मेरठ: सावन की शिवरात्रि पर उमड़ा भक्तों का जन सैलाब, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी लाए कावड़, महादेव पर किया जलाभिषेक, 2 किलोमीटर लंबी लगी लाइन

सावन शिवरात्रि 2023: ऐतिहासिक औघड़नाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। जानिए किस समय से शुरू होगा चतुर्दशी का जलाभिषेक.
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प्रदेश भर में आज सावन की शिवरात्रि मनाई जा रही है। शिवालयों में भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है। मंदिर परिसर बम भोले के जयकारों से गूंज रहा है। इस बीच हरिद्वार से कांवड़ लेकर मुजफ्फरनगर पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने शिव भोले चौक मंदिर में जलाभिषेक किया। वहीं, बागपत के पुरा महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए भक्तों की 2 किलोमीटर लंबी लाइन लगी है। READ ALSO:-बिजनौर : शेरकोट मे मनोकामना महादेव मंदिर मे विशाल भंडारे का आयोजन- रिपोर्ट-निशांत कुमार गौड़

 

मेरठ के बाबा औघड़नाथ शिव मंदिर में सुबह 4 बजे से ही भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है।  बागपत, गाजियाबाद में कांवड़ियों के जलाभिषेक के लिए मंदिरों में अलग से व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के लिए सभी मंदिरों में सीसीटीवी लगाए गए हैं। भारी पुलिस बल तैनात है। 

 BALIYAN

गुरुवार शाम से ही बाबा औघड़नाथ मंदिर में कांवरियों का आना शुरू हो गया था। इस बार कांवड़ में 10वीं और 11वीं के विद्यार्थियों की संख्या सबसे अधिक थी। छह साल से दस साल तक के बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ कांवड़ लेकर आए। बाबा औघड़नाथ मंदिर स्थित नैंसी चौराहा और दर्शन एकेडमी के पास बैरिकेडिंग की गई है।

 

प्रशासनिक पंडाल, जूता चप्पल स्टैंड सहित विभिन्न सामाजिक धार्मिक संगठनों द्वारा सेवा शिविर लगाये गये हैं। शुक्रवार सुबह ही मेरठ की कई झांकियां मोदीपुरम में कांवर लेकर पहुंच गईं। मोदीपुरम, रूड़की रोड, बेगमपुल, सदर और कैंट के विभिन्न पंडालों में कांवरिये ठहरे हुए हैं।

 

मुठभेड़ में लगे 12 चाकू, भोलेनाथ ने बचाई जान
रोहटा रोड निवासी सेवानिवृत्त उपनिरीक्षक विष्णु ने बताया कि वह आठ बार कांवड़ ला चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब वह हरिद्वार में तैनात थे तो उन्होंने दो चेन स्नेचर पकड़े थे। चेन स्नेचरों ने विष्णु पर चाकुओं से हमला कर दिया। पेट और कमर पर 12 वार किए गए। विष्णु ने बताया कि वह बेहोशी की हालत में भी शिव का नाम जपते रहे। ठीक होने के बाद संकल्प लिया कि अब वह भोले के नाम की कांवड़ लाएंगे। विष्णु के साथ उनका बेटा हिमांशु भी कांवड़ लेकर आया। शिव सेवा समिति घास मंडी के दसवें भंडारे में उनसे मिलने उनकी बेटी पूजा और बहू भी पहुंचीं। उन्होंने बताया कि उन्होंने 9 जुलाई को जल उठाया था और 13 को मेरठ पहुंचे थे। 

 

पिता के साथ बेटी लेकर आई कांवड़ 
कालियागढ़ी निवासी ने बताया कि उनकी नौ साल की बेटी नैना भी उनके साथ कांवड़ लेकर आई है। वह कई बार कांवड़ लेकर आ चुके हैं। इस बार पहली बार बेटी भी कांवड़ लेकर आई है।

 

नंदपुरी निवासी रेनू शाक्य ने बताया कि वह 30 साल से कांवड़ ला रही हैं। बेटी प्रीति और बेटा गोपाल भी अपने साथ कांवड़ लेकर आए। रेनू ने बताया कि बच्चों को भी बचपन से ही कांवड़ लाने के लिए ले जाया जा रहा है। जब वह छोटा था तो उसे वॉकर में ले जाता था। अब बड़े हो गए हैं तो पैदल कांवड़ लेकर आते हैं। 

 

मन्नत पुरी हुई तो बच्चों के साथ कांवड़ लेकर आए
गोविंदपुरी निवासी राहुल ने बताया कि वह अपनी पत्नी रानी, सात साल की बेटी रूही और छह साल के बेटे शौर्य के साथ कांवर लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि जब शौर्य पांच साल का था तो उसने अपने साथ कांवर लाने का संकल्प लिया था, जिसे इस बार पूरा किया. पूरा परिवार शिव का परम भक्त है। 

11वीं की छात्रा पिता के साथ जल लेकर आई
कंकरखेड़ा निवासी अश्वनी ने बताया कि वह एसडी स्कूल में 11वीं का छात्र है। पिता कुलदीप शर्मा पुजारी हैं। वे वर्षों से कावड़ लाते आ रहे हैं। इस बार वह अपने साथ कावड़ भी लेकर आए हैं। अश्वनी ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्होंने कांवड़ के सभी नियमों का पूरी निष्ठा से पालन किया। मेडिकल क्षेत्र निवासी हिमांशु और प्रियांशु ने बताया कि वे भी 11वीं कक्षा के छात्र हैं और पहली बार कांवड़ लेकर आए हैं।

 

भाई ने बहनों के साथ उठाई भोले की कांवड़ 
सुभाषपुरी निवासी विशाल ने बताया कि वह किसान इंटर कॉलेज में 11वीं कक्षा में पढ़ता है। कई बार कांवड़ लेकर आए हैं। इस बार उनके साथ उनकी बहन राधिका और भारती भी कांवड़ लेकर आई हैं। दिन-रात चलकर तीन दिन में हरिद्वार से मेरठ पहुंचे।

 

दादी के साथ 10 साल की सोनाक्षी लाई कंवर
तेजगढ़ी निवासी रामवती ने बताया कि वह 10 बार कांवड़ लेकर आ चुकी हैं। भोले का नाम लेने मात्र से सारे दुख दूर हो जाते हैं। इस बार दस साल की पोती सोनाक्षी ने भी कांवड़ लाने की जिद की तो वह उसे भी साथ ले गए। पूरे रास्ते वह भोले का नाम लेती रही और उसे कहीं भी थकान महसूस नहीं हुई। 

 यह तस्वीर औघड़नाथ के काली पलटन मंदिर का है। जहां सुबह से भक्त जलाभिषेक करने पहुंच रहे है।

औघड़नाथ शिव मंदिर को काली पलटन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
मेरठ का बाबा औघड़नाथ शिव मंदिर पश्चमी उत्तर प्रदेश के लिए आस्था का केंद्र माना जाता है। ब्रिटिश सेना में भारतीय सैनिकों को काली पलटन कहा जाता था। इस मंदिर के आसपास भारतीय सैनिक रहा करते थे। इस कारण इस मंदिर को काली पलटन मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।

 बागपत का परशुराम महादेव मंदिर।

परशुरामेश्वर मंदिर में जल चढ़ाते कांवरिया
मेरठ से 40 किमी दूर बागपत में शिव भक्तों का बड़ा केंद्र है...श्री परशुरामेश्वर महादेव मंदिर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कांवड़िये चाहे हरिद्वार की हर की पौडी से जल लें या फिर दिल्ली हाईवे पर बदायूँ के कछला गंगा घाट से, इस मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक करने जरूर आते हैं। 40 एकड़ में फैले इस मंदिर के पीछे भगवान परशुराम की तपस्या की कहानी है।

 बुलंदशहर का राजराजेश्वर मंदिर सैकड़ों साल पुराना है।

नागाओं ने राजराजेश्वर मंदिर की स्थापना की
राजराजेश्वर मंदिर...बुलंदशहर में मौजूद यह प्राचीन मंदिर सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि नागाओं ने इस मंदिर की स्थापना की थी। श्रावण मास में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु "राजराजेश्वर महादेव शिवलिंग" पर जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।

 लाल मंदिर नोएडा शिवभक्ति का है अनूठा केंद्र।

लाल मंदिर की गिनती प्राचीन मंदिरों में होती है
नोएडा के सेक्टर-2 स्थित लाल मंदिर का इतिहास नोएडा से भी पुराना है। मंदिर का जीर्णोद्धार 1981 में टी-सीरीज़ के मालिक गुलशन कुमार ने कराया था। इसकी स्थापना 1963 में हुई थी। सबसे पहले यहीं पर शिवलिंग की स्थापना की गई थी। धीरे-धीरे मंदिर परिसर का विस्तार होने लगा।

 

अब इसमें नवदुर्गा के विभिन्न रूपों की मूर्तियाँ और शिव परिवार तथा अन्य देवी-देवताओं की आकर्षक मूर्तियाँ हैं। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इसकी गिनती प्राचीन मंदिरों में होती है। यहां संपूर्ण शिव परिवार विराजमान है। शिवरात्रि पर यहां भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं।

 दूधेश्वर नाथ मंदिर गाजियाबाद।

दूधेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास रावण से जुड़ा है
गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक करते श्रद्धालु। मंदिर के महंत श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया, इस प्राचीन मंदिर का इतिहास लंकापति रावण के काल से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि रावण के पिता विश्रवा ने यहां कठोर तपस्या की थी।

 बरसी शिवमंदिर में बना प्राचीन शिवलिंग।

बरसी मंदिर में जलाभिषेक के साथ कांवर यात्रा का समापन हुआ
सहारनपुर के तीतरों क्षेत्र के बरसी के ऐतिहासिक महाभारतकालीन शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। शिव मंदिर के पुजारी बताते हैं कि प्राचीन काल से यह मान्यता है कि जब तक क्षेत्र के किसी भी गांव के लोग कांवड़ लाते समय जब तक इस मंदिर में जलाभिषेक नहीं करते हैं, तब तक यात्रा अधूरी रहती है। ऐसे में पूरे श्रावण माह में मंदिर में भक्तों का मेला लगा रहता है।
monika

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