उत्तर प्रदेश में दुकानों और रेस्टोरेंट पर लिखना होगा असली मालिक का नाम, CCTV और मास्क भी जरूरी; खाने-पीने की चीजों पर नई गाइडलाइंस

जैसे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सावन के दौरान कांवड़ मार्ग पर दुकानों पर मालिक का नाम लिखने का आदेश जारी किया था, वैसे ही अब दुकानों और रेस्टोरेंट पर भी मालिक का नाम लिखने का आदेश दिया है। सरकार ने यह कदम खाने-पीने की चीजों में गंदगी के खिलाफ उठाया है।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने खाने-पीने की दुकानों, रेस्टोरेंट और फूड स्टॉल को लेकर नए निर्देश जारी किए हैं। यूपी में अब हर दुकान के बाहर असली मालिक का नाम लिखना जरूरी होगा। वहीं सीसीटीवी और मास्क को भी अनिवार्य कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नए निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाने-पीने की चीजों में मानव अपशिष्ट, गंदी चीजों से मिलावट करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है। अगर कोई मिलावट करता पाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। उच्च स्तरीय बैठक में सीएम ने होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट आदि की जांच कर सत्यापन की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। READ ALSO:-UP : भाजपा नेता पति की पत्नी अपने से 15 साल छोटे प्रेमी संग भागी, बेटा और करोड़ों रुपए भी ले गई साथ...खुद भी लड़ चुकी है चुनाव

 

अब दुकानों पर मालिक के साथ मैनेजर का नाम भी लिखना जरूरी होगा। हाल ही में कई घटनाएं सामने आई हैं। जिसके मद्देनजर ये आदेश जारी किए गए हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राजधानी लखनऊ में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। जिसमें आम लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए नियमों में जरूरी बदलाव किए गए। यूपी पुलिस हर कर्मचारी का वेरिफिकेशन भी करेगी। खाद्य पदार्थों की शुद्धता सुनिश्चित की जाएगी।

 


खाद्य केंद्रों पर संचालक, प्रोपराइटर, मैनेजर का नाम और पता प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं, शेफ हो या वेटर, सभी को मास्क और ग्लव्स पहनना जरूरी होगा। रेस्टोरेंट में सीसीटीवी लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है।

 

समय-समय पर होगी जांच
पुलिस के अलावा खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीमों को भी जांच के आदेश जारी किए गए हैं। सीसीटीवी फुटेज को सहेजना अनिवार्य किया गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर जांच की जा सके। दुकानों और रेस्टोरेंट में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना होगा। अगर कोई ग्राहकों की स्वास्थ्य सुरक्षा से छेड़छाड़ करता है तो सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं। पुलिस और प्रशासन की टीमों को समय-समय पर जांच करने को कहा गया है।

 

सरकार ने क्या दिशा-निर्देश जारी किए हैं?
  • ढाबों, रेस्टोरेंट और खाद्य प्रतिष्ठानों की गहन जांच होगी। हर कर्मचारी का पुलिस वेरिफिकेशन होगा।
  • खाद्य केंद्रों पर संचालक, प्रोपराइटर, मैनेजर का नाम और पता प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।
  • शेफ हो या वेटर, उन्हें दस्ताने और मास्क पहनना होगा।
  • होटल और रेस्टोरेंट में सीसीटीवी लगाना अनिवार्य होगा। सिर्फ ग्राहकों के बैठने की जगह ही नहीं बल्कि प्रतिष्ठान के दूसरे हिस्सों को भी सीसीटीवी से कवर किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हर प्रतिष्ठान संचालक सीसीटीवी फीड को सुरक्षित रखेगा और जरूरत पड़ने पर पुलिस/स्थानीय प्रशासन को उपलब्ध कराएगा।
  • अगर गंदी चीजें मिलाई गईं तो संचालक-मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।
  • खाद्य केंद्रों पर साफ-सफाई होनी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि खाद्य सामग्री तैयार करते और परोसते समय संबंधित व्यक्ति मास्क-दस्ताने का इस्तेमाल जरूर करे। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
  • खाद्य पदार्थों के बनाने, बेचने या अन्य संबंधित गतिविधियों से जुड़े नियमों को व्यावहारिकता को ध्यान में रखते हुए और सख्त बनाया जाना चाहिए। नियमों के उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।

 

क्या कहा मुख्यमंत्री योगी ने?
बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हाल के दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में जूस, दाल और रोटी जैसे खाद्य पदार्थों में मानव अपशिष्ट/अखाद्य/गंदी चीजों की मिलावट की घटनाएं देखने को मिली हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं वीभत्स हैं और आम आदमी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस तरह के दुर्भावनापूर्ण प्रयासों को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस इंतजाम जरूरी हैं। 

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उन्होंने आगे कहा कि ऐसे ढाबों/रेस्टोरेंट और अन्य खाद्य प्रतिष्ठानों की जांच जरूरी है। प्रदेशव्यापी सघन अभियान चलाकर इन प्रतिष्ठानों के संचालकों समेत वहां काम करने वाले सभी कर्मचारियों का सत्यापन कराया जाए। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त टीम बनाकर यह कार्रवाई शीघ्र पूरी की जाए। 

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को पहले भी लग चुका है झटका योगी सरकार ने सावन में भी ऐसा ही आदेश जारी किया था। तब सरकार ने कांवड़ मार्ग पर दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने का आदेश दिया था। हालांकि सरकार के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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