UP : 2008 में धरने पर बैठे आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को 15 साल पुराने मामले में कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई

2 जनवरी 2008 को पूर्व मंत्री और रामपुर से पूर्व विधायक आजम खान अपने परिवार के साथ एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुजफ्फरनगर जा रहे थे।  छजलात थाने के सामने वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने आजम खां की कार को रोक लिया। विरोध में आजम खां और उनके पुत्र स्वार-टांडा विधानसभा सीट से विधायक अब्दुल्ला आजम सड़क पर धरने पर बैठ गये। 
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समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला खान को अदालत ने 2008 के एक मामले में दोषी करार दिया है। साथ ही उन्हें दो-दो साल की सजा सुनाई गई है। उन पर दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।Read Also:-काम की खबर : अगर आप आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन कर रहे हैं तो पहले इन बातों को जरूर जान लें, नहीं तो बाद में दिक्कत भी हो सकती है।

 

शाम को दोनों जमानत के कागजात दाखिल कर कोर्ट से बाहर आ गए। इस दौरान बड़ी संख्या में उनके समर्थक कोर्ट के बाहर मौजूद रहे। 

 

कार को चेकिंग के लिए रोका तो बैठ गए धरने पर 
छजलैट पुलिस ने 29 जनवरी 2008 को समाजवादी पार्टी के पूर्व रामपुर विधायक आजम खां की कार को चेकिंग के लिए रोका था। इस दौरान आजम खान गुस्से में सड़क पर बैठ गए। जिसके बाद आजम खान और उनके साथियों पर सड़क जाम करने और सरकारी काम में बाधा डालने, भीड़ को उकसाने का आरोप लगा था।  पुलिस ने पिता-पुत्र के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

 

इसमें 9 लोगों को आरोपी बनाया गया था
छजलैट थाने में दर्ज इस मामले की सुनवाई मुरादाबाद की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में हुई। इस मामले में आजम खान और अब्दुल्ला खान, महबूब अली सहित 9 समाजवादी पति के नेताओं को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, कोर्ट ने बाकी लोगों को निर्दोष करार दिया है। इस मामले में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला खान को दोषी करार दिया गया है। 

 

7 आरोपी हुए बरी
इस मामले में अमरोहा से समाजवादी पार्टी के विधायक महबूब अली, सपा के पूर्व विधायक हाजी इकराम कुरैशी (अब कांग्रेस में), बिजनौर से सपा नेता मनोज पारस, सपा नेता डीपी यादव, सपा नेता राजेश यादव और सपा नेता राजकुमार प्रजापति आरोपी थे। कोर्ट ने इन लोगों को बरी कर दिया है।

 

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आज़म खान की एक याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए चुनाव की तारीख पर न्यूनतम योग्यता आयु प्राप्त नहीं करने के लिए पूर्व विधायक को अयोग्य ठहराया गया था।

 

एडीजीसी वैभव गुप्ता के अनुसार आईपीसी की धारा 353 में 2 साल कैद व 2 हजार जुर्माना, आईपीसी 341 में 1 माह की सजा व 500 जुर्माना, 7 आपराधिक संशोधन अधिनियम में 6 माह की सजा व 500 रुपये जुर्माना है। 
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