UP : अब असामाजिक तत्व और छेड़छाड़ करने वाले मनचलों को सबक सिखाएगी ये अंगूठी, बटन दबाते ही बन जाती है 'बंदूक'

इस अंगूठी को बनाने वाली दोनों लड़कियां बीसीए की छात्रा हैं। उन्होंने एक 'रिंग गन' बनाई है जो छेड़खानी करने वालों को सबक सिखाएगी। दोनों लड़कियां ITM GIDA, गोरखपुर में पढ़ती हैं।
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Nirbhay Ring Gun
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की दो छात्राओं ने एक ऐसी अंगूठी बनाई है, जिसे पहनकर लड़कियां मनचलों को सबक सिखा सकेंगी। इस अंगूठी का नाम निर्भय रिंग गन है। इसे बनाने वाली छात्राओं के नाम अंकिता राय और अंशिका तिवारी हैं। दोनों छात्राएं इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (ITM GIDA Gorakhpur) में बीसीए की पढ़ाई कर रही हैं।READ ALSO:-मेरठ : मंत्री दिनेश खटीक के घर के सामने सांड का बुजुर्ग पर हमला, 3 फीट ऊपर हवा में फेंका, पेट में घुसा सींग, आंतें निकल आई बाहर.....

 

अंकिता और अंशिका फिलहाल बीसीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। उन्होंने कॉलेज की इनोवेशन सेल टीम के साथ मिलकर एक ऐसी 'रिंग गन' बनाई है, जो लड़कियों को परेशान करने वाले मनचलों को सबक सिखाएगी। अंकिता ने बताया कि यह अंगूठी मुसीबत में फंसी लड़कियों की मदद करेगी। कई लड़कियां ऐसी होती हैं जो घर से दूर जॉब करती हैं। उन्हें अकेले कहीं जाना पड़ता है, ऐसे में अगर कोई असामाजिक तत्व लड़की को परेशान करने की कोशिश करता है, तो हमारी निर्भय रिंग गन एक दोस्त की तरह उनकी मदद करेगी।

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निर्भय रिंग गन का क्या काम है?
निर्भय रिंग गन की मदद से लड़कियां अपने घरवालों को कॉल कर अपनी लोकेशन तुरंत भेज सकेंगी। जरूरत पड़ने पर लड़कियां इस अंगूठी का इस्तेमाल पिस्तौल की तरह कर सकती हैं। चौंकिए मत, यह रिंग गन असली गोली नहीं चलाएगी। बल्कि गोली जैसी तेज आवाज करेगी। अंशिका तिवारी ने बताया कि इस रिंग में दो बटन हैं। पहला बटन दबाते ही रिंग का ब्लूटूथ मोबाइल से कनेक्ट हो जाता है और लोकेशन तुरंत परिजनों और दोस्तों को भेज दी जाती है। फिर उसी समय परिजनों को कॉल भी लग जाती है।

 

बटन दबाते ही गोली चलने जैसी आवाज
अंकिता ने बताया कि निर्भय रिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मुसीबत के समय यह रिंग बदमाशों से खुद को बचाने के लिए हथियार का रूप भी ले लेती है। इसे मोड़कर बंदूक में बदला जा सकता है। इस रिंग में एक लाल बटन भी है, जो निर्भय रिंग गन का ट्रिगर है। इसे दबाते ही गोली चलने जैसी आवाज आने लगती है।

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निर्भय रिंग गन में 10 एमएम की मेटल बैरल है, जिससे खाली गोलियां चलती हैं। अंशिका ने बताया कि इस रिंग का वजन करीब 50 से 60 ग्राम है। इसे किसी भी मोबाइल चार्जर से चार्ज किया जा सकता है। यह रिंग दो हिस्सों में बंटी हुई है। इस निर्भय रिंग को बंदूक में बदलने के लिए दो हिस्सों को जोड़ना पड़ता है।

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इसे बनाने में कितना खर्च आया?
संस्थान के निदेशक डॉ. एनके सिंह ने छात्रों के इस आविष्कार की प्रशंसा करते हुए कहा कि निर्भय रिंग से महिलाएं मुसीबत में खुद का बचाव कर सकेंगी। छात्रों ने बताया कि रिंग बनाने में हमें 2 सप्ताह का समय लगा और इसकी लागत 1500 रुपये आई है। इसे बनाने में हमने 10 एमएम मेटल पाइप, ब्लूटूथ मॉड्यूल, 3.7 वोल्ट की नैनो बैटरी, स्विच, मेटल रिंग का इस्तेमाल किया है।
SONU

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