जज साहब! वेश्यालय चलाना है...कृपया इजाजत दें दीजिए, मद्रास हाईकोर्ट तक पहुंची एक अनोखी याचिका

तमिलनाडु के मद्रास हाई कोर्ट में एक वकील ने अजीब याचिका दायर की। उसकी अनैतिक मांग पर कोर्ट नाराज हो गया। जज ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए न सिर्फ उसकी याचिका खारिज कर दी बल्कि जुर्माना भी लगा दिया। यह मामला चर्चा का विषय बन गया है।
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MADRAS HIGH COURT
तमिलनाडु के मद्रास हाई कोर्ट में एक वकील ने अजीबोगरीब मांग को लेकर याचिका दायर की है। वकील ने कोर्ट से सुरक्षा की भी मांग की है। इस व्यक्ति ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस बी पुगलेंधी की बेंच ने उनकी याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। READ ALSO:-उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए अच्छी खबर, सरकार नर्सिंग और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की देगी मुफ्त ट्रेनिंग

 

कोर्ट ने बार काउंसिल को आदेश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि प्रतिष्ठित लॉ कॉलेजों के स्नातक ही सदस्यता प्राप्त कर सकें। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 10,000 रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया है।

 


कोर्ट ने बार काउंसिल को भी निर्देश दिया
एक प्रैक्टिसिंग वकील ने मद्रास हाई कोर्ट में चौंकाने वाली याचिका दायर की थी। व्यक्ति ने वेश्यालय चलाने की मांग करते हुए कोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी। याचिका देखकर जज इतने नाराज हुए कि उन्होंने याचिकाकर्ता की लॉ की डिग्री मांग ली। याचिकाकर्ता कन्याकुमारी के नागरकोइल में वेश्यावृत्ति का रैकेट चला रहा है। जिसके खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। 

 

इस एफआईआर को रद्द करवाने के लिए ही उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस बी पुगलेंधी की बेंच ने आरोपी पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया और बार काउंसिल को चेतावनी भी दी।

 

कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल को यह समझना चाहिए कि ऐसे मामलों से समाज में वकीलों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा। बार काउंसिल को केवल उन्हीं को सदस्यता देनी चाहिए जो प्रतिष्ठित संस्थानों से स्नातक हैं। वकील राजा मुरुगन नाम के व्यक्ति ने मद्रास हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं। पहली याचिका में उन्होंने अपने खिलाफ एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। 

 

दूसरी याचिका में उन्होंने वेश्यावृत्ति के धंधे को चलाने में पुलिस के हस्तक्षेप को रोकने की गुहार लगाई थी। मुरुगन ने हवाला दिया था कि वह एक ट्रस्ट चलाते हैं। जिसमें वयस्क सहमति से यौन संबंध बनाते हैं। इससे पहले उनकी काउंसलिंग की जाती है। उनका ट्रस्ट 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए चिकित्सीय स्नान जैसी सेवाएं प्रदान करता है।

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याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के मामले को ठीक से नहीं समझा
जिसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बुद्धदेव मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ठीक से नहीं समझा। यह मामला मानव तस्करी को रोकने और सेक्स वर्करों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए था। हाईकोर्ट ने मुरुगन को आदेश दिया कि वह अपनी लॉ की डिग्री जमा करें। ताकि उनकी जांच की जा सके। 

 

अतिरिक्त लोक अभियोजक ने बार एसोसिएशन की सदस्यता की जांच के संबंध में कोर्ट में बयान दिया। कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता बीटेक स्नातक है और बार काउंसिल का सदस्य है।
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