धर्म परिवर्तन वैध, लेकिन छिपाकर ना किया जाए, कानूनी प्रक्रिया के तहत हो-इलाहाबाद हाईकोर्ट
धर्म परिवर्तन सभी के लिए खुला है लेकिन इसका सबूत होना चाहिए कि यह स्वैच्छिक था: इलाहाबाद उच्च न्यायालय
Apr 12, 2024, 16:40 IST
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भारतीय संविधान में नागरिकों को अपनी इच्छानुसार कोई भी धर्म अपनाने का अधिकार दिया गया है। इसके लिए उन्हें पूरी आजादी है। लेकिन चोरी-छिपे या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने के कई मामले भी देखे गए हैं। इस बीच धर्म परिवर्तन और उसकी प्रक्रिया पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि लोग कानूनी प्रक्रिया के जरिए अपना धर्म बदलने के लिए स्वतंत्र हैं। अगर कोई अपना धर्म बदलता है तो उसे अखबार में विज्ञापन देना होगा। READ ALSO:-मोबाइल फ़ोन पर बात करना 4 जून के बाद हो जाएगा महंगा! जानें कितनी बढ़ जाएगी रिचार्ज प्लान की कीमत?
धर्म परिवर्तन कानूनी प्रक्रिया के तहत होना चाहिए
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि कानूनी प्रक्रिया के जरिए धर्म परिवर्तन वैध है। लेकिन ये काम छुपकर नहीं करना चाहिए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि देश में कोई भी व्यक्ति धर्म बदलने के लिए स्वतंत्र है। बशर्ते कि कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया हो।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि कानूनी प्रक्रिया के जरिए धर्म परिवर्तन वैध है। लेकिन ये काम छुपकर नहीं करना चाहिए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि देश में कोई भी व्यक्ति धर्म बदलने के लिए स्वतंत्र है। बशर्ते कि कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया हो।
धर्म परिवर्तन के लिए अखबार में विज्ञापन देना होगा
हाई कोर्ट ने कहा कि इसके लिए हलफनामा और अखबार में विज्ञापन देना जरूरी है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि धर्म परिवर्तन पर कोई सार्वजनिक आपत्ति न हो। यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि कोई धोखाधड़ी या अवैध अवैध धर्म न हो। साथ ही सभी सरकारी आईडी पर नया धर्म दिखना चाहिए।
संविधान में नागरिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता
गौरतलब है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। भारत के नागरिकों को आस्था और प्रार्थना की स्वतंत्रता दी गई है। लोगों को धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता है। किसी विशेष धर्म का प्रचार-प्रसार करने पर भी कर छूट मिलती है। कुछ शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा और पूजा में उपस्थित रहने की भी स्वतंत्रता है।
गौरतलब है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। भारत के नागरिकों को आस्था और प्रार्थना की स्वतंत्रता दी गई है। लोगों को धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता है। किसी विशेष धर्म का प्रचार-प्रसार करने पर भी कर छूट मिलती है। कुछ शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा और पूजा में उपस्थित रहने की भी स्वतंत्रता है।