UP : हाथरस में 121 मौतों के जिम्मेदार कौन, 'भोले बाबा' का पहली FIR में नाम नहीं, मुख्य सेवादार नामजद
मंगलवार को उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा का सत्संग चल रहा था। इसी दौरान भगदड़ में 116 लोगों की मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। लेकिन सत्संग कराने वाले भोले बाबा का नाम इस एफआईआर में शामिल नहीं है।
Updated: Jul 3, 2024, 14:55 IST
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उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलेराई गांव में मंगलवार को सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। 30 से ज्यादा लोग घायल हैं। हादसा जीटी रोड पर फुलेराई गांव के पास हुआ। जहां नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के लाखों अनुयायी जुटे थे। पोस्टमार्टम हाउस में लाशों के ढेर लगे हैं। इस मामले में पुलिस ने सत्संग कार्यक्रम के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। हालांकि इस एफआईआर में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का नाम नहीं है। उनके कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। READ ALSO:-UP : मंदिर में झंडा लगाने को लाया था डंडा, छुआ 33 केवी विद्युत लाइन से..चंद सेकेंड में ही तोड़ दिया दम, भयभीत कर देगा ये Video.....
अधिकारियों के मुताबिक सत्संग के आयोजन के लिए अनुमति ली गई थी, लेकिन पुलिस से सिर्फ 80 हजार श्रद्धालुओं के शामिल होने की अनुमति मांगी गई थी। इसके मुताबिक प्रशासन ने कार्यक्रम स्थल पर इंतजाम किए थे। मंगलवार को सत्संग में ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालु आए। आयोजकों ने पुलिस से श्रद्धालुओं की संख्या छिपाई। लेकिन इस पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सुबह से ही कार्यक्रम चल रहा था और पुलिस को ढाई लाख लोगों की भीड़ कैसे नजर नहीं आई।
एफआईआर के मुताबिक आयोजकों ने कल के कार्यक्रम में 80 हजार लोगों के आने की बात कही थी, लेकिन कई राज्यों से ढाई लाख से ज्यादा लोग आ गए। इस वजह से भगदड़ मच गई और हादसा हो गया। एफआईआर के मुताबिक सत्संग खत्म होने के बाद जब बाबा जाने लगे तो भक्तों ने उनके पैरों की धूल इकट्ठा करना शुरू कर दिया। इस दौरान हजारों की भीड़ बाबा की गाड़ी के पीछे लग गई। इस दौरान लोगों को भीड़ ने रौंद दिया।
जीटी रोड के दूसरी तरफ खेतों में बारिश के कारण पानी भरा हुआ था। इस दौरान सेवादारों ने भागती भीड़ को डंडे लेकर रोकने की कोशिश की। इससे भीड़ का दबाव बढ़ता चला गया और यह हादसा हो गया। कुछ ही देर में लाशें बिखर गईं। इधर, हादसे के बाद बाबा मौके से चले गए, वहीं उनके सेवादार भी मदद के लिए आगे नहीं आए। ऐसे में पुलिस के लोग अंत तक लोगों को हटाने में जुटे रहे।
लोगों ने प्रशासन की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी
इस हादसे ने पुलिस और प्रशासन की व्यवस्थाओं की भी पोल खोल दी। भगदड़ के दौरान पुलिसकर्मी बेबस नजर आए। जब शव हाथरस के ट्रॉमा सेंटर पहुंचने लगे तो वहां कोई व्यवस्था नहीं थी। एक श्रद्धालु ने बताया कि जब वह ट्रॉमा सेंटर गया तो वहां एक जूनियर डॉक्टर और सिर्फ एक फार्मासिस्ट मौजूद थे। सीएमओ भी मौजूद नहीं थे। वह डेढ़ घंटे बाद अस्पताल पहुंचे। शुरुआत में डॉक्टर स्ट्रेचर पर ही घायलों को प्राथमिक उपचार दे रहे थे। हालत गंभीर होने पर उन्हें रेफर कर दिया गया।
यह हादसा करीब दो बजे हुआ। सत्संग के समापन के बाद जब भोले बाबा वहां से जाने लगे तो श्रद्धालु उनके चरणों की धूल छूने के लिए आगे बढ़े। तभी धक्का-मुक्की होने लगी। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। भगदड़ मच गई। आयोजन स्थल के पास दलदली मैदान था, कई लोग यहां फंस गए। कई लोग कीचड़ में गिर गए। कई महिलाएं बेहोश हो गईं।
‘बाबा के सेवादारों ने सहयोग नहीं किया’
पुलिस के मुताबिक, जब कार्यक्रम स्थल पर भगदड़ मच रही थी, तब सेवादार और आयोजक चुपचाप देखते रहे। किसी ने सहयोग नहीं किया। फिर एक-एक करके वे खिसक गए। पुलिस ने ही घायलों को अस्पताल पहुंचाया। इस हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुख जताया है। मुख्यमंत्री योगी ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम बनाई गई है। इस टीम में डीआईजी रैंक के अधिकारी शामिल हैं।
पुलिस के मुताबिक, जब कार्यक्रम स्थल पर भगदड़ मच रही थी, तब सेवादार और आयोजक चुपचाप देखते रहे। किसी ने सहयोग नहीं किया। फिर एक-एक करके वे खिसक गए। पुलिस ने ही घायलों को अस्पताल पहुंचाया। इस हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुख जताया है। मुख्यमंत्री योगी ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम बनाई गई है। इस टीम में डीआईजी रैंक के अधिकारी शामिल हैं।
जानिए कौन हैं भोले बाबा
आपको बता दें कि भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वे कासगंज के बहादुर नगर के मूल निवासी हैं। सूरजपाल ने 1990 के दशक के आखिर में पुलिस की नौकरी छोड़ दी और प्रवचन देने लगे। बाबा सत्संग करने लगे। भोले बाबा की कोई संतान नहीं है। बाबा की पत्नी भी सत्संग में उनके साथ जाती हैं। वे एससी समुदाय से आते हैं।
आपको बता दें कि भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वे कासगंज के बहादुर नगर के मूल निवासी हैं। सूरजपाल ने 1990 के दशक के आखिर में पुलिस की नौकरी छोड़ दी और प्रवचन देने लगे। बाबा सत्संग करने लगे। भोले बाबा की कोई संतान नहीं है। बाबा की पत्नी भी सत्संग में उनके साथ जाती हैं। वे एससी समुदाय से आते हैं।