पारंपरिक कारीगरों तक पहुंचे आधुनिक तकनीक युक्त व्‍यावसायिक शिक्षा: उच्च शिक्षा मंत्री श्री परमार

 व्यावसायिक शिक्षा का भारतीय ज्ञान परम्परा के साथ तालमेल आवश्यक
"व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण के परिप्रेक्ष्य और प्रथाएं" विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
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भारतीय पारंपरिक कौशल को आधुनिक तकनीक के अनुप्रयोग एवं व्यावसायिक पद्धति के साथ नवीन आयाम देने की आवश्यकता है। गांव के कारीगरों के पास परंपरागत प्रतिभा है, लेकिन तकनीक तथा व्‍यावसायिक कौशल के अभाव में काम की तुलना में उनकी आमदनी कम होती है। उन कारीगरों को व्‍यावसायिक प्रशिक्षण के माध्‍यम से उनके कार्य में तकनीक को शामिल करें, जिससे वे अपनी पारंपरिक प्रतिभा के अनुरूप लाभ प्राप्‍त कर सकें। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने गुरुवार को पं. सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान (पीएसएससीआईवीई) भोपाल के निनाद सभागार में "व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के परिप्रेक्ष्य एवं प्रथाएं" विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कही।

 

उच्च शिक्षा मंत्री श्री परमार ने कहा कि व्यवसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम, केवल अध्यापन तक सीमित न होकर मानव जीवन को बेहतर बनाने की दिशामूलक हो जिससे लोगों की प्रगति और जीविकोपार्जन के लिए बेहतर स्त्रोत उपलब्ध हो सकें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप व्यावसायिक शिक्षा के साथ भारतीय ज्ञान परम्परा के सामंजस्य और तालमेल के लिए अपने कला, पारंपरिक कौशल और प्रतिभा को गर्व के भाव के साथ प्रसारित करने की आवश्यकता है। श्री परमार ने प्रधानमंत्री श्री मोदी की विकसित भारत की संकल्पना अनुरूप युवा पीढ़ी को विभिन्न क्षेत्रों में उन्नति और सफलता की दिशा में व्यावसायिक शिक्षा के महत्वपूर्ण योगदान की आवश्यकता की बात कही।

 

उच्च शिक्षा मंत्री मंत्री श्री परमार ने शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों पर संकलित पुस्तिका का विमोचन किया। संस्थान परिसर में आयोजित कौशल आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस दौरान श्री परमार ने परंपरागत कौशल "माटीकला" के संवर्धन के लिए स्वयं मिट्टी के दीपक बनाने का प्रत्यक्ष प्रायोगिक प्रयास कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार परंपरागत कौशल को बढ़ावा देने का संदेश दिया।

 

छात्रों के लिए चार दिवसीय बूटकैंप एवं कौशल प्रदर्शनी
प्रो. विनय स्‍वरूप मेहरोत्रा ने बताया कि इस संगोष्‍ठी के दौरान शोधार्थियों द्वारा विभिन्‍न थीम पर लगभग 80 शोधपत्र प्रस्‍तुत किए जा रहे हैं, जिसमें पाठ्यचर्या में उभरती प्रौद्योगिकियों का एकीकरण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में व्‍यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण में उभरते रुझान, उद्यमिता विकास और लघु व्यवसाय प्रबंधन, समावेशी शिक्षा और विविध कार्यबल, योग्यता-आधारित मूल्यांकन और व्यावसायिक शिक्षा में तकनीकी प्रगति, एनसीएफ-2023 के अनुसार स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण, व्‍यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण में सर्वोत्तम अभ्यास, हरित कौशल और सतत अभ्यास, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में डिजिटल कौशल थीम शामिल हैं।

 

प्रो. मेहरोत्रा बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ संस्‍थान में चार दिवसीय ड्रोन प्रौद्योगिकी में नवाचार, इनक्यूबेशन और उद्यमिता जागरुकता निर्माण को लेकर स्‍कूली छात्रों के लिए एक बूटकैंप का शुभारंभ किया गया, जिमसें ड्रोन का परिचय, हैंड्स-ऑन ड्रोन पायलटिंग, ड्रोन रखरखाव, ड्रोन बिल्डिंग चैलेंज, ड्रोन रेसिंग प्रतियोगिता जैसी विभिन्‍न गतिविधियां आयोजित की जा रही है।संस्‍थान परिसर में कौशल आधारित विभिन्‍न प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसमें मिट्टी से बर्तन, जूट से वस्‍तु निर्माण, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन तकनीक, रोबोटिक्‍स, हस्‍त कसीदाकारी, गोबर से वस्‍तु निर्माण जैसे कौशल का प्रदर्शन तथा स्‍कूलों बच्‍चों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

 

संस्‍थान के संयुक्‍त निदेशक डॉ. दीपक पालीवाल ने संस्‍थान के कार्यों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर चाणक्य विश्वविद्यालय बेंगलुरु के कुल सचिव डॉ. संदीप नायर, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट ग्रेटर नोएडा के निदेशक डॉ. मानस कुमार मिश्रा, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान भोपाल के प्राचार्य प्रो. जयदीप मंडल सहित व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल के क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ, प्राध्यापक गण और शोधार्थी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। संगोष्‍ठी समन्‍वयक प्रो. सौरभ प्रकाश ने आभार व्यक्त किया।

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