उत्तर प्रदेश : मानवता हुई शर्मसार, मासूम बच्ची की लाश लेकर रात भर सड़कों पर भटकती रही मां

 उत्तर प्रदेश के मथुरा से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। ऐसा मामला पहले कुशीनगर और गोंडा में भी देखने को मिला है।
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उत्तर प्रदेश के मथुरा से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। ऐसा मामला पहले कुशीनगर और गोंडा में भी देखने को मिला था। गोवर्धन से सात माह की बीमार बच्ची को इलाज के लिए मथुरा लेकर आई महिला बच्ची के शव को लेकर रात भर सड़कों पर घूमती रही। ई-रिक्शा चालक ने उसे मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर छोड़ कर चला गया था। जीआरपी की सूचना के बाद परिजन जंक्शन पहुंचे। जीआरपी ने पंचायतनामा की प्रक्रिया के बाद बच्ची का शव परिजनों को सौंप दिया। Read Also:-मेरठ : बताया पूर्व सीएम अखिलेश यादव का सहपाठी, और ठग लिए दो करोड़ रुपये, थमा दिया मीट फैक्ट्री का फर्जी लाइसेंस

 

सोमवार की सुबह जंक्शन रेलवे स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार के सर्कुलेटिंग एरिया में बने शौचालय के पास एक महिला को मासूम बच्ची के शव के साथ रोता देख लोगों ने इसकी सूचना जीआरपी को दी। सूचना मिलने के बाद जीआरपी थाने के उपनिरीक्षक शिवपाल सिंह महिला आरक्षक रेखा राजौरिया के साथ मौके पर पहुंचे। जब महिला कांस्टेबल ने बच्ची के शव के पास रो रही महिला से बात करने की कोशिश की तो उसने कुछ नहीं बताया। 

 

काफी मशक्कत के बाद महिला ने अपना नाम सपना निवासी छोटी हवेली गोवर्धन बताया। साथ ही महिला सिपाही को एक कागज का टुकड़ा दिया, जिस पर एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ था। उस नंबर पर महिला कांस्टेबल ने बात की। फोन नारायण सिंह ने रिसीव किया। महिला आरक्षक ने जब नारायण को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया तो उसने कहा कि महिला उसकी पत्नी सपना है और उसके साथ सात माह की बच्ची उसकी बेटी लक्षिका है। सपना रविवार की शाम बीमार बच्ची को लेकर घर से निकली थी। वह उसकी तलाश कर रहा था। कुछ देर बाद नारायण सिंह अपनी बहन कमलेश और उसके पति के साथ जंक्शन पहुंच गया।

 

नारायण ने जीआरपी को बताया कि उनकी बेटी लक्षिका पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थी। रविवार की शाम सपना बीमार बच्ची को लेकर घर से निकली और कहा कि मथुरा में उसका बेहतर इलाज होगा। उसके घर से निकलने के बाद वह पूरी रात मथुरा के सभी अस्पतालों में उसकी तलाश करता रहा लेकिन वह नहीं मिली। सपना ने अपने पति से कहा कि जब वह गोवर्धन से मथुरा के लिए निकली तो रास्ते में उसकी बेटी की मौत हो गई। रात होने के कारण उन्हें गोवर्धन जाने का कोई साधन नहीं मिला और उनके पास पैसे भी नहीं थे। बच्ची के शव को लेकर वह रात भर सड़कों पर घूमती रही। सुबह एक ई-रिक्शा चालक उसे जंक्शन पर छोड़ गया। नारायण सिंह ने जीआरपी को बताया कि वह गोवर्धन में ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। जीआरपी ने बच्ची के शव का पंचायतनामा भरकर परिजनों को सौंप दिया।

 

जीआरपी इंस्पेक्टर क्राइम जितेंद्र सिंह ने बताया कि सर्कुलेटिंग एरिया में एक महिला बच्ची का शव लेकर बैठी हुई थी। महिला से मिले नंबर के आधार पर उसके परिजनों को सूचना दी गई। बीमारी के चलते बच्चे की मौत हो गई। रविवार शाम को महिला बच्ची का इलाज कराने के लिए घर से निकली थी। रास्ते में ही बच्ची की मौत हो गई। रात भर इधर-उधर भटकने के बाद एक ई-रिक्शा चालक महिला को जंक्शन पर छोड़ गया। पंचायतनामा की प्रक्रिया के बाद बच्ची का शव परिजनों को सौंप दिया गया। 
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