पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फहराया योगी का परचम, नगर निगम की सभी सीटों पर BJP का कब्जा, मेरठ में टूटा मिथक...जिसकी प्रदेश में सत्ता उसका बना महापौर....
1995 में नगर पालिका से नगर निगम बनने के बाद से यह मिथक चला आ रहा है कि राज्य में जिस पार्टी की सत्ता होती है उसका मेयर मेरठ में नहीं बन पाता, लेकिन इस बार यह मिथक टूट गया है। पढ़िए ये रिपोर्ट।
Updated: May 14, 2023, 13:26 IST
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निकाय चुनाव में BJP ने पश्चमी उत्तर प्रदेश में नगर निगम की 10 सीटों पर एकतरफा जीत दर्ज की है। उत्तर प्रदेश में 2017 के नगर निगम चुनाव में इस पश्चमी उत्तर प्रदेश की मेरठ और अलीगढ़ दोनों सीटें BJP से फिसलकर BSP के खाते में चली गईं। उन दोनों सीटों पर इस बार भी कमल खिला है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 10 नगर निगमों में योगी का झंडा फहराया गया है। SP, BSP ने कड़ी टक्कर देने के बाद भी BJP के लिए जीत की राह आसान की। BJP की जीत में गेम चेंजर साबित हुआ BSP का मुस्लिम उम्मीदवार।READ ALSO:-VIDEO : गली में खड़ी बाइक से पहले पेट्रोल निकाला और फिर फूंक डाला, जानिए महिला ने बाइक में क्यों आग लगाई?
पश्चिम उत्तर प्रदेश में BJP द्वारा जीती गई 10 सीटों में से अधिकांश पर BSP ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। मुस्लिम वोटों के बंटने का सीधा फायदा BJP को मिला। वहीं वोटों के ध्रुवीकरण के बीच दलितों ने BJP की जीत की राह आसान कर दी। पश्चमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो योगी मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, शामली, कैराना, मुरादाबाद, बरेली, आगरा जिलों में जनसभाएं कर चुके हैं।अखिलेश यादव रोड शो करने के लिए सिर्फ सहारनपुर और मेरठ पहुंचे। नेताओं की मानें तो BSP और SP जिस दलित और मुस्लिम समीकरण पर चल रही थीं, वही उनकी जीत का आधार था। वह समीकरण बिखर गया और जीत BJP के खाते में चली गई।
पश्चमी उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर BJP के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की :-
सीट | मेयर |
मेरठ | हरिकांत अहलूवालिया |
सहारनपुर | डॉ. अजय सिंह |
बरेली | डॉ. उमेश गौतम |
मुरादाबाद | विनोद अग्रवाल |
मथुरा-वृंदावन | विनोद अग्रवाल |
शाहजहांपुर | अर्चना वर्मा |
आगरा | हेमलता दिवाकर |
अलीगढ़ | प्रशांत सिंघल |
फिरोजाबाद | कामिनी राठौर |
गाजियाबाद | सुनीता दयाल
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इस बार भी राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर चर्चा हुई। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से BJP की सरकार बनने के बाद भी यह मिथक नहीं टूटा। BSP की मेयर सुनीता वर्मा ने सत्ताधारी दल भाजपा के कांता कर्दम को हराकर निगम में सरकार बनाई।
वर्ष 1995 से 2017 तक नगर निगम चुनाव में पांच बार BJP दो बार और BSP तीन बार मेयर बनी। निगम के इतने लंबे कार्यकाल में एक बार भी सामान्य वर्ग का मेयर नहीं बना। चार बार पिछड़ा वर्ग और एक बार अनुसूचित जाति के व्यक्ति ने मेयर की कुर्सी संभाली। इस परिणाम के बाद अब पिछड़े वर्ग की संख्या पांच हो गई है।
अभी तक यह है स्थिति...
- 1995 में नगर निगम में 60 वार्ड थे। नगर प्रमुख का यह पहला चुनाव जनता के वोट से हुआ था। BSP प्रत्याशी अयूब अंसारी नगर अध्यक्ष चुने गए। हालांकि, बाद में नगर प्रमुख का पद मेयर के नाम से जाना जाने लगा।
- वर्ष 2000 में सीमा का विस्तार कर 70 वार्ड बनाए गए। BSP के हाजी शाहिद अखलाक मेयर चुने गए।
- वर्ष 2006 में निगम के 80 वार्ड थे। BJP के पिछड़ा वर्ग से मधु गुर्जर बनीं मेयर।
- वर्ष 2012 में पिछड़ा वर्ग से BJP के हरिकांत अहलूवालिया मेयर बने।
- 2017 में 90 वार्डों में चुनाव हुए थे। BSP की सुनीता वर्मा एससी कोटे से मेयर चुनी गईं।
राज्य मंत्री दिनेश खटीक की बहन जीतीं
जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक की बहन सुधा खटीक को हस्तिनापुर नगर पंचायत के लिए BJP का उम्मीदवार बनाया गया था। शुरुआत में BJP और BSP के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। बाद में सुधा खटीक ने BSP प्रत्याशी सुनीता को हराकर जीत हासिल की थी।
जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक की बहन सुधा खटीक को हस्तिनापुर नगर पंचायत के लिए BJP का उम्मीदवार बनाया गया था। शुरुआत में BJP और BSP के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। बाद में सुधा खटीक ने BSP प्रत्याशी सुनीता को हराकर जीत हासिल की थी।