BHU का क्रांतिकारी आविष्कार: अब 1000+ किमी चलेगी इलेक्ट्रिक गाड़ी, लिथियम बैटरी का मिला सस्ता और बेहतर विकल्प!
औद्योगिक कचरे से बनी सोडियम आयन बैटरी का ट्रायल शुरू, एक चार्ज में देगी जबरदस्त रेंज, दो साल में प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य।
Apr 9, 2025, 14:56 IST
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पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से छुटकारा पाने के लिए लोगों ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की ओर रुख किया है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या बैकअप (रेंज) की आती है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों में इसी बड़ी समस्या का हल तलाश लिया है। विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग ने गाड़ियों में लिथियम बैटरी के बेहतर विकल्प के रूप में 'टेम्परेचर सोडियम आयन बैटरी' तैयार की है। दावा किया जा रहा है कि यह बैटरी पूरी तरह विकसित होने पर एक बार चार्ज होने पर एक हज़ार (1000) से ज़्यादा किलोमीटर तक गाड़ियों को चलाने की क्षमता रखेगी।Read also:-बिजनौर: बजरंग दल के नेता की हत्या, पिता, सौतेली मां और भाई गिरफ्तार, जमीन दान करने पर हुआ विवाद
BHU ने शुरू किया ट्रायल
बीएचयू ने फ़िलहाल इस नई बैटरी तकनीक का दो पहिया वाहन (साइकिल) पर ट्रायल शुरू कर दिया है। विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर और उनकी टीम में शामिल शोध छात्र व छात्राओं ने मिलकर इस विकल्प को तैयार किया है। पहले चरण में बैटरी से बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। इसे तैयार करने के बाद फिलहाल एक साइकिल पर अटैच करके इसकी क्षमता को परखा जा रहा है। मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों में बैटरी बैकअप एक मुख्य समस्या है, लेकिन इस नई तकनीक से तैयार टेंपरेचर सोडियम आयन बैटरी से इस समस्या के समाधान की उम्मीद जगी है।
हजार किलोमीटर सफर कराएगी बैटरी
इस खास बैटरी को तैयार करने के लिए औद्योगिक कचरे में मिलने वाले सल्फर की मदद ली गई है, जिसे लिथियम बैटरी की तुलना में एक बेहतर और सस्ता विकल्प माना जा रहा है। विभाग ने अभी एक क्वाइन सिलेंडर (प्रोटोटाइप) तैयार किया है, जिसे एक बार चार्ज करने पर साइकिल पचपन (55) किलोमीटर तक चल रही है। शोधकर्ताओं का मानना है कि जब पूरा प्रोजेक्ट तैयार होगा और बड़े रूप में बैटरी का निर्माण किया जाएगा, तो यह लगभग हज़ार (1000) किलोमीटर तक का सफर तय करवा सकेगी।
दो साल में प्रोजेक्ट पूरा करने का टारगेट
इस महत्वपूर्ण शोध को अनुसंधान और विकास के लिए ऊर्जा मंत्रालय की कंपनी सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट (CPRI), बेंगलुरु के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) किया गया है। इस प्रोजेक्ट को दो वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है (खबर प्रकाशित होने के समय से)। इसके सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, इस बैटरी का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर इसे आम EVs के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर में एक बड़ा बदलाव आ सकता है।
