उत्तर प्रदेश में गहरा सकता है बिजली संकट, निजीकरण के खिलाफ बिजली विभाग के कर्मचारी करेंगे विरोध प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भीषण बिजली संकट का खतरा मंडरा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आइए जानते हैं कि आखिर वो कौन सी वजह है जिसकी वजह से बिजली संकट पैदा हो सकता है।
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BIJLI
उत्तर प्रदेश में आने वाले दिनों में बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। बिजली कर्मचारी सरकार पर हमला बोलने की तैयारी में हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने राज्य सरकार के बिजली वितरण के निजीकरण के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण से आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, जबकि सरकार इसे सुधारने का एकमात्र रास्ता मान रही है। READ ALSO:-ऑनलाइन स्टाम्प : अब घर बैठे मिलेंगे स्टाम्प, जानिए ई-स्टाम्प पेपर पाने की प्रक्रिया और कीमत

 

दरअसल, सरकार बिजली को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। इस खबर के बाद बिजली कर्मचारियों ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारियों के तेवर देख सरकार ने भी हड़ताल जैसी स्थिति से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है।

 

निजीकरण के खिलाफ मोर्चा
विद्युत कर्मचारियों की संयुक्त संघर्ष समिति ने 4 दिसंबर को वाराणसी से जन पंचायत का ऐलान किया है, जिसमें निजीकरण के खिलाफ व्यापक जनजागरण अभियान चलाने की योजना है। वहीं, सभी डीएम, कमिश्नर और पुलिस कप्तानों को पत्र भेजकर एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।

 

दिसंबर 2022 में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल
दिसंबर 2022 और पिछले साल मार्च में बिजली उत्पादन इकाइयों के निजीकरण समेत कई फैसलों के खिलाफ बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल की थी। इस साल मार्च में बिजली कर्मचारियों की चार दिवसीय हड़ताल ने हंगामा मचा दिया था। आखिरकार सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा।

 

सभी जिलों के डीएम, कमिश्नर और पुलिस कप्तानों को अलर्ट
यूपी सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए सभी जिलों के डीएम, कमिश्नर और पुलिस कप्तानों को अलर्ट कर दिया है। सरकार ने अधिकारियों को बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए पहले से ही जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत जरूरी मैनपावर की पहचान और तैनाती सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं। 

 

उत्तर प्रदेश सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि अस्पताल, जलापूर्ति व्यवस्था और सरकारी दफ्तरों जैसे संवेदनशील स्थानों पर वैकल्पिक ऊर्जा की व्यवस्था की जाए। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल ने डीएम-कमिश्नर और पुलिस कप्तानों को भेजे पत्र में बताया है कि बिजली वितरण को पीपीपी मॉडल पर चलाने की तैयारी क्यों की जा रही है।

 

बिजली कर्मचारियों की हुंकार
निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों ने हुंकार भरी है। ऐसे में प्रशासन ने सभी डीएम-कमिश्नरों से उन लोगों की पहचान करने को कहा है जो बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद स्थिति को संभाल सकें। 

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बैठकों का सिलसिला 
पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल ने सोमवार शाम से ही कर्मचारी संगठनों के साथ बैठकों का सिलसिला शुरू कर दिया। घाटे के आंकड़ों को पीपीटी के जरिए समझाया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा कोई काम न किया जाए जिससे प्रदेश की बिजली आपूर्ति बाधित हो। बैठक में उन्होंने यह भी बताने की कोशिश की कि कर्मचारियों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी।
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