इस दिन है सर्व पितृ अमावस्या, जानें कैसे दें पितृओं को विदाई

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या पंद्रह दिन पितृपक्ष (पितृ = पिता) के नाम से विख्यात है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर पार्वण श्राद्ध करते हैं।
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Pitra Amavasya 2022

पिता-माता आदि पारिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात्‌ उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं। कहा जाता है की जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उन्हें इन दिनों में पिंडदान अवश्य करना चाहिए ताकि पितरों को तृप्ति हो सके और उन्हें शांति मिले। श्राद्ध और पिंडदान के लिए प्रसिद्ध 8 जगह- हरिद्वार,मथुरा,उज्जैन,प्रयागराज,अयोध्या,वाराणसी,बोधगया,जगन्नाथ पूरी जानी जाती है। गया में वर्तमान में लगभग 48 स्थान हैं जहां श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। 

श्राद्ध पक्ष 16 दिन तक रहते हैं। भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष आरंभ होते हैं और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या के दिन होता है। इस साल के श्राद्ध 10 सितंबर 2021 से आरंभ हो गए थे और 25 सितंबर 2022 को समापन हो जाएगा। 

 

इतने समय रहेगी सर्व पितृ अमावस्या

 

  • आश्विन अमावस्या तिथि शुरू - 25 सितंबर 2022, सुबह 3 बजकर 12 मिनट 
  • आश्विन अमावस्या तिथि समाप्त - 26 सितंबर 2022, सुबह 3 बजकर 23 मिनट 

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सर्व पितृ अमावस्या पर कैसे दें पितरों को विदाई ?

  1. सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन स्नान कर सफेद वस्त्र पहनकर पितरों के नाम तर्पण करें।
  2. दक्षिण मुखी होकर बैठे और एक तांबे के पात्र में गंगाजल या स्वच्छ पानी भर लें।उसमें काले तिल और थोड़ा कच्चा दूध और कुशा डालकर तर्पण करें तर्पण करते वक्त इस मंत्र का जाप करें, 'ॐ पितृ गणाय विद्महे जगधारिण्ये धीमहि तन्नो पितरो प्रचोदयात्' और पितरों की शांति की प्रार्थना करें।
  3. इस दिन ब्राह्रण भोजन जरूर कराएं,भोजन में खीर जरूर बनवाएं. ब्राह्मणों के लिए जो भोजन बनाया है उसमें से 5 हिस्से निकालें, देवताओं, गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों के लिए।
  4. अब ब्राह्मणों को वस्त्र और सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा उनका आशीर्वाद लें और उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें, इस दिन दीप दान करने की परंपरा है।
  5. धार्मिक ग्रंथों में मृत्यु के बाद प्रेत योनी से बचाने के लिए पितृ तर्पण का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों को किए गए तर्पण से उन्हें मुक्त‍ि मिल जाती है और वे प्रेत योनी से मुक्त हो जाते हैं।

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