UP : लव जिहाद पर उम्रकैद...उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने विधानसभा में पेश किया विधेयक....

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (Amendment) विधेयक 2024 पेश किया। इसमें पहले से परिभाषित अपराधों के लिए सजा दोगुनी करने और कुछ अन्य अपराधों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।
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लोकसभा चुनाव के नतीजे इस बार उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए अच्छे नहीं रहे। फिर भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने हिंदुत्व के एजेंडे पर अड़े हुए हैं। कांवड़ यात्रा में नेम प्लेट लगाने के फैसले पर विवाद अभी भी जारी है।  हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लव जिहाद पर अपनी नजरें टेढ़ी कर ली हैं। सरकार ने उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण पर और सख्त सजा का प्रावधान करने का फैसला किया है। READ ALSO:-UP : सपा के अफजाल अंसारी बने रहेंगे सांसद, इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत, 4 साल की सजा रद्द

पहली बार इन अपराधों में उम्रकैद तक की सजा देने का प्रस्ताव है। योगी सरकार ने विधानसभा में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (Amendment) विधेयक 2024 पेश किया। इसमें पहले से परिभाषित अपराधों में सजा को दोगुना कर दिया गया है। कुछ अन्य अपराधों में उम्रकैद का प्रावधान है। 2017 के विधानसभा चुनाव में योगी सरकार ने 'लव जिहाद' को चुनावी मुद्दा बनाया था।  

 

अपराध का दायरा और सजा दोनों बढ़ाने का प्रस्ताव
इस पर रोक लगाने के लिए वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश पारित किया गया था। वर्ष 2021 में इसे विधानमंडल से पारित कराकर कानूनी रूप दिया गया। इस कानून के तहत अधिकतम सजा 10 वर्ष और 50 हजार तक का जुर्माना था। प्रस्तावित विधेयक में अपराध का दायरा और सजा दोनों बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।

 

अवैध धर्म परिवर्तन के लिए फंडिंग को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है। इसमें विदेशी संस्थाओं या किसी अवैध संस्था से फंडिंग भी शामिल है। अगर कोई किसी को जानमाल का भय दिखाता है या धर्म परिवर्तन कराने के इरादे से हमला करता है, बल प्रयोग करता है या शादी का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है तो उसे आजीवन कारावास के साथ जुर्माना भी देना होगा।

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अब कोई भी व्यक्ति पुलिस को अपराध की जानकारी दे सकेगा
कोर्ट पीड़ित के इलाज के खर्च के एवज में जुर्माना तय कर सकेगा। सरकार का कहना है कि अपराध की संवेदनशीलता, महिलाओं की सामाजिक स्थिति, दलित-पिछड़े समुदाय से होने के आधार पर भी अपराध की सजा तय की जाएगी। अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए सजा और जुर्माने को बढ़ाने की जरूरत महसूस की गई। इसलिए यह विधेयक लाया जा रहा है। 

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कानून में एक और बदलाव किया गया है। इसमें घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने वालों का दायरा बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। पहले पीड़ित, उसके माता-पिता, भाई-बहन या कोई भी रिश्तेदार अपराध की रिपोर्ट दर्ज करा सकता था। अब कोई भी व्यक्ति लिखित में पुलिस को इसकी जानकारी दे सकता है। इसकी जांच की जा सकेगी। कानून के तहत सभी अपराधों को गैर जमानती बना दिया गया है। इसकी सुनवाई सत्र न्यायालय से निचली अदालत नहीं करेगी। सरकारी वकील को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।
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