UP : साइबर अपराध पर लगेगी लगाम, 57 जिलों में खुलेंगे साइबर थाने, कैबिनेट बैठक में हुआ फैसला, एक अरब रूपये से ज्यादा होंगे खर्च

उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए सरकार सभी 57 जिलों में साइबर थाने खोलने जा रही है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इन पुलिस स्टेशनों को खोलने में करीब 1 अरब 27 करोड़ 24 लाख 51 हजार रुपये खर्च होने का अनुमान है। 
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उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ रहे अपराध पर लगाम लगाने की कोशिश की जा रही है।  राज्य भर के 57 जिलों में साइबर थाने खोले जायेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। फिलहाल राज्य के 18 प्रमंडलों में ही साइबर थाने मौजूद हैं। READ ALSO:-अपने खाते को बैंक धोखाधड़ी से सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो इन टेक्स्ट मैसेज संदेशों से हमेशा सावधान रहें.....

 

राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को साइबर पुलिस स्टेशन खोलने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। यह निर्णय प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए कैबिनेट ने गाजियाबाद, रामपुर, रायबरेली, सीतापुर, हरदोई, कानपुर देहात, इटावा, बागपत, बाराबंकी और मैनपुरी समेत प्रदेश के 57 जिलों में साइबर क्राइम थाने खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

 


अभी तक सिर्फ 18 डिविजनों में ही साइबर थाने हैं।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, अब तक राज्य के 18 प्रमंडलों में ही साइबर थाने संचालित हो रहे हैं।उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम के बारे में जानकारी देते हुए मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अपराध में सजा के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप पर है।  हमारी दोषसिद्धि दर राष्ट्रीय साइबर अपराध दोषसिद्धि दर से बेहतर है। साइबर अपराध के मामलों में राष्ट्रीय सजा दर 46.5 है, जबकि उत्तर प्रदेश की सजा दर 87.8 प्रतिशत है।

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एक अरब, कीमत 27 करोड़ से ज्यादा
मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि इन पुलिस स्टेशनों की स्थापना पर लगभग 1 अरब 27 करोड़ 24 लाख 51 हजार रुपये खर्च होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि ये थाने बहुत जल्द खुलने वाले हैं। इससे बढ़ते साइबर अपराध पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। अभी तक साइबर थाने पुलिस महानिरीक्षक की देखरेख में काम करते हैं, लेकिन अब वे संबंधित जिला पुलिस अधीक्षकों के अधीन होंगे।
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