मेरठ : किसान महापंचायत में पश्चमी उत्तर प्रदेश के 13 जिलों के किसानों ने की आतिशबाजी; सीओ ने किसी तरह स्थिति को संभाला

 मेरठ में भारतीय किसान यूनियन (Apolitical) की किसान महापंचायत हो रही है। यह पहली बार है कि भाकियू से अलग होकर बना एक अराजनैतिक संगठन भाकियू अपनी पंचायत कर रहा है।
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मेरठ में भारतीय किसान यूनियन (Apolitical) की किसान महापंचायत हो रही है। यह पहली बार है कि भाकियू से अलग होकर बना एक अराजनैतिक संगठन भाकियू अपनी पंचायत कर रहा है। संगठन बनने के बाद भाकियू अराजनैतिक के कार्यकर्ता अपनी ताकत का अहसास कराने के इरादे से मेरठ में एकत्रित हुए।Read Also:-Bank Holidays: अप्रैल में बैंकों की बंपर छुट्टियां, 15 दिन बंद रहेंगे बैंक; अपने महत्वपूर्ण कार्य अभी निपटाएं...

अचानक किसानों ने यहां आतिशबाजी शुरू कर दी है। आतिशबाजी से लोगों में अफरातफरी मच गई। सीओ सिविल लाइन ने किसानों को किसी तरह स्थिति को सभाला। उत्तर प्रदेश के 13 जिलों के किसान यहां जुटे हैं। ट्रैक्टर-ट्राली से किसान पहुंचे हैं। भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता, किसान मंगलवार रात से ही मेरठ आने लगे थे.

 करीब 20 हजार किसान आये 
संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि महापंचायत में मेरठ व सहारनपुर संभाग से हजारों की संख्या में किसान पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि मुरादाबाद, बागपत, बुलंदशहर और अलीगढ़ समेत यूपी वेस्ट के 13 जिलों से 20 हजार से ज्यादा किसान मेरठ पहुंचे हैं। 

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भारतीय किसान यूनियन यूथ के प्रदेश अध्यक्ष दिगंबर सिंह ने कहा कि हम यहां अपनी ताकत का पूरी तरह से एहसास कराएंगे। दोपहर से ही विभिन्न जिलों से किसानों का आना शुरू हो गया था, जो अलग-अलग कार्यों में लगे हुए थे। 

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वहीं देर रात एडीएम सिटी दिवाकर सिंह सहित अन्य अधिकारी भी कमिश्नरेट मुख्यालय स्थित चौधरी चरण सिंह पार्क का जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने बताया कि कुछ सड़कों को डायवर्ट किया गया है ताकि लोगों को आने-जाने में दिक्कत न हो।  साथ ही उन्होंने बताया कि पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

 

बता दें कि बीते दिनों भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट की ओर से महापंचायत का आयोजन किया गया था, जिसे एक सप्ताह भी नहीं हुआ है। राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि महापंचायत में किसानों से जुड़े कई मुद्दे हैं जिन्हें उठाया जाएगा। 

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खासकर आलू के किसान काफी परेशान हैं, वहीं गन्ने के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं, वहीं बेसहारा मवेशियों को लेकर सरकार ने कुछ समय मांगते हुए आश्वासन दिया है, लेकिन ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है।
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