उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में फिर बनेगी विद्यालय प्रबंध समिति, 50% सदस्य होंगी महिलाएं

बेसिक शिक्षा परिषद ने अपने विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने तथा विद्यालय प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए विद्यालय प्रबंध समितियों (SMC) के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चालू शैक्षिक सत्र 2022-23 के लिए गठित एसएमसी का कार्यकाल 30 नवंबर को समाप्त हो रहा है।
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बेसिक शिक्षा परिषद ने अपने विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने तथा विद्यालय प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए विद्यालय प्रबंध समितियों (SMC) के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चालू शैक्षिक सत्र 2022-23 के लिए गठित एसएमसी का कार्यकाल 30 नवंबर को समाप्त हो रहा है। अब नई समितियों के गठन का निर्णय लिया गया है। ये समितियां 30 नवंबर के बीच गठित होंगी तथा 01 दिसंबर से सक्रिय हो जाएंगी। READ ALSO:-हापुड़ : लाल सूटकेस में मिली युवती की लाश, चेहरे पर चोट के निशान, हाथ-पैर तोड़कर पोटली में बांधे गए थे

 

नई समितियों में कुल 15 सदस्य होंगे, जिनमें से 11 सदस्य अभिभावक होंगे तथा उनमें से 50% महिलाएं होंगी। शेष 4 नामित सदस्यों में स्थानीय प्राधिकारी, एएनएम, लेखपाल तथा प्रधानाध्यापक या प्रभारी शामिल होंगे। समितियों में सामाजिक समरसता सुनिश्चित करने के लिए एससी, एसटी, ओबीसी तथा कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है। प्रत्येक समिति का कार्यकाल 24 माह का होगा। इसका उद्देश्य समितियों को पर्याप्त समय देकर शिक्षा की गुणवत्ता तथा बच्चों के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करना है। 

 

आरटीई कानून के तहत एसएमसी का गठन अनिवार्य है। निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (आरटीई) एवं उत्तर प्रदेश निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के अंतर्गत विद्यालय प्रबंध समिति का गठन अनिवार्य है। यह प्रदेश के गैर अनुदानित विद्यालयों को छोड़कर सभी विद्यालयों पर लागू है।

 

सरकार ने समिति के गठन को पूरी तरह पारदर्शी बनाया है। समिति के पुनर्गठन के लिए अभिभावकों की खुली बैठक आयोजित की जाएगी। चयन प्रक्रिया में विवाद होने पर खंड शिक्षा अधिकारी की देखरेख में गुप्त मतदान कराया जाएगा। नई समितियों के गठन की तिथियां जिला स्तर पर तय की जाएंगी। 

 

प्रचार-प्रसार के माध्यम से अभिभावकों की बैठकें आयोजित की जाएंगी। विभाग ने उन कारणों को भी स्पष्ट किया है, जिनके चलते सदस्यता समाप्त की जा सकती है। इनमें मृत्यु, न्यायालय द्वारा दंड अथवा सदस्य का स्थानांतरण शामिल है। रिक्त पदों को खुली बैठक में आम सहमति से भरा जाएगा।

 

बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने बताया कि सरकार ने समितियों के दायित्व स्पष्ट कर दिए हैं। इनमें स्कूल की निगरानी, ​​विकास योजनाएं तैयार करना, फंड का सही इस्तेमाल, बच्चों का नामांकन और उपस्थिति सुनिश्चित करना, शिक्षकों की नियमित उपस्थिति पर ध्यान देना शामिल है। 

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मिड-डे मील योजना और अन्य शैक्षणिक योजनाओं की गुणवत्ता की निगरानी भी समितियों की जिम्मेदारी होगी। स्कूल में पारदर्शिता बनाए रखने और विकास कार्यों में भागीदारी बढ़ाने के लिए समितियों को वित्तीय मामलों में भागीदार बनाया गया है। निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए उप-समितियां भी बनाई जाएंगी।
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