वो अफवाह जिन्होंने देशभर फैलाई दहशत, घरों से बाहर निकलने से भी डरने लगे थे लोग

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देश में कोरोना का टीकाकरण शुरू हो चुका है। इस दौरान वैक्सीन को लेकर विपक्षी दलों के लोग अफवाह भी फैला रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफवाह फैलाने वालों से सख्ती से निपटने और कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब देश में कोई अफवाह फैली हो, इससे पहले भी शरारती तत्वों ने कभी मुंह नोचवा तो कभी चोटी काटने वाली चुड़ैल जैसी अलग-अलग तरह की अफवाह फैला कर देश में दहशत फैलाई थी।

इन अफवाहों ने कई जानें ले ली। लोगों ने घरों के सामान बाहर निकालकर फेंक दिए। कई शक में ही पीट-पीट कर मार दिए गए। भगदड़ मची, आतंक फैला और कई महीनों तक लोग इन अफवाहों के खौफ में जीते रहे।

इन अफवाहों में एक संजोग यह रहा कि हर बार जो अफवाहें फैली वो मई से जुलाई के बीच फैली। राजस्‍थान, हरियाणा, दिल्‍ली और उत्‍तर-प्रदेश में फैली। करीब तीन-चार महीने तक दहशत फैलाने के बाद ये एकाएक शांत हो गईं।

24 साल पहले भी सबसे बड़ी अफवाह
अफवाहों की बात की जाए तो 1995 में 21 सितंबर (गणेश चतुर्थी) के रोज ही यह अफवाह फैलाई गई थी कि गणेश प्रतिमाएं दूध पी रही हैं। फिर क्या था देखते ही देखते मंदिरों में भीड़ लग गई। स्थिति यह बन गई कि भारत से लेकर अमेरिका तक तमाम देशों में गणेश की प्रतिमाओं को दूध पिलाने का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि क्या अनपढ़, क्या पढ़ा-लिखा और यहां तक नामी पार्टियों के नेता तक गणेश की प्रतिमांओं को दूध पिलाते नजर आए। हालांकि इससे किसी को नुकसान नहीं हुआ।

काला बंदर

दिल्‍ली में मई-जून 2001 में काला बंदर या मंकी मैन का आतंक रहा। इसकी शुरूआत दिल्‍ली के यमुना पार में हुई। कई महीने तक देश की राजधानी दिल्ली में मंकीमैन का खौफ था। तब उसे काला बंदर भी कहा जाने लगा था। कुछ लोगों का दावा था कि उनपर मंकी मैन ने हमला किया था। लोगों ने अपने शरीर पर मंकी मैन के पंजे के निशान तक दिखाए थे। लोगों ने ये दावा किया कि उन्होंने मंकीमैन को देखा भी है। उन लोगों ने बताया था कि मंकीमैन की लंबाइ 4 फीट थी। उसके नुकीले पंजे हैं, इसके पैरों में स्प्रिंग लगी है। यह आदमी को मार डालता है। इसके साथ सारे बदन पर काले घने बाल थे और चेहरा हेलमेट से ढंका हुआ था। कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा था कि मंकी मैन के हाथ पर मेटल के पंजे लगे होते थे।

शिकायतें बढ़ने पर जांच की गई तो पीड़ितों के शरीर पर नाखून से खरोंचने के निशान मिलते थे। पुलिस ने जब जांच की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में यह भी पता चला कि ऐसा कोई जानवर या शख्स था ही नहीं। दरअसल ये लोगों की सॉइकोलॉजिकल क्रिएशन थी यानी लोगों के दिमाग की उपज थी। इस अफवाह का खौफ इतना फैला कि लोग घरों को छोड़-छोड़कर भाग गए। आतंक का साए में लोग घरों में दुबक जाते।

तोरी में सांप की आकृति होने की उठी थी अफवाह
तकरीबन 20 साल पहले मई में सब्जी तोरी को लेकर भी अफवाह उड़ाई गई कि जिसमें सांप की आकृति हो, उसे नहीं खाना चाहिए। इसके बाद जो हालात बने वह बेहद हैरान करने वाले थे। लोगों ने तो तोरी की सब्जी तक खाना बंद कर दिया था।

मुंहनोचवा का आतंक

2002 की सबसे बड़ी और डरावनी अफवाह बना मुंहनोचवा। पूर्वी उत्‍तरप्रदेश में किस्‍सा उड़ा कि लोमड़ी जैसा जानवर उड़कर लोगों के मुंह नोच लेता है। यह अंधेरे में हमला करता है दिखाई नहीं देता। लोगों में डर फैल गया। लोग शाम होते ही घरों में कैद होने लगे। दरअसल, मई और जून के गर्मी के दिनों में जहां गावों में सभी घर के बाहर सोते हैं ऐसे आसमान से आने वाले किसी वास्तु का डर उन सभी गावों में फैला था। स्थिति यह बन गई थी कि मुंह नोचवा के भ्रम में कई लोगों की पिटाई तक हो गई थी। इसमें कुछ लोग घायल हुए थे, तो कुछ की मौत तक हो गई थी। इसी शक में यूपी में कई हत्‍याएं हुई। एक पिता को बच्‍चे के सामने ही पीट-पीटकर मार डाला गया। यह अफवाह कई महीनों तक पूर्वी उत्‍तरप्रदेश में चली।

सिलबट्टे वाली बुढ़िया

मई 2015 में हरियाणा के किसी गांव से एक अफवाह ने जोर पकड़ा और यूपी, राजस्‍थान चपेट में आ गए। खबर उड़ी एक बुढि़या रात में घरों में आकर सिल बट्टे में छेद करती है। घरों में आवाज आती है। कोई देख ले तो मार डालती है इस खौफ में महिलाओं ने घरों से सिलबट्टे बाहर निकालकर फेंक दिए। घरों के बाहर दीवारों पर मेहंदी और हल्‍दी के थापे लगाए गए। कई महीनों तक दहशत का आलम रहा।

नानी खिलाएगी दूध जलेबी

नानी खिलाएगी स्‍टील की बाल्‍टी में दूध और जलेबी वरना मर जाएंगे नाती-पोते, बेटी के यहां हो जाएगा अनिष्‍ट। ऐसी खबर को सुनते ही नानियां दौड़ पड़ीं और 2014 की ये सबसे बड़ी अफवाह बन गई। बच्‍चों की सलामती को लेकर नानियां भारी दहशत में आ गई। इस अफवाह ने हरियाणा के रेवाड़ी, तावडू से शुरू होकर यूपी, राजस्‍थान और दिल्‍ली में पैर पसारे।

चोटी चुड़ैल या चोटी कटवा

अगस्त 2017 में राजस्‍थान में बीकानेर के नोखा से एक अफवाह उड़ी कि एक महिला की चोटी कट गई। अफवाह बढ़ते-बढ़ते हरियाणा के हिसार, मेवात, गुरुग्राम, पलवल, पुन्‍हाना होते हुए दिल्‍ली के कांगनहेड़ी, रनहौला, नंदनगरी और यूपी के मथुरा, आगरा, मेरठ तक पहुंच गई। अगस्त-सितंबर महीने तो तकरीबन हर दिन महिलाओं और लड़कियों की चोटी कटने के मामले सामने आ रहे थे। इस दौरान मीडिया की सक्रियता की वजह से कई महिलाओं ने खुद ही बाल काटकर अफवाह उड़ा दी थी। दिल्ली की एक महिला बेहोश हो गई और उसके बाल कटे हुए थे और जब लोगों की भीड़ जुटी तो होश में आते ही उसने कहा था- 'मीडिया तो आया नहीं।' वहीं, आगरा में एक बुजुर्ग महिला की चोटी काटने के शक में पीटकर मार डाला था।

वहीं, मनोचिकित्सकों का कहना है कि भीड़ विवेकहीन होती है। दरअसल, उस दौरान कोई भी फैली अफवाह के खिलाफ जाएगा तो वह शिकार बनेगा, इसलिए लोगों को समझाने की कोई जुर्रत तक नहीं करता।

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