उत्तर प्रदेश के VVIP अस्पतालों में भी गरीबों को मुफ्त इलाज, अपोलो-मेदांता और रीजेंसी में भी आयुष्मान योजना ने किया धमाल

आयुष्मान कार्ड: सरकार की आयुष्मान कार्ड योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही है। कार्डधारकों को अब अपोलो और मेदांता जैसे वीआईपी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज मिल रहा है। अब तक उत्तर प्रदेश में 45 लाख से अधिक गरीब और जरूरतमंद लोगों को आयुष्मान कार्ड के जरिए मुफ्त इलाज मिल चुका है।
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Ayushman Yojana
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना: केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना का लाभ गरीबों और जरूरतमंदों को दिलाने में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का कोई मुकाबला नहीं है। पूरे देश में उत्तर प्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा आयुष्मान कार्ड धारक हैं। प्रदेश के गरीब और जरूरतमंद लोगों को योजना का लाभ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार 5 करोड़ से ज्यादा आयुष्मान कार्ड बनाकर पूरे देश में नंबर वन है। इतना ही नहीं, अब प्रदेश में आयुष्मान कार्ड से बड़े कॉरपोरेट और वीआईपी अस्पतालों में भी इलाज मिल रहा है। अब तक गंभीर बीमारियों से ग्रसित 6 लाख से ज्यादा मरीजों के इलाज पर 2500 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।READ ALSO:-भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बढ़ाई UPI Transaction की लिमिट, जानें किसे मिलेगा फायदा

 

VIP अस्पतालों में भी आयुष्मान कार्ड से इलाज
प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि गरीब लोगों को आयुष्मान भारत का लाभ दिलाने के लिए युद्ध स्तर पर आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में 5 करोड़ 11 लाख 72 हजार 647 आयुष्मान कार्ड धारक हैं। प्रदेश में 5,669 अस्पतालों द्वारा उन्हें उपचार मुहैया कराया जा रहा है। इनमें 2948 सरकारी और 2721 निजी अस्पताल शामिल हैं। इतना ही नहीं, कार्ड धारकों को प्रदेश के कॉरपोरेट अस्पतालों में भी उपचार मिल रहा है। इनमें अपोलो, मेदांता, यशोदा, रीजेंसी, टेंडर पाम जैसे बड़े कॉरपोरेट अस्पताल शामिल हैं।

 

आयुष्मान कार्ड योजना में उत्तर प्रदेश नंबर वन
आयुष्मान कार्ड योजना के तहत अब तक 45,19,375 मरीजों के उपचार पर 7040 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। प्रमुख सचिव ने बताया कि कार्ड बनाने के मामले में उत्तर प्रदेश पिछले कई वर्षों से देश में नंबर वन राज्य बना हुआ है, जबकि मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है, जहां 4 करोड़ 3 लाख कार्ड बनाए जा चुके हैं। बिहार तीसरे स्थान पर है, जहां 3 करोड़ 26 लाख कार्ड बनाए जा चुके हैं।

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दूसरे राज्यों के कार्ड धारकों को उत्तर प्रदेश में मिलता है इलाज
सचिस की सीईओ संगीता सिंह ने बताया कि अब तक 2,557 करोड़ रुपये की लागत से 6,98,831 मरीजों को तृतीयक देखभाल के तहत उपचार मुहैया कराया जा चुका है। इसमें 66,513 हृदय रोगियों का इलाज किया गया। जबकि दूसरे राज्यों से आए 1,79,141 मरीजों ने राज्य की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाया। इनके इलाज पर 491 करोड़ रुपए खर्च हुए। जबकि राज्य से बाहर रहने वाले 3,05,264 मरीजों ने दूसरे राज्यों में इलाज कराया, जिस पर 821 करोड़ रुपए खर्च हुए।
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