

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Vivo की देश में मौजूद यूनिट की मैन्युफैक्चरिंग वाले इन स्मार्टफोन्स को फाइनेंस मिनिस्ट्री की रेवेन्यू इंटेलिजेंस यूनिट ने नई दिल्ली के एयरपोर्ट पर रोका है। इस मामले की जानकारी रखने वाले ने बताया कि कंपनी पर डिवाइस के मॉडल्स और उनकी वैल्यू की गलत जानकारी देने का आरोप है। इस शिपमेंट की वैल्यू लगभग 1.5 करोड़ डॉलर की है। हालांकि, भारतीय मोबाइल कंपनियों के एक संगठन ने इस कार्रवाई को 'एकतरफा और बेतुका' कहा है। इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के चेयरमैन Pankaj Mohindroo ने टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री को लिखे एक पत्र में कहा है," इस तरह की कार्रवाई से देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को नुकसान होगा।" 
इससे पहले चीन की एक औऱ स्मार्टफोन कंपनी Xiaomi की भारत में यूनिट पर अपने बैंकर Deutsche Bank को वर्षों तक गलत जानकारी देने का आरोप लगा था। कंपनी ने दावा किया था कि उसका रॉयल्टी की पेमेंट के लिए एग्रीमेंट है, जबकि ऐसा कुछ नहीं था। कंपनी के खिलाफ जांच में पाया गया था कि उसने रॉयल्टी की 'मद' में अमेरिकी चिप कंपनी Qualcomm और अन्य कंपनी को गैर कानूनी तरीके से रकम भेजी। 
 
कंपनी ने किसी भी तरीके के गड़बड़ी से इनकार किया था और एक भारतीय कोर्ट में याचिका कर कहा था कि उसकी ओर से की गई पेमेंट्स वैध थी और भारत में उसके एसेट्स को जब्त करने से एक महत्वपूर्ण मार्केट में उसका बिजनेस लगभग रुक गया है। देश में Deutsche Bank के एक एग्जिक्यूटिव ने जांच अधिकारियों को अप्रैल में बताया था । भारतीय कानून के तहत रॉयल्टी की पेमेंट्स के क्वालकॉम और Xiaomi लिए भारत में यूनिट और के बीच एक कानूनी एग्रीमेंट होना जरूरी था। कंपनी ने Deutsche Bank को बताया था कि उसके पास ऐसा एग्रीमेंट मौजूद है। एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने ये एसेट्स जब्त किए हैं। ED का आरोप है कि कंपनी ने रॉयल्टी के भुगतान की मद में गैर कानूनी तरीके से विदेश में रकम ट्रांसफर की थी। 

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