Telemedicine Facility: उत्तर प्रदेश में अब फोन पर मिलेगा इलाज, सरकारी अस्पतालों में भीड़ कम करने के लिए डॉक्टर देंगे दो घंटे टेलीमेडिसिन सेवा

सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ को कम करने के लिए अब यउत्तर प्रदेश में टेलीमेडिसिन की सुविधा दी जाएगी। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि डॉक्टर फोन पर मरीजों की समस्याएं सुनने के बाद दो घंटे तक उनका इलाज करेंगे। 
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सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक और पहल की है। अब मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। टेलीमेडिसिन के जरिए मरीज घर बैठे इलाज की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। टेलीमेडिसिन को गति देने के लिए रोगियों को नियमित रूप से सुविधा उपलब्ध कराई जाए। ये निर्देश उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक चिकित्सा इकाई को टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान करनी चाहिए।Read Also:-उत्तर प्रदेश बिजली सखी योजना: उत्तर प्रदेश बिजली सखी योजना के अंतर्गत हर महीने 10 हजार रूपये कमाने का मौका

 

उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि प्रत्येक कार्य दिवस में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक अनिवार्य रूप से टेली मेडिसिन सेवाएं प्रदान की जाएं। उन्होंने कहा कि उनसे जुड़े मेडिकल कॉलेजों और टेलीमेडिसिन संस्थानों के माध्यम से मरीजों को जागरूक करना चाहिए। टेलीमेडिसिन के लाभों की व्याख्या कीजिए। प्रचार प्रसार करें ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके।

 

सभी डॉक्टरों और एएनएम के लिए टेली कंसल्टेशन के लिए बनाए जाएंगे आईडी कार्ड 
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थसारथी सेन शर्मा ने सभी निदेशकों, सीएमओ, सीएमएस को टेलीमेडिसिन के अनिवार्य उपयोग के संबंध में टेलीमेडिसिन का उपयोग बढ़ाने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि फिलहाल टेली-परामर्श का कार्य सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा किया जा रहा है। जल्द ही सभी एएनएम की आईडी बन जाने के बाद वे भी यह सेवा प्रदान कर सकेंगे। प्रमुख सचिव ने आदेश दिया है कि सभी एएनएम के अलावा सभी स्वास्थ्य इकाइयों में कार्यरत विशेषज्ञों सहित सभी डॉक्टरों की लॉगिन आईडी बनाना अनिवार्य है। इन आईडी की मैपिंग भी संबंधित मेडिकल यूनिट से की जाएगी।

 

टेलीमेडिसिन सेवा के कई फायदे
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि टेलीमेडिसिन सेवा ने डिजिटल स्वास्थ्य के मामले में शहरी और ग्रामीण भारत के बीच की खाई को पाटकर स्वास्थ्य प्रणाली का समर्थन करना शुरू कर दिया है। यह सेवा जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को भी दूर कर रही है, जिससे माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों पर बोझ कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्थान जैसी संस्थाएं ई-संजीवनी के जरिए मरीजों को राहत पहुंचाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाएं। 
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