निरंजनी अखाड़े में दो साल पहले भी हुई थी संत की संदिग्ध मौत, नरेंद्र गिरी की मौत के आरोपी आनंद गिरि ने उठाए थे कई सवाल

 आज से दो साल पहले नवंबर में भी निरंजन अखाड़े के महंत आशीष गिरी की भी सदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। 17 नवंबर 2019 को उनका गोली लगा शव उनके कमरे से मिला था।

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ashish giri
 
निरंजनी अखाड़े (Niranjani Akhara) के महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (All India Akhara Parishad) के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी (Narendra Giri) की सोमवार को संदिग्ध हालत में मौत हो गई है। उनका शव प्रयागराज के उनके बाघंबरी मठ में ही फांसी के फंदे से लटकता मिला। शुरुआती जांच में पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है। Read Also : महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से मिला सुसाइड नोट, इन 3 नामों का जिक्र; मामले में हुई पहली बड़ी गिरफ्तारी

 

महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से 7 पेज का एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी का जिक्र करते हुए मानिसक तौर पर परेशान करने की बात लिखी है। पुलिस ने इस मामले में अब तक आनंद गिरि और आद्या तिवारी को हिरासत में ले लिया है वहीं योगी सरकार ने स मुद्दे को लेकर आपातकालीन बैठक बुलाई है। बता दें कि निरंजनी अखाड़े के पास प्रयागराज जिले में बहुत जमीनें हैं। जमीनों की बिक्री को लेकर अकसर अखाड़े में विवाद के सुर उठते रहे हैं। Read Also : BIG Breaking: फांसी के फंदे पर लटका मिला महंत नरेंद्र गिरि का शव, हत्या या आत्महत्या में उलझी पुलिस

 

यह पहली बार नहीं है जब निरंजनी अखाड़े के किसी संत की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई है। आज से दो साल पहले नवंबर में भी निरंजन अखाड़े के महंत आशीष गिरी की भी सदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। मूल रूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले आशीष गिरि दारागंज स्थित पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के आश्रम में रहते थे।  17 नवंबर 2019 को उनका गोली लगा शव उनके कमरे से मिला था। उनकी हथेली में पिस्टल फंसी थी और पास में ही खोखे बरामद किये गये थे। चौकाने वाली बात ये है कि आशीष गिरी की लाश बरामद होने के कई दिनों बाद तक इस मामले में कोई मुकदमा प्रयागराज में दर्ज नहीं किया गया था।

 

पुलिस का दावा था कि उनकी हथेली में पिस्टल फंसी मिली और बगल मेें ही खोखा भी मिला। जिसके आधार पर मामले को खुदकुशी बताया गया। हालांकि मौके की हालत ने पुलिस की इस थ्योरी पर कई सवाल भी खड़े कर दिए थे। मसलन मौके पर दो खोखों का मिलना, घटना के वक्त आश्रम में मौजूद लोगों का गोली चलने की आवाज न सुनना और उन्हें घटना की जानकारी काफी देर बाद होना आदि समेत कई ऐसे सवाल थे, जिनका जवाब नहीं मिल सका।

 

मामले को खुदकुशी बताने वाली पुलिस का कहना था कि फोरेंसिक जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी। जिसके बाद मौके से बरामद पिस्टल व खोखों को लैब में भी भेजा गया, लेकिन जांच रिपोर्ट का अब तक नहीं आई है। डेढ़ साल बाद भी जांच रिपोर्ट न मिलने को लेकर जिम्मेदारों के पास भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। मामले में दारागंज थाने के प्रभारी निरीक्षण जेपी शाही ने बताया कि बैलेस्टिक जांच के लिए असलहे को फोरेंसिक लैब में भेजा गया था। रिपोर्ट अब तक नहीं मिल सकी है। जिसके लिए रिमाइंडर भी भेजा गया है।

 

आश्रम की संपत्तियों को लेकर विवाद भी आया था सामने

आशीष गिरि की मौत के मामले में महंत नरेंद्र गिरि का कहना था कि ज्यादा शराब पीने की वजह से वह बीमार हो गए थे। आशीष गिरि का लंबे समय से इलाज चल रहा था। इसी को लेकर आशीष काफी परेशान रहते थे। उधर आश्रम की संपत्तियों को लेकर विवाद की भी बात सामने आई थी। मांडा स्थित करोड़ों रुपये मूल्य की जमीन बेचने को लेकर भी आशीष व अन्य लोगों में तनातनी की बात सामने आई थी। हालांकि महंत नरेंद्र गिरि ने किसी तरह के विवाद की बात से साफ इनकार किया था। 

 

आनंद गिरि ने उठाए थे सवाल

आशीष गिरि की मौत को लेकर भी नरेंद्र गिरी के शिष्य आनंद गिरि ने कई सवाल उठाए थे। तब आनंद गिरी ने कहा था कि जमीनी विवाद को लेकर आशीष ​गिरी की हत्या की गई है। इस मामले की जांच सीबीआई से करने की भी मांग की गई थी। अखाड़े से निष्कासित किए जाने के बाद आनंद गिरि का एक बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि संपत्ति के कई विवाद अखाड़ों में होते रहे हैं और इसमें साधुओं को मारा भी गया। उन्होंने आशीष गिरि का नाम तो नहीं लिया था, लेकिन यह जरूर कहा था कि ऐसे ही एक विवाद में कुछ दिनों पहले उनकी ही उम्र का एक साधु अखाड़े में मृत पाया गया। जिसे आत्महत्या बताकर मामले को खत्म कर दिया गया था।

 

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