UP : गाजियाबाद जिला पुलिस कमिश्नरेट हुआ घोषित, साथ ही प्रयागराज और आगरा में भी होंगे पुलिस कमिश्नर, योगी कैबिनेट ने लगाई मुहर
उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने गाजियाबाद, प्रयागराज और आगरा में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने का फैसला किया है। अब इन तीन जगहों पर पुलिस कमिश्नर तैनात किए जाएंगे। इस अहम फैसले के साथ ही कैबिनेट ने बुधवार को 18 से ज्यादा प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
Fri, 25 Nov 2022
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दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद जिला भी पुलिस कमिश्नरेट बनेगा। गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दी गई। कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार शर्मा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, पहले पूरे जिले को महानगर घोषित किया जाएगा, फिर पुलिस कमिश्नरेट बनाया जाएगा। पहले लखनऊ-कानपुर जैसा आउटर सिस्टम बनाने और फिर उसे खत्म करने के सवालों पर शर्मा ने साफ किया कि पूरा जिला पुलिस कमिश्नरेट होगा। Read Also:-मेरठ : कारोबारी से लुटेरों ने पहले साइड मांगी फिर कारोबारी से लूटे 60 हजार रुपये, सरेआम घटना को दिया अंजाम, 3 युवकों ने की मारपीट
गाजियाबाद 14 नवंबर 1976 को एक अलग जिला बना। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर इसे जिला घोषित किया था। पहले यह मेरठ जिले का हिस्सा हुआ करता था। नोएडा की दादरी, हापुड़ की हापुड़ और गढ़मुक्तेश्वर तहसील भी पहले गाजियाबाद जिले का हिस्सा थीं। जब हापुड़ और नोएडा नए जिले बने तो गाजियाबाद की तीन तहसीलें उनके पास चली गईं।
अब गाजियाबाद में तीन तहसील, चार ब्लॉक और 24 पुलिस स्टेशन हैं। गाजियाबाद दिल्ली के साथ अपनी सीमा साझा करता है, इसलिए इसे उत्तर प्रदेश का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। मेरठ, नोएडा और दिल्ली गाजियाबाद के बहुत करीब हैं। गाजियाबाद में नगर निगम की स्थापना 31 अगस्त 1994 को हुई थी। नगर निगम का क्षेत्रफल 220 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 46 लाख 61 हजार 452 है।
मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देने के लिए प्रेसवार्ता...#UPCabinet
— Government of UP (@UPGovt) November 25, 2022
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गाजियाबाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का सबसे महत्वपूर्ण जिला है। दिल्ली के करीब होने के कारण कई उद्यमी यहां निवेश करना चाहते हैं। नोएडा को पहले ही पुलिस कमिश्नरेट बना दिया गया है। गाजियाबाद में सड़क और ट्रेन के अलावा हवाई और मेट्रो की सुविधा पहले से ही उपलब्ध है। देश की पहली रैपिड रेल भी अगले साल गाजियाबाद में दौड़ने जा रही है। कुल मिलाकर यहां हो रहा विकास उत्तर प्रदेश सरकार का आईना है।
Uttar Pradesh | Police Commissionerate system introduced in three more cities in the state - Agra, Ghaziabad and Prayagraj.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 25, 2022
उत्तर प्रदेश सरकार उन शहरों में कानून व्यवस्था को लेकर कोई ढिलाई नहीं चाहती है जहां औद्योगिक निवेश की अधिकतम संभावना है। उद्यमियों को यह महसूस करना चाहिए कि वे एनसीआर (NCR) में पूरी तरह सुरक्षित हैं। यही वजह है कि पहले नोएडा और अब इससे सटे गाजियाबाद को पुलिस कमिश्नरेट बनाने की मंजूरी दी गई है। कहने का तात्पर्य यह है कि मेरठ इससे भी बड़ा जिला है। मेरठ में थाने, तहसील, ब्लॉक ज्यादा हैं और इलाका भी बढ़ गया है। माना जा रहा है कि अगली बार जब कुछ नए सिटी पुलिस कमिश्नरेट बनेंगे तो उनमें मेरठ का नाम आ सकता है।
अब उत्तर प्रदेश के 7 महानगरों में होंगे पुलिस कमिश्नर
कानपुर में विजय सिंह मीणा और वाराणसी में ए सतीश गणेश को पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया। अब तीसरे चरण में योगी सरकार ने तीन महानगरों- आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू कर दिया है। इसके साथ ही अब उत्तर प्रदेश के 7 महानगरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू कर दी गई है।
कानपुर में विजय सिंह मीणा और वाराणसी में ए सतीश गणेश को पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया। अब तीसरे चरण में योगी सरकार ने तीन महानगरों- आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू कर दिया है। इसके साथ ही अब उत्तर प्रदेश के 7 महानगरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू कर दी गई है।
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद क्या बदलेगा?
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस को मजिस्ट्रेट की शक्तियां मिल जाएंगी। चाहे धारा 144 लागू करना हो या गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के मामले में फैसला लेना हो, पुलिस को जिलाधिकारी के फैसले का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस के पास कहीं भी शांति भंग की संभावना को देखते हुए भी लाठीचार्ज, गोली चलना या मजिस्ट्रेट के न्यायिक पॉवर का अधिकार भी पुलिस के पास होगा।
पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस को मजिस्ट्रेट की शक्तियां मिल जाएंगी। चाहे धारा 144 लागू करना हो या गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के मामले में फैसला लेना हो, पुलिस को जिलाधिकारी के फैसले का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस के पास कहीं भी शांति भंग की संभावना को देखते हुए भी लाठीचार्ज, गोली चलना या मजिस्ट्रेट के न्यायिक पॉवर का अधिकार भी पुलिस के पास होगा।
