उत्तर प्रदेश में महंगी हो सकती है बिजली, 18 से 23 प्रतिशत तक बढ़ेंगे रेट, कृषि में 10-12 प्रतिशत वृद्धि संभव

कंपनियों ने घरेलू श्रेणी में 18 से 23 प्रतिशत, उद्योगों के लिए 16, व्यावसायिक उपयोग के लिए 12 और कृषि (Farming) के लिए 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव किया है। 
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BIJLI
उत्तर प्रदेश में घरेलू बिजली दरों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। विद्युत कंपनियों द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए सभी श्रेणियों की विद्युत दरों में कुल 15.85 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित है। हालांकि, इस प्रस्ताव को अभी योगी सरकार की ओर से मंजूरी नहीं मिली है। बिजली कंपनियों द्वारा आम लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए दिए गए प्रस्ताव पर सरकारी अधिकारी विचार कर रहे हैं।Read Also:-दूरदर्शन: जल्द ही बिना सेट टॉप बॉक्स के टीवी पर देख सकेंगे दूरदर्शन चैनल, इस तरीके से देख पाएंगे

 

बताया जा रहा है कि अगर सरकार बिजली कंपनियों के प्रस्ताव को मंजूरी दे देती है तो ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए पहली 100 यूनिट बिजली की कीमत 3.50 से बढ़कर 4.35 प्रति यूनिट हो जाएगी। वहीं, 300 यूनिट से ज्यादा बिजली इस्तेमाल करने पर उपभोक्ताओं को कंपनियों को 5.50 रुपये प्रति यूनिट की जगह 7 रुपये प्रति यूनिट देना होगा। 

 

बताया जाता है कि घरेलू श्रेणी में कंपनियों द्वारा 18 से 23 प्रतिशत, उद्योगों के लिए 16, व्यावसायिक उपयोग के लिए 12 और कृषि (Farming) के लिए 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित की गई है। बिजली कंपनियों की ओर से सोमवार को रेगुलेटरी कमीशन में एनुअल रेवेन्यू रिक्वायरमेंट (ARR) और 2023-24 के लिए टैरिफ प्रस्ताव दाखिल किया गया है। नियामक आयोग इस प्रस्ताव की जांच करेगा, उसके बाद ही वह अंतिम फैसला लेगा।

 

कंपनियों की ओर से 2023-24 के लिए 92,547 करोड़ रुपए का एआरआर कमीशन को दिया गया है। इसमें 2023-24 में कुल घाटा 22,740 करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया गया है। लेकिन, चूंकि सरकार की ओर से 13,600 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जाती है। इसलिए यह घाटा कम होगा और 9,140 करोड़ रुपए रहेगा। कंपनियों की ओर से अपने प्रस्ताव में कहा गया है कि वह वर्ष 2023-24 में 1,34,751 मिलियन यूनिट बिजली खरीदेगी। 

 

इससे पहले केंद्र सरकार बिजली पैदा करने वाली कंपनियों से समय पर कोयला आयात करने और अधिक से अधिक उत्पादन करने की कोशिश करने को कह चुकी है। इसकी वजह यह है कि अनुमान लगाया जा रहा है कि अप्रैल-सितंबर 2023 में 2.4 करोड़ टन कोयले की कमी हो सकती है। बिजली मंत्रालय ने कहा कि वह बिजली उत्पादकों को कोयले की उपलब्धता की बारीकी से निगरानी कर रहा है। बिजली की खपत और मांग में वृद्धि के कारण देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन का हिस्सा भी बढ़ा है।

 

एक अधिसूचना में मंत्रालय ने कहा कि सभी स्रोतों से कोयले की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। हालांकि चौथी तिमाही में कोयले की आपूर्ति बढ़ी है, लेकिन बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि पिछले रुझानों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 की पहली छमाही के दौरान घरेलू कोयले की आपूर्ति लगभग 392 मिलियन टन रहने का अनुमान है। इसके बाद भी इस दौरान करीब 2.4 करोड़ टन कोयले की कमी रहेगी।
 
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